पन्ना। मध्यप्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का लाख दावा करे, लेकिन इन्हें क्रियान्वित करने का जिम्मा जिनके सिर है, उनकी लापरवाही और मनमानी के कारण सरकार की मंशा धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही है. पन्ना जिले के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. यहां बड़ी सख्यां में गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी पाई गई है.खून की कमी से एक साल में 12 गर्भवती महिलाओं की मौते हो चुकी है.
जिला अस्पताल में पिछले एक साल में पांच हजार सात सौ एक महिलाएं भर्ती हुई है.जिनमे 399 गर्भवती महिलाओं को सात प्रतिशत से कम ब्लड पाया गया. वहीं अगर हम तीन माह यानी अप्रैल से लेकर जून तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
इन तीन माह में जिला अस्पताल में एक हजार चार सौ 98 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया है. जिनमे 233 महिलाओं को ब्लड लगाया और 141 महिलाओं को सात प्रतिशत से कम हीमोग्लोबिन पाया गया हैं. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग के अमले की निष्क्रियता के चलते लगभग 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत महिलाओं में 7 प्रतिशत से कम ब्लड जुलाई के माह में पाया गया है.
ऐसे में यह आंकड़े अपने आप में जिला अस्पताल और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों को खोखला साबित कर रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि जिस तरह नवजात शिशुओं की मौते हो रही है वह एनीमिया की वजह से हो रही है क्योंकि जब मां के शरीर 7 प्रतिसत से कम खून होगा तो स्वाभाविक है कि जल्द रिकवर करना मुश्किल होता है. लिहाजा नवजात के अंदर खून की कमी हो जाती है.