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पन्ना: गर्भवती महिलाओं में बढ़ रही है एनीमिया की बीमारी, जच्चा- बच्चा की मृत्यु दर में भी हुआ इजाफा - Anemia outbreak in pregnant women

पन्ना जिले के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था इस कदर बदहाल है कि यहां बड़ी सख्यां में गर्भवति महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी पाई गई है. जिस वजह से प्रसूताओं की मौत हो चुकी हैं.

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का प्रकोप
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Published : Jul 27, 2019, 10:02 PM IST

पन्ना। मध्यप्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का लाख दावा करे, लेकिन इन्हें क्रियान्वित करने का जिम्मा जिनके सिर है, उनकी लापरवाही और मनमानी के कारण सरकार की मंशा धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही है. पन्ना जिले के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. यहां बड़ी सख्यां में गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी पाई गई है.खून की कमी से एक साल में 12 गर्भवती महिलाओं की मौते हो चुकी है.

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का प्रकोप

जिला अस्पताल में पिछले एक साल में पांच हजार सात सौ एक महिलाएं भर्ती हुई है.जिनमे 399 गर्भवती महिलाओं को सात प्रतिशत से कम ब्लड पाया गया. वहीं अगर हम तीन माह यानी अप्रैल से लेकर जून तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

इन तीन माह में जिला अस्पताल में एक हजार चार सौ 98 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया है. जिनमे 233 महिलाओं को ब्लड लगाया और 141 महिलाओं को सात प्रतिशत से कम हीमोग्लोबिन पाया गया हैं. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग के अमले की निष्क्रियता के चलते लगभग 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत महिलाओं में 7 प्रतिशत से कम ब्लड जुलाई के माह में पाया गया है.

ऐसे में यह आंकड़े अपने आप में जिला अस्पताल और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों को खोखला साबित कर रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि जिस तरह नवजात शिशुओं की मौते हो रही है वह एनीमिया की वजह से हो रही है क्योंकि जब मां के शरीर 7 प्रतिसत से कम खून होगा तो स्वाभाविक है कि जल्द रिकवर करना मुश्किल होता है. लिहाजा नवजात के अंदर खून की कमी हो जाती है.

पन्ना। मध्यप्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का लाख दावा करे, लेकिन इन्हें क्रियान्वित करने का जिम्मा जिनके सिर है, उनकी लापरवाही और मनमानी के कारण सरकार की मंशा धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही है. पन्ना जिले के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. यहां बड़ी सख्यां में गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी पाई गई है.खून की कमी से एक साल में 12 गर्भवती महिलाओं की मौते हो चुकी है.

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का प्रकोप

जिला अस्पताल में पिछले एक साल में पांच हजार सात सौ एक महिलाएं भर्ती हुई है.जिनमे 399 गर्भवती महिलाओं को सात प्रतिशत से कम ब्लड पाया गया. वहीं अगर हम तीन माह यानी अप्रैल से लेकर जून तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

इन तीन माह में जिला अस्पताल में एक हजार चार सौ 98 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया है. जिनमे 233 महिलाओं को ब्लड लगाया और 141 महिलाओं को सात प्रतिशत से कम हीमोग्लोबिन पाया गया हैं. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग के अमले की निष्क्रियता के चलते लगभग 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत महिलाओं में 7 प्रतिशत से कम ब्लड जुलाई के माह में पाया गया है.

ऐसे में यह आंकड़े अपने आप में जिला अस्पताल और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों को खोखला साबित कर रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि जिस तरह नवजात शिशुओं की मौते हो रही है वह एनीमिया की वजह से हो रही है क्योंकि जब मां के शरीर 7 प्रतिसत से कम खून होगा तो स्वाभाविक है कि जल्द रिकवर करना मुश्किल होता है. लिहाजा नवजात के अंदर खून की कमी हो जाती है.

Intro:एंकर-प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर लाख दावे कर ले..लेकिन सरकार का स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाहियों औऱ मनमानी से बाज नही आ रहा है....हम आपको पन्ना जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर ऐसी तस्वीरे दिखाने जा रहे हैं कि आप भी सोच कर दंग रह जाएंगे...जी हां पन्ना जिला चिकित्सालय में इन दिनों हर दूसरी प्रशूता महिला को ब्लड की कमी देखी जा रही...जुलाई माह में भर्ती महिलाओं में सबसे ज्यादा हीमोग्लोबिन की कमी देखी जा रही...जो अपने आप मे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान खड़े कर रही है। Body:जिला चिकित्सालय पन्ना में पिछले एक साल में पांच हजार सात सौ एक महिलाएं भर्ती हुई है... जिनमे 399 प्रसूताओं को 7% से कम ब्लड पाया गया जो अपने आप मे बहुत सीरियस केश माना जाता है... वही एक साल में लगभग साढ़े सात सौ प्रसूताओं को ब्लड लगाया है... जो जिला अस्पताल में एक रिकॉर्ड कायम रहा है.... वही अगर हम फिलहाल इस के तीन माह यानी अप्रेल से जून तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो बडे ही चौका देने वाले हैं.... इन तीन माह में जिला अस्पताल में 1498 यानी पंद्रह सौ प्रशूता महिलाओं को भर्ती कराया गया है.... जिनमे 233 महिलाओं को ब्लड लगाया है... और 141 यानी लगभग डेढ़ सौ महिलाओं को 7% से कम हीमोग्लोबिन पाया गया हैं...जो बहुत ही सीरियस केश माने जाते हैं।Conclusion:अब ऐसे में यह आंकड़े अपने आप मे जिला अस्पताल व जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों को खोखला साबित कर रहै है... बड़ी ही गंभीर बात है जिस प्रकार नवजात शिशुओं की मौते हो रही है वह भी एनीमिया की बजह से हो रही है...क्योंकि जब मां के शरीर 7%से कम हीमोग्लोबिन होगा तो स्वाभाविक सी बात है कि उसे रिकवर करना बड़ा ही कठिन काम होता हैं... जिस कारण से होने वाले नवजात शिशु के शरीर मे कम बजन व खून की कमी कारण बनता हैं... जिससे नवजात शिशुओं की मौतों का कारण बनता है.... इतना ही जिस नवजात ने अभी दुनिया मे आँखे भी खोली है उसे ब्लड लगाया जाता है क्योंकि जब माँ को हीमोग्लोबिन की कमी है तो प्रसव के बाद बच्चे को भी हीमोग्लोबिन की आवश्यकता पड़ेगी....इसके साथ साथ खून की कमी से एक साल में आधा दर्ज प्रसूताओं की मौते हो चुकी है।

बाइट-1मीना नामदेव( स्त्री रोग विशेषज्ञ)
बाइट-2डॉ. एलके तिवारी (सीएमएचओं पन्ना)
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