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ऐसे निकलता है पन्ना की धरती से हीरा, प्रोसेसिंग से लेकर नीलामी तक की इनसाइड स्टोरी - History of Diamonds in Panna

दुनिया भर में पन्ना जिले की पहचान हीरे की नगरी के तौर पर की जाती है. लेकिन कैसे निकलता है जमीन से हीरा, कैसे लगती है इसकी बोली, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Diamond Mining in Panna
पन्ना में हीरा
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Published : Jul 24, 2020, 2:05 AM IST

पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला दुनिया भर में हीरों की नगरी के नाम से मशहूर है. यहां आए दिन किसी न किसी की किस्मत चमकती रहती है. माना जाता है कि करीब 2 हजार साल पहले से यहां हीरे मिल रहे हैं. पन्ना की धरती में हीरा मिलने से जुड़ी कई लोक मान्यताएं भी हैं, तो कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं.

पन्ना में हीरा उत्खनन

हीरा से जुड़ी लोककथाएं

अगर लोक मान्यताओं की बात की जाए तो कहा जाता है कि राजा छत्रसाल को उनके गुरू प्राणनाथ ने आशीर्वाद दिया था कि छत्ता तेरे राज में धक-धक धरती होय. जित-जित घोड़ा पग धरे उत-उत हीरा होए. यानि जहां-जहां छत्रसाल का घोड़ा पांव रखेगा वहां-वहां हीरा मिलेगा.

वैज्ञानिक कारण

मगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना के चलते यहां हीरा पाया जाता है. यहां प्राचीन कार्बनिक चट्टानें पाईं जाती हैं. जिसके चलते ये कीमती रत्न यहां पाया जाता है.

तपती धूप में परिश्रम से मिलता है हीरा

पन्ना की रत्नगर्भा धरा में कब किसकी किस्मत चमक जाए इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. इस बेशकीमती रत्न को पाने के लिए हर किसी की इच्छा होती है, लेकिन ये रत्न उसी को मिलता है जो दिनभर तपती धूप में भी खदानों में कड़ी मेहनत करता है. इस रत्न को पाने के लिए पन्ना के लोग यहां आकर हीरा की खदान लगाते हैं.

ऐसे मिलती है हीरे की खदान

हीरा खोदने के लिए हीरा कार्यालय से पहले पट्टे जारी करवाये जाते हैं. जिसके लिए 200 रुपये की रशीद कटवाई जाती है.खदान में मजदूर खुदाई करके हीरा की चाल निकालते हैं. जिसे पानी में धोया जाता और फिर जमीन में डालकर एक-एक कंकड़ की बुनाई होती है. इसी कंकडों में लोगों की किस्मत चमकाने वाला नायाब रत्न हीरा मिलता है.

ऐसे होती है हीरे की नीलामी

हीरा मिलने के बाद उसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है. जिसे नीलामी में रखा जाता है. नीलामी में हीरा पारखी उसकी वेल्यू बताता है. उसके हिसाब हीरा व्यापारी बोली लगाते हैं. बोली में बिकने के बाद हीरा से मिलने वाली राशि संबंधित हीरा मालिक को साढ़े ग्यारह फीसदी रॉयल्टी और एक परसेंट टीडीएस काटकर दे दी जाती है.

तीन तरह की परतों में पाया जाता है हीरा

माना जाता है कि पन्ना के एक हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में हीरा मिलने की संभावनाएं हैं. यहां हीरा तीन तरह की परतों में पाया जाता है. पहली काले रंग के किम्बर लाइट,दूसरी कड़े कांगलो मेरेट पत्थर के साथ और तीसरी में ये छोटे-छोटे पत्थरों के रूप में पाया जाता है.

जिले में हीरा मिलने के स्थान

बताया जाता है कि बृजपुर पहाड़ीखेड़ा के आस-पास 5 से 10 फिट गहराई में ही हीरा मिल जाता है. इसी तरह सरकोह,रानीपुर,सकरिया जैसे स्थानों का भी यही हाल है. लेकिन बदलते वक्त के हिसाब से अधिकतर हीरा संभावित क्षेत्र वन विभाग के कब्जे में चला गया. जिससे यहां खुदाई पर पाबंदी है.

