निमाड़ी। बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली धार्मिक एवं पर्यटन स्थली ओरछा में विवाह पंचमी के अवसर पर राम सीता विवाद संपन्न हुआ. यहां पिछले 500 वर्षों से चली आ रही भगवान श्रीराम के सीता से विवाह की अद्भुत परंपरा का निर्वाहन विधि विधान से किया जा रहा है. हर साल यहां विवाह पंचमी पर यहां के प्रसिद्ध श्रीराम राजा मंदिर से बकायदा भगवान श्रीराम की बारात जनकपुरी के लिये गाजे बाजे के साथ निकलती है. बारात में रामराजा अपने अनुजों के साथ सुशोभित रहते हैं, ओरछा नगर के अलावा बाहर से आये देशी विदेशी श्रद्धालु व सैलानी पूरे उत्साह से बराती के रूप में जनकपुरी की ओर प्रस्थान करते हैं. जनकपुरी में राम सीता का पाणिग्रहण संस्कार संपन्न होता है. उसके बाद बारात वापस रामलला के महल रूपी मंदिर के लिये प्रस्थान करती है. पिछले 500 सालों से हर साल ओरछावासी भगवान श्रीराम को मानव स्वरूप में मानकर पूरे धूमधाम से उनका विवाह महोत्सव मनाते हैं.
रामराजा को दिया जाता है 'गार्ड ऑफ ऑनर'
निवाड़ी जिले के ओरछा का रामलला मंदिर अत्यंत प्राचीन है, और यहां स्थापित मूर्ति के बारे में प्रचलित मान्यता के अनुसार ओरछा की महारानी गनेश कुंवर पुष्य नक्षत्र में इस मूर्ति को आयोध्या से नंगे पैर पैदल चलकर ओरछा लायी थी. श्रीराम की प्रतिमा ओरछा लाये जाने के बाद बुन्देलखण्ड में इन्हें ओरछाधीश के रूप में मान्यता दी गई और संभवता ओरछा के रामराजा इस मायने में भी अद्वितीय है कि इन्हें प्रतिदिन पुलिस के जवान बकायदा आज भी दिन के चारों पहर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है.
राम विवाह महोत्सव में प्रशासन रहा मुस्तैद
पिछले करीब 500 सालों से निरंतर भगवान रामराजा की नगरी ओरछा में 3 दिवसीय राम विवाह महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है. इसके लिये प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारियां की जाती है. इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुये कई कार्यक्रमों में बदलाव किया गया है. बाकी कार्यक्रम यथावत संपन्न कराए गए हैं. श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसके लिये प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई.
राजशाही ठाठ-बाट के साथ बारात
राम-विवाह महोत्सव का कार्यक्रम पूरे राजशाही ठाठ-बाट के साथ भगवान श्रीराम की बारात निकाली जाती है. इससे पहले जब भगवान मंदिर से बाहर आते हैं, तब सशस्त्र जवानों द्वारा उन्हें सलामी दी जाती है. बारात के सबसे आगे रघुकुल का प्रतीक चिन्ह उसके बाद मशालची, चांदी की छड़ी लिए दरबान, भगवान को चंवर हिलते हुये सेवक चलते हैं, बारात का हर घर पर रोककर उनकी आरती उतारी जाती है. जैसे ही बारात जनकपुरी पहुंची वहां महिलाओं ने मंगल कलश रखकर बारात का स्वागत किया. पुजारी हरीश सिंह के द्वारा रामराजा का मंगल टीका एवं बारातियों का टीका स्वागत किया गया. उसके बाद महाराज अपने पूरे राजसी वैभव के साथ रामराजा मंदिर वापस लौट जाते हैं.