पन्ना। भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली विधानसभा-59 गुनौर जो लोकसभा खजुराहो पन्ना संसदीय सीट का अभिन्न अंग है. विधानसभा मुख्यालय भी है. कहने को यहां अधिकारियों का घरौंदा मुख्यालय भी कहा जाता है जहां पर अनुविभागीय स्तर के अधिकारियों से लेकर जनपद मुख्यालय एसडीओपी मुख्यालय एवं अन्य सरकारी कार्यालयों के दर्जनों मुख्यालय है. मगर आजादी के उपरांत से आज तक तत्कालीन विधायक डॉक्टर राजेश वर्मा के अलावा किसी भी विधायक ने आज तक गुनौर विधानसभा मुख्यालय में अपना निवास नहीं बनाया. हां इतना जरूर है कि वर्तमान विधायक शिवदयाल बागरी की जनता से नजदीकियां एवं ग्रामीण स्तर पर जनसंपर्क प्रभावी तौर पर जनता में देखा जा रहा है. मगर गुनौर के विकास को लेकर कुछ विधायको की सक्रियता जन कल्याणकारी योजनाओं के वितरण में रही. जैसे तत्कालीन कांग्रेस विधायक फुंदर चौधरी , डॉ राजेश वर्मा एवं वर्तमान समय में नगर परिषद ककरहटी मुख्यालय में हाई स्कूल की विशालकाय भवन शिवदयाल बागरी ने कराया. अन्य विधायकों का नाम विकास के नाम एवं काम से कोसों दूर रहा. वर्तमान समय में आजादी के बाद आज तक गुनौर मुख्यालय में जहां पर 500 से ज्यादा ग्रामों की संख्या है जहां पर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र है. अनुसूचित जाति आरक्षण विधानसभा है. जहां पर महिला रोग शिशु रोग विशेषज्ञ एक्सरे मशीन सोनोग्राफी ईसीजी और ब्लड टेस्ट सहित अन्य उपकरणों का अभाव है. जिसके कारण जच्चा बच्चा मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ है मगर जनप्रतिनिधियों की संजीदगी जनता के प्रति जवाब देह नही रही .बल्कि सत्ताधीसो की जी हुजूरी एवं उनके इस्तकबाल में ही जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सूरमा भोपाली बने फिरते रहे और इसी दंभ में उनका कार्यकाल भी बीतता रहा और विकास नगण्य रहा.
एक नजर नगर परिषद गुनौर के चुनावी बिसात पर
नवगठित नगर परिषद गुनौर में परिसीमन के मुताबिक 3 पंचायत गुनौर, पड़ेरी , सिली को मिलाकर कुल 15 वार्ड बनाए गए हैं जिसमें तीनों पंचायतों की सीमाएं निर्धारित नक्शे के मुताबिक कुल मतदाताओं का जोड़ लगभग 12243 है. जिसमें चुनावी गुणा भाग चुनावी बिसात पर बिछाए जाकर गुनौर के रणबांकुरे गुमटियों, पान पैलेस में सुबह शाम खड़े होकर चकल्लस करते दिखाई देते हैं.
चुनाव के पहले जरूरी है फर्जी मतदाताओं का पुनरीक्षण
नगर परिषद गुनौर गठित होने की बाद पहले चुनाव निष्पक्ष कराए जाने हेतु यह अति आवश्यक है कि भारत निर्वाचन आयोग की मंशा अनुरूप सही तरीके से चुनाव कराए जाएं जिसमें पूर्व में मृत हो चुके व्यक्तियों का नाम व जो दूसरी ग्राम पंचायतों में संलग्न है या उनके फोटो आईडी पर चस्पा है और गलत जानकारी दर्ज है उनका जिला निर्वाचन पुनरीक्षण कार्य जिला निर्वाचन अधिकारी पन्ना को करा लेना चाहिए क्योंकि गुनौर में भले ही यह पहला चुनाव हो मगर पन्ना जिले की सबसे बड़ी राजनीति का केंद्र बिंदु गुनौर विधानसभा का मुख्यालय होने के कारण अगर किसी प्रकार की त्रुटि जिम्मेदारों द्वारा रह जाती है तो बाद में समस्याओं एवं आरोप-प्रत्यारोप का सामना करना पड़ेगा.
किन-किन राजनीतिक दलों के बीच होगा मुकाबला
विधानसभा मुख्यालय गुनौर में लंबे अरसे से भाजपा की सीट कहीं जाने वाली क्षेत्र में हाल ही के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी खानी पड़ी थीर. कांग्रेस का परचम लहराया था जिसमें मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में भाजपा एवं तीसरे स्थान पर मुख्य प्रतिद्वंदी दल बहुजन समाज पार्टी रहा है. जिसके कारण भाजपा एवं कांग्रेस दोनों खेमों में हार जीत का संशय बरकरार रहा है चुनावी बिसात की अगर बात करें तो भारतीय जनता पार्टी में दावेदारों की कतार ग्रुप वार लंबी है तो वहीं कांग्रेस पार्टी में भी कुछ संशय टिकट वितरण के दौरान खेमे बाजी के चलते आ सकता है. उसके उलट बहुजन समाज पार्टी में किसी प्रकार की खेमे बाजी ना होने के कारण उसका वोट बैंक शांत बैठा हुआ है और महाभारत के संजय की भांति दोनों दलों की नूरा कुश्ती देखकर अपनी तैयारी में लगा हुआ है. यानी तीनों पार्टियों ने चुनावी घोषणा के पहले कमर कस ली है ताकि अध्यक्ष एवं वार्डों के जीतने में कोई कोर कसर न रह जाए.
अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर संशय बरकरार
नगर परिषद गुनौर के चुनाव होने के पहले सबसे बड़ी बात अध्यक्ष पद का आरक्षण प्रक्रिया पूर्ण होना आवश्यक है. क्योंकि जब तक आरक्षण नहीं हो जाता तब तक अध्यक्ष पद का ताज पहनने के शौकीन मुद्दा विहीन सूरमाओ की फेहरिस्त लंबी है. अभी से गांव गली चौराहों चौपालों एवं कड़कड़ाती ठंड में अंगीठी जलाकर दरवाजे खटखटा कर हालचाल पूछने की रस्म अदायगी बड़ी होशियारी से सूरमाओ की जारी है. क्योंकि उनके पास मुद्दा विहीन राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना ही चुनाव जीतने की बड़ी तैयारी है.
क्या है गुनौर की गलियों में चर्चा
जन चर्चा में है कि उनको टिकट मिलना है जिन्होंने राष्ट्रभक्ति से ज्यादा पार्टी भक्ति को तवज्जो दिया और उन्हें भी मिलना है जिनकी सोशल मीडिया व चुनावी समय में लोगों के घर घर जाना कक्का दद्दा मम्मा एवं पाय लागी करना आदत में शुमार है. कुछ के बारे में तो कहा जाता है कि साहब में पद मिलने के बाद से 5 वर्षों तक गायब थे. अब फिर उनकी चहल कदमी एवं पार्टी से टिकट पाने की मंशा दावेदार के रूप में देखी जा रही है मगर प्रतिद्वंदी उनके कम नहीं है. उनका तो कहना है कि अगर हमें यह हमारे खेमे के साहब को टिकट नहीं मिला. तो हम दूसरे दल को जितवा देंगे जातीय आंकड़ों की दम पर गुनौर का चुनाव लड़ने के लिए अपना खेमा बढ़ा रहे हैं. तो कुछ ऐसे भी हैं जो अच्छी शैक्षणिक योग्यता विकास के मुद्दे एवं क्षेत्रीय समस्या को तवज्जो देकर चुनाव जीतने एवं गुनौर के चहुमुखी विकास को लेकर मतदाताओं का विश्वास अर्जित करने के उपरांत नगर परिषद गुनौर का सभा पति नहीं बल्कि सेवक बनाने के लिए अपना तुरुप का इक्का जेब में डाल कर जनता के प्रति विश्वास कायम किए हुए हैं. अंततः नगर परिषद गुनौर में आने वाले समय में चुनाव होता है तो यहां शिक्षा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार का मुद्दा एवं उनका मुखर विरोध करने वाला ही गुनौर नगर परिषद का प्रथम अध्यक्ष बनेगा.
एक नजर नगर परिषद गुनौर के वार्डो के आरक्षण पर
वार्ड क्रमांक ( 1 ) श्री राम जानकी वार्ड - अनारक्षित महिला
वार्ड क्रमांक ( 2 ) चन्द्रशेखर आजाद वार्ड - अनारक्षित मुक्त
वार्ड क्रमांक ( 3 ) सरदार भगत सिंह वार्ड - अनसूचित जाति महिला
वार्ड क्रमांक ( 4 ) संत रविदास वार्ड - अनारक्षित महिला
वार्ड क्रमांक ( 5 ) इंदिरा गांधी वार्ड - आरक्षण मुक्त
वार्ड क्रमांक ( 6 ) महात्मा गांधी वार्ड - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला
वार्ड क्रमांक ( 7 ) साकेत बिहारी बार्ड - अनारक्षित महिला
वार्ड क्रमांक ( 8 ) संकट मोचन वार्ड - अन्य पिछड़ा वर्ग में
वार्ड क्रमांक ( 9 )बालाजी सरकार वार्ड - अन्य पिछड़ा वर्ग मुक्त
वार्ड क्रमांक ( 10 ) महावीर स्वामी वार्ड - अनारक्षित महिला
वार्ड क्रमांक ( 11 ) उमा महेश्वर वार्ड - अन्य पिछड़ा वर्ग महिला
वार्ड क्रमांक ( 12 ) गुरइया देव वार्ड - अनसूचित जाति महिला
वार्ड क्रमांक ( 13 ) अम्बेडकर वार्ड - अनुसूचित जाति मुक्त
वार्ड क्रमांक ( 14 ) सरदार वल्लभ भाई पटेल वार्ड - अनारक्षित मुक्त
वार्ड क्रमांक ( 15 ) लाल बहादुर शास्त्री वार्ड - अनुसूचित जनजाति मुक्त