बेशकीमती रत्न मिलने पर भी बेरोजगारी

इतना अनमोल रत्न मिलने के बाद भी पन्ना जिला आज भी पिछड़ हुआ है. यहां बेरोजगारी अपने चरम पर है.अब कोरोना काल में युवाओं का रुझान हीरे की खदानों की तरफ गया है. लिहाजा खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने भी तमाम विवादों को सुलझाने आश्वासन दिया है. जिससे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके.

पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला दुनिया भर में हीरों की नगरी के नाम से मशहूर है. यहां आए दिन किसी न किसी की किस्मत चमकती रहती है. माना जाता है कि करीब 2 हजार साल पहले से यहां हीरे मिल रहे हैं. पन्ना की धरती में हीरा मिलने से जुड़ी कई लोक मान्यताएं भी हैं, तो कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं.

पन्ना में हीरा उत्खनन

हीरा से जुड़ी लोककथाएं

अगर लोक मान्यताओं की बात की जाए तो कहा जाता है कि राजा छत्रसाल को उनके गुरू प्राणनाथ ने आशीर्वाद दिया था कि छत्ता तेरे राज में धक-धक धरती होय. जित-जित घोड़ा पग धरे उत-उत हीरा होए. यानि जहां-जहां छत्रसाल का घोड़ा पांव रखेगा वहां-वहां हीरा मिलेगा.

वैज्ञानिक कारण

मगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना के चलते यहां हीरा पाया जाता है. यहां प्राचीन कार्बनिक चट्टानें पाईं जाती हैं. जिसके चलते ये कीमती रत्न यहां पाया जाता है.

तपती धूप में परिश्रम से मिलता है हीरा

पन्ना की रत्नगर्भा धरा में कब किसकी किस्मत चमक जाए इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. इस बेशकीमती रत्न को पाने के लिए हर किसी की इच्छा होती है, लेकिन ये रत्न उसी को मिलता है जो दिनभर तपती धूप में भी खदानों में कड़ी मेहनत करता है. इस रत्न को पाने के लिए पन्ना के लोग यहां आकर हीरा की खदान लगाते हैं.

ऐसे मिलती है हीरे की खदान

हीरा खोदने के लिए हीरा कार्यालय से पहले पट्टे जारी करवाये जाते हैं. जिसके लिए 200 रुपये की रशीद कटवाई जाती है.खदान में मजदूर खुदाई करके हीरा की चाल निकालते हैं. जिसे पानी में धोया जाता और फिर जमीन में डालकर एक-एक कंकड़ की बुनाई होती है. इसी कंकडों में लोगों की किस्मत चमकाने वाला नायाब रत्न हीरा मिलता है.

ऐसे होती है हीरे की नीलामी

हीरा मिलने के बाद उसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है. जिसे नीलामी में रखा जाता है. नीलामी में हीरा पारखी उसकी वेल्यू बताता है. उसके हिसाब हीरा व्यापारी बोली लगाते हैं. बोली में बिकने के बाद हीरा से मिलने वाली राशि संबंधित हीरा मालिक को साढ़े ग्यारह फीसदी रॉयल्टी और एक परसेंट टीडीएस काटकर दे दी जाती है.

तीन तरह की परतों में पाया जाता है हीरा

माना जाता है कि पन्ना के एक हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में हीरा मिलने की संभावनाएं हैं. यहां हीरा तीन तरह की परतों में पाया जाता है. पहली काले रंग के किम्बर लाइट,दूसरी कड़े कांगलो मेरेट पत्थर के साथ और तीसरी में ये छोटे-छोटे पत्थरों के रूप में पाया जाता है.

जिले में हीरा मिलने के स्थान

बताया जाता है कि बृजपुर पहाड़ीखेड़ा के आस-पास 5 से 10 फिट गहराई में ही हीरा मिल जाता है. इसी तरह सरकोह,रानीपुर,सकरिया जैसे स्थानों का भी यही हाल है. लेकिन बदलते वक्त के हिसाब से अधिकतर हीरा संभावित क्षेत्र वन विभाग के कब्जे में चला गया. जिससे यहां खुदाई पर पाबंदी है.

बेशकीमती रत्न मिलने पर भी बेरोजगारी

इतना अनमोल रत्न मिलने के बाद भी पन्ना जिला आज भी पिछड़ हुआ है. यहां बेरोजगारी अपने चरम पर है.अब कोरोना काल में युवाओं का रुझान हीरे की खदानों की तरफ गया है. लिहाजा खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने भी तमाम विवादों को सुलझाने आश्वासन दिया है. जिससे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके.

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