निवाड़ी। निवाड़ी जिला खनिज संपदा के लिए काफी मशहूर है, यहां का निकला ग्रेनाइट पत्थर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में आपूर्ति किया जाता है. हर रोज यहां से सैकड़ों ट्रक ग्रेनाइट की सप्लाई की जाती है. निवाड़ी जिले के ओरछा के पास प्रतापपुरा खदान है, जहां शासन के गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है या नहीं इसकी जांच के लिए कलेक्टर आशीष भार्गव ने एक टीम गठित की है. कलेक्टर ने ये निर्णय आम लोगों की शिकायत से ली है.
स्थानीय लोगों ने कलेक्टर से शिकायत की थी कि, प्रतापपुरा क्रेशर खदान में शासन की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. जहां से निकलने वाली गाड़ियों से लगातार धूल उड़ती है, जो आस-पास के गांवों में बीमारी का मुख्य कारण बन रही है. निवाड़ी जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी समेत जिला खनिज अधिकारी पंकज मिश्रा, प्रदूषण बोर्ड सागर के सतीश चौकसे प्रमुख रूप से बुधवार को प्रतापपुरा खदानों का निरीक्षण करने पहुंचे.
लोगों का आरोप है कि, टीम के आने की सूचना पहले ही क्रेशर मालिकों को लग गई थी और उन्होंने अपनी व्यवस्थाएं पहले से ही चाक-चौबंद कर ली थी. शिकायतकर्ता ने बताया कि, कभी भी ये यहां पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है, लेकिन जांच कमेटी के आने की सूचना पर पूरे क्रेशर क्षेत्रों में पानी का छिड़काव करवाया गया है. साथ ही बुधवार को अधिकतम क्रेशर बंद रहे, सिर्फ एक से दो क्रेशर चालू रखे गए. शिकायतकर्ता दिलीप पुरोहित ने बताया की, जांच टीम सारे क्रेशर पर ना जाकर केवल एक ही क्रेशर पर बैठकर खानापूर्ति कर वापस चली गई. ऐसे में लोगों प्रशासनिक कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है.
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शिकायतकर्ता ने बताया कि, यहां पर संचालित स्टोन क्रेशर फिलहाल बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के चलते हैं, लेकिन देखने से लग रहा था कि काम अब भी चालू है. क्रेशर पर हाल में ही तोड़ी गई गिट्टी और मिट्टी के ढे़र पाए गए. जिसे लेकर संचालक ने बताया कि, क्रेशर पर मेंटेनेंस का काम चालू था और कुछ समय के लिए क्रेशर को चला कर देखा गया. प्रतापपुरा स्टोन क्रेशर अपने आप में मध्यप्रदेश शासन को करोड़ों रुपए की आमदनी का स्रोत है. जांच कमेटी की ऐसी ढीली कार्रवाई लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है.