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भक्तों को जल्द होंगे ओरछा के 'राजा' के दर्शन, जानिए कब से खुलेगा रामराजा मंदिर - रामराजा मंदिर कब से खुलेगा

ओरछा का रामराजा मंदिर 1 जुलाई से भक्तों के लिए खुलने जा रहा है. इस दौरान श्रद्धालुओं को उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जिसे प्रशासन ने कोरोना की रोकथाम के लिए जरुरी बताया है. मंदिर के साथ ही होटल और रेस्टोरेंट भी खुलने जा रहे हैं.

Orchha Ramraja Temple
ओरछा का रामराजा मंदिर
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Published : Jun 29, 2021, 9:13 PM IST

निवाड़ी। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध ओरछा का रामराजा मंदिर एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खुलने जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होते ही बंद हुआ मंदिर अब 1 जुलाई से भक्तों के लिए खुलेगा. जिले में होटल और रेस्टोरेंट भी कोरोना के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए खोलने की अनुमति दे दी गई है.

निवाड़ी के कलेक्टर आशीष भार्गव के अनुसार, श्री रामराजा मंदिर सहित जिले के सभी धार्मिक स्थल कोविड-19 के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 01 जुलाई से खोले जाएंगे. इस दौरान श्रद्धालुओं को उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जिसे प्रशासन ने कोरोना की रोकथाम के लिए जरुरी बताया है.

जिले में क्या-क्या होगा अनलॉक

कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कार्यालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक रविवार को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कोविड-19 के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, होटल, रेस्टोरेंट खोले जा सकेंगे.

रामराजा मंदिर की खासियत

ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.

सदियों पुरानी है परंपरा

भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.

'बुन्देलखण्ड की अयोध्या' में भगवान राम को दी जाती है सशस्त्र सलामी, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं. भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं.

निवाड़ी। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध ओरछा का रामराजा मंदिर एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खुलने जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होते ही बंद हुआ मंदिर अब 1 जुलाई से भक्तों के लिए खुलेगा. जिले में होटल और रेस्टोरेंट भी कोरोना के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए खोलने की अनुमति दे दी गई है.

निवाड़ी के कलेक्टर आशीष भार्गव के अनुसार, श्री रामराजा मंदिर सहित जिले के सभी धार्मिक स्थल कोविड-19 के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 01 जुलाई से खोले जाएंगे. इस दौरान श्रद्धालुओं को उन सभी नियमों का पालन करना होगा, जिसे प्रशासन ने कोरोना की रोकथाम के लिए जरुरी बताया है.

जिले में क्या-क्या होगा अनलॉक

कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कार्यालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक रविवार को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कोविड-19 के रोकथाम प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, होटल, रेस्टोरेंट खोले जा सकेंगे.

रामराजा मंदिर की खासियत

ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.

सदियों पुरानी है परंपरा

भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.

'बुन्देलखण्ड की अयोध्या' में भगवान राम को दी जाती है सशस्त्र सलामी, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं. भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं.

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