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बुंदेलखंड की आराध्य देवी है मां पद्मावती, नवरात्रि पर जुटती है भक्तों की भारी भीड़ - celebrated

पन्ना में मां पद्मावती देवी का शक्तिपीठ है जहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. इस मंदिर की गिनती देवी मां के सिद्ध शक्तिपीठों में की जाती है. जहां दूर-दूर से लोग मनोकामनाएं मांगने वा दर्शन करने पहुंचते हैं

बुंदेलखंड की आराध्य देवी है मां पद्मावती
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Published : Oct 2, 2019, 12:54 PM IST


पन्ना। नवरात्रि पर्व पर देवी के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. पन्ना के मां पद्मावती देवी में मंदिर में भी नवरात्रि का उत्सव देखते ही बन रहा है. इस मंदिरको माता के सिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है. मान्याता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

बुंदेलखंड की आराध्य देवी है मां पद्मावती

बताया जाता है कि जब भगवान शिव की पहली पत्नी सती जब अपने पिता राजा दक्ष द्वारा किए गए हवन में कूदी थी. जिससे नाराज भगवान शंकर मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर संपूर्ण पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे. लेकिन पृथ्वी का संतुलन बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. माता के टुकड़े जिस-जिस स्थान पर गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए. उन्ही शक्तिपीठों में पन्ना के सती मंदिर भी शामिल हैं.

पद्मावती शक्तिपीठ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास है, यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. जिसे स्थानीय भाषा में देवन कहा जाता है. मंदिर के पुजारी बताते है कि नवरात्रि में यहां बड़ा आयोजन होता है और यहां देशभर से भक्त आते हैं, इस दौरान मां के दरबार में क्षेत्रीय बुंदेली भजन गीत गाए जाते है और साथ ही मान्यता है कि देवी पद्मावती के आशीर्वाद के कारण ही पन्ना इतना समृद्ध है.


पन्ना। नवरात्रि पर्व पर देवी के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. पन्ना के मां पद्मावती देवी में मंदिर में भी नवरात्रि का उत्सव देखते ही बन रहा है. इस मंदिरको माता के सिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है. मान्याता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

बुंदेलखंड की आराध्य देवी है मां पद्मावती

बताया जाता है कि जब भगवान शिव की पहली पत्नी सती जब अपने पिता राजा दक्ष द्वारा किए गए हवन में कूदी थी. जिससे नाराज भगवान शंकर मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर संपूर्ण पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे. लेकिन पृथ्वी का संतुलन बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. माता के टुकड़े जिस-जिस स्थान पर गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए. उन्ही शक्तिपीठों में पन्ना के सती मंदिर भी शामिल हैं.

पद्मावती शक्तिपीठ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास है, यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. जिसे स्थानीय भाषा में देवन कहा जाता है. मंदिर के पुजारी बताते है कि नवरात्रि में यहां बड़ा आयोजन होता है और यहां देशभर से भक्त आते हैं, इस दौरान मां के दरबार में क्षेत्रीय बुंदेली भजन गीत गाए जाते है और साथ ही मान्यता है कि देवी पद्मावती के आशीर्वाद के कारण ही पन्ना इतना समृद्ध है.

Intro:पन्ना।
एंकर :- मां पद्मावती देवी जिसे हम सब लोग बड़ी देवी के नाम से पहचानते हैं बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं मां के दर्शन करने। यहां पद्मावती शक्तिपीठ है जिसे लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना की जाती है उसे मां भगवती जरूर पूरा करती है। पन्ना में मां सती के पदम यानि पैर गिरे थे और इसी लिए इस शक्तिपीठ की नाम पद्मावती शक्तिपीठ पड़ा। यहां मां का जो प्राचीन मंदिर है उसे लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में पद्मावत नाम के राजा हुए थे जो शक्ति के उपासक थे। उन्होंने अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा को पद्मावती नाम से इस प्राचीन मंदिर में स्थापित किया। कालांतर में इस क्षेत्र का नाम इसी मंदिर के कारण पद्मावतीपुरी हुआ, जो बाद में परना और वर्तमान में पन्ना के नाम से पहचाना जाता है। पद्मावती देवी का उल्लेख भविष्य पुराण तथा विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी है। ये मंदिर गौण नरेशों का आराध्यस्थल भी था।Body:पद्मावती शक्तिपीठ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास है। भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। पन्ना में किलकिला नदी के पास मां का यह प्राचीन देवी मंदिर है। इस मंदिर को स्थानीय बोली मे बड़ी देवन कहा जाता है। मंदिर के पुजारी राम कुमार शुक्ला के अनुसार, नवरात्रि में यहां बड़ा आयोजन होता है और देशभर से भक्त आते हैं। इस दौरान मां के दरबार में क्षेत्रीय बुंदेली भजन गीत गाए जाते है। मान्यता है कि देवी पद्मावती के आशीर्वाद के कारण ही पन्ना इतना समृद्ध है।Conclusion:मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थी। वह राजा दक्ष की बेटी थी जिसने भगवान शिव को अपनी पुत्री से शादी के लिए मना कर दिया था। उनके इंकार के बाद भी मां सती ने भगवान शिव से शादी की। एक दिन दक्ष राजा ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी ऋषियों और देवताओ को बुलाया लेकिन भगवान शिव को नहीं आमंत्रित किया क्योंकि वे भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे। मां सती ये अपमान नहीं सहन नहीं कर पायी। जब वे पिता से इसका उत्तर जानने यज्ञ स्थल पहुंची तो पिता ने उनका अपमान किया भगवान शिव को भला बुरा कहा। मां सती अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पायी और उन्होंने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोधित शिव ने यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष को मार डाला। इसके बाद भगवान शिव मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर सम्पूर्ण भूमंडल पर विचरण करने लगे। भूमंडल को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जिस-जिस स्थान पर मां भगवती के शरीर के टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए। पन्ना में मां के दाहिना पैर गिरा था, इस कारण इस शक्तिपीठ का नाम पद्मावती शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। शक्तिपीठ और मैहर की शारदा माता का मंदिर और पबई की कालिका माता का मंदिर अपने आप में समानांतर त्रिकोण बनाते हैं। पन्ना से पबई की दूरी 45 किलोमीटर और पबई से मैहर की दूरी 45 किलोमीटर है यानि ये तीनों स्थानों की आपस में दूरी 45 किलोमीटर है। इस तरह ये तीनों देवी स्थान आपस में त्रिकोणीय समानांतर कोण बनाते हैं।
बाइट :- 1 मयुर अवस्थी (श्रद्धालु)
बाईट :- 2 मंदिर पुजारी
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