पन्ना। जिले के पर्यटन स्थल जितने खुबसूरत हैं, उतने ही खतरनाक भी है, खास तौर पर बारिश के दौरान यह और भी खतरनाक हो जाते हैं, इसे देखते हुए प्रशासन ने ऐसे जलप्रपातों पर जाने से रोक लगा दी गई है. हाल ही में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए, प्रशासन ने ये फैसला लिया है.
पाली सेहा जलप्रात पर हादसा
मध्यप्रदेश के पन्ना में स्थित बेहद ख़ूबसूरत और ख़तरनाक जलप्रपात इन दिनों दो हादसों की वजह से मीडिया की सुर्ख़ियों में है, अभी हाल ही में पन्ना के पाली सेहा (जलप्रपात) में दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गए एक युवक की मौत हो गई थी, युवक जलप्रपात में बहकर लगभग 2000 फिट नीचे चला गया था.
बृहस्पति कुण्ड पर हादसा
एक अन्य घटना में बृहस्पति कुण्ड (जलप्रपात) में गिरने वाली बाघिन नदी के तेज प्रवाह में पर्यटकों की कार बहते हुए थोड़ी दूर जाकर पेड़ों और झाड़ियों में फंस गई थी, कार में सवार पर्यटकों की जान काफी प्रयास के बाद बचाई जा सकी.
नहाने के दौरान हादसा
कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का अतर्रा निवासी युवक नवीन बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात में नीचे उतरकर नहाते समय कुण्ड में डूब गया था, इन हादसों ने पन्ना की पुलिस और प्रशासन का ध्यान खतरनाक जलप्रपातों मानसून सीजन में बड़ी संख्या में पहुंचने वाले पर्यटकों की सुरक्षा की ओर खींचा है.
जलप्रपातों पर सुरक्षा के माकूल इंतजाम
जलप्रपातों पर सुरक्षा के माकूल इंतजाम न होने के बाद भी पर्यटक अपनी जान जोखिम डालकर बड़ी संख्या में इनका सौंदर्य को निहारने पहुंच रहे हैं, इससे चिंतित और परेशान पन्ना पुलिस ने पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनज़र एहतियाती कदम उठाते हुए खतरनाक बृहस्पति कुण्ड (जलप्रपात) क्षेत्र में प्रवेश पर रोक लगा दी है, बृहस्पति कुण्ड में पर्यटकों की इन्ट्री पर बैन पूरे मानसून सीजन तक जारी रहेगा, वहीं पन्ना के किलकिला कुण्ड पर भी पुलिस के द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है.
बता दें कि बीते दिनों पन्ना जिले में लगातार बारिश होने के चलते यहां के जलप्रपातों को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटक भी पहुंच रहे हैं, जल प्रपात के सौंदर्य को निहारने कुछ दिनों से लोगों का तांता लगा हुआ था, पन्ना जिले में एक से बढ़कर एक दर्जन भर से अधिक बेहद सुंदर और खतरनाक जलप्रपात स्थित हैं, जिनमें बारिश के मौसम में लगभग 1500 से लेकर 3000 फिट की ऊंचाई से जलधारा गिरती है. पन्ना के पाण्डव फॉल को छोड़कर अन्य किसी भी जलप्रपात में पर्यटकों की सुरक्षा के माकूल इंतजाम नहीं हैं, ऐसी स्थिति में यहाँ जरा सी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है.
बारिश के मौसम में चट्टानों में काई लगने से फिसलन होने लगती है, जिससे पर्यटकों के नीचे उतरते और चढ़ते समय स्लिप होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके चलते पर्यटकों को यहां पहुंचने से रोकने के लिए रास्ते की बैरिकेटिंग करके पुलिस जवानों को तैनात किया गया है, इसके साथ ही पुलिस लगातार निगरानी भी कर रही है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
बारिश के दौरान पर्यटकों को जाने से रोकने के लिए उक्त स्थलों की निरंतर पेट्रोलिंग की जा रही है, साथ ही इलाके में एनाउंसमेंट कराकर स्थानीय लोगों को स्वयं भी ऐसे स्थानों पर ना जाने और दूसरों को जाने से मना करने के लिए जागरूक किया जा रहा है.