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चोरों ने अफीम किसानों की उड़ाई रातों की नींद, लाठी-टॉर्च लिए बारी-बारी कर रहे हैं पहरेदारी - अफीम

चोरों से अफीम की फसल को बचाने के लिए किसान नई-नई जुगत कर रहे हैं, इसमें पुलिस भी उनका साथ दे रही है.

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Published : Mar 8, 2019, 6:08 PM IST

नीमच। चोरों ने अफीम किसानों की रातों की नींद उड़ा दी है. चोरों से फसल को बचाने के लिए हाथ में लाठी-टॉर्च लिए किसान अपनी अफीम की फसलों की दिन-रात चौकीदारी कर रहे हैं, तो वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से खास इंतजाम किए गए हैं. पुलिस के जवान रात में पेट्रोलिंग करने के साथ किसानों को और कई तरह की सुविधाएं पहुंचा रहे हैं.

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अफीम

मालवांचल में अफीम की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. नीमच जिले में अफीम की पैदावार सबसे अधिक होती है. अफीम की फसल केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अंतर्गत आती है. ब्यूरो किसानों को अफीम की फसल उगाने का लाइसेंस देता है. फसल पकने के बाद किसान अफीम निकालकर नारकोटिक्स विभाग के सुपुर्द कर देते हैं.

अफीम

चोरों की निगाहें अफीम की फसल पर रहती हैं, ऐसे में किसानों को उसकी सुरक्षा करनी पड़ती है, फसल पर लगे डोडो में चीरा लगाकर अफीम निकाली जाती है. इस दौरान पूरे जिले में चोरों का आतंक रहता है. चोर खड़ी फसल से चीरा लगे हुए डोडा ले जाते हैं. और कम मात्रा में अफीम का उत्पादन होने पर किसानों का लाइसेंस रद्द हो जाता है.

नीमच। चोरों ने अफीम किसानों की रातों की नींद उड़ा दी है. चोरों से फसल को बचाने के लिए हाथ में लाठी-टॉर्च लिए किसान अपनी अफीम की फसलों की दिन-रात चौकीदारी कर रहे हैं, तो वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से खास इंतजाम किए गए हैं. पुलिस के जवान रात में पेट्रोलिंग करने के साथ किसानों को और कई तरह की सुविधाएं पहुंचा रहे हैं.

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मालवांचल में अफीम की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. नीमच जिले में अफीम की पैदावार सबसे अधिक होती है. अफीम की फसल केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अंतर्गत आती है. ब्यूरो किसानों को अफीम की फसल उगाने का लाइसेंस देता है. फसल पकने के बाद किसान अफीम निकालकर नारकोटिक्स विभाग के सुपुर्द कर देते हैं.

अफीम

चोरों की निगाहें अफीम की फसल पर रहती हैं, ऐसे में किसानों को उसकी सुरक्षा करनी पड़ती है, फसल पर लगे डोडो में चीरा लगाकर अफीम निकाली जाती है. इस दौरान पूरे जिले में चोरों का आतंक रहता है. चोर खड़ी फसल से चीरा लगे हुए डोडा ले जाते हैं. और कम मात्रा में अफीम