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चौमुख रूप में विराजमान हैं भगवान भोलेनाथ, पूरी करते हैं सबकी मुराद - चणाक्य

ऐतिहासिक चौमुखनाथ मंदिर की अपनी अलग मान्यता व विशेषता है, जहां हजारों की संख्या में भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं.

चौमुख रूप में विराजमान भगवान भोलेनाथ
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Published : Aug 11, 2019, 1:13 PM IST

पन्ना। जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर सलेहा में स्थित चौमुखनाथ मंदिर की अपनी अलग ही मान्यता है, जिसका निर्माण गुप्त काल के बाद लगभग सातवीं सदी में हुआ था, जिसमें अभिलेखीय साक्ष्य कला के साथ स्थापत्य शैली भी देखने को मिलती है. मंदिर के गर्भगृह में एक चतुर्मुख शिवलिंग स्थापित है,

ऐतिहासिक चौमुखनाथ मंदिर

जो चतुर्मुख में विषपान के समय रौद्र, दूसरा अर्द्धनारीश्वर, तीसरा तपस्वी और चौथा विवाह के समय श्रंगार रूप को प्रदर्शित करता है. शिवलिंग की उंचाई लगभग 5 फीट और चौड़ाई एक मीटर है. साथ ही वर्गाकार गर्भगृह, आच्छादित प्रदक्षिणा पथ और जालीदार खिड़की व अलंकृत प्रवेशद्वार है, जिसका विशेष उल्लेख है.


इस मंदिर की मूर्तियां चणाक्य के द्वारा चंदेल काल में बनवाई गईं थी, जहां शिव जी की चार मुखी प्रतिमा अलग - अलग तरीके से विराजमान है, यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए के हजारों की संख्या में लोग दूर-दराज से आते हैं.


ये पूरा मंदिर पत्थरों से ही निर्मित है, इसमें पत्थर के अलावा चूने तक का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस मंदिर की प्राकृतिक सौन्दर्यता देखते ही बनती है. जहां हजारों की संख्या में भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी भी करते हैं.

पन्ना। जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर सलेहा में स्थित चौमुखनाथ मंदिर की अपनी अलग ही मान्यता है, जिसका निर्माण गुप्त काल के बाद लगभग सातवीं सदी में हुआ था, जिसमें अभिलेखीय साक्ष्य कला के साथ स्थापत्य शैली भी देखने को मिलती है. मंदिर के गर्भगृह में एक चतुर्मुख शिवलिंग स्थापित है,

ऐतिहासिक चौमुखनाथ मंदिर

जो चतुर्मुख में विषपान के समय रौद्र, दूसरा अर्द्धनारीश्वर, तीसरा तपस्वी और चौथा विवाह के समय श्रंगार रूप को प्रदर्शित करता है. शिवलिंग की उंचाई लगभग 5 फीट और चौड़ाई एक मीटर है. साथ ही वर्गाकार गर्भगृह, आच्छादित प्रदक्षिणा पथ और जालीदार खिड़की व अलंकृत प्रवेशद्वार है, जिसका विशेष उल्लेख है.


इस मंदिर की मूर्तियां चणाक्य के द्वारा चंदेल काल में बनवाई गईं थी, जहां शिव जी की चार मुखी प्रतिमा अलग - अलग तरीके से विराजमान है, यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए के हजारों की संख्या में लोग दूर-दराज से आते हैं.


ये पूरा मंदिर पत्थरों से ही निर्मित है, इसमें पत्थर के अलावा चूने तक का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस मंदिर की प्राकृतिक सौन्दर्यता देखते ही बनती है. जहां हजारों की संख्या में भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी भी करते हैं.

Intro:पन्ना।
एंकर - पन्ना से लगभग 50 किलोमीटर दूर सलेहा के चौमुखनाथ मंदिर की अपनी ही एक मान्यता और प्रसिद्धि है कहा जाता है कि राजा चणाक्य के द्वारा यह चंदेल कालीन प्राचीन मंदिर और भगवान शिव की प्रतिमाये बनवाई गई थी जहां पर शिव जी की चार मुखी प्रतिमा अलग - अलग तरीके से विराजमान है मंदिर में गांव व दूर दराज के हजारों की संख्या मे लोग भगवान शिव के दर्शन करने व अपनी मनोकामना मांगने के लिए पहुचते है। मंदिर के चारो ओर प्रकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है मंदिर में अलग ही छटा रही।

Body:अभिलेखीय साक्ष्यों के अभाव में चौमुखनाथ मंदिर का निर्माणकाल, कला और स्थापत्य शैली के आधार पर उत्तर गुप्त कालीन लगभग सातवीं सदी ई. का प्रतीत होता है। चौमुखनाथ मंदिर के गर्भगृह में एक चतुर्मुख शिवलिंग प्रतिष्ठित है चतुर्मुख में विषपान के समय का रौद्र रूप का, दूसरा अर्द्धनरेश्वर रूप, तीसरा तपस्वी रूप और चौथा विवाह के समय श्रंगार रूप को दर्शित करता है। शिवलिंग की उंचाई लगभग 5 फीट है और लगभग एक मीटर वर्गाकार है, जो कि एक ही प्रस्तर से बना हुआ है। वर्गाकार गर्भगृह, आच्छादित प्रदक्षिणा पथ, जालीदार खिडकी एवं अलंकृत प्रवेशद्वार युक्त है जो कि विशेष उल्लेखनीय है स्थापत्य खंडों एवं प्रतिमाओं पर जटिल अलंकरण गुप्तकाल की कला की विशिष्टता है जो यहां पर विशेष रूचिकर है।Conclusion:पूरा मंदिर पत्थरो का बना हुआ है जहां चूने का इस्तेमाल नही किया गया मंदिर की सुन्दरता को देख कर भक्तो का मन प्रसन्न हो जाता है और यहां मान्यता है कि हमेसा से ही भगवान अपने भक्तो की मनोकामना पूरी करते आ रहे है। पन्ना के अलावा आस-पास के जिलो से हजारो से संख्या मे भक्त अपनी मुराद लेकर भगवान के द्वार पर आते है और माना जाता है कि भगवान अपने भक्तो की सारी मनोकामना पूरी करते है।
बाईट :- 1 देव सिंह (जानकार)
बाईट:- 2 गणेश कुशवाहा (श्रद्वालु)
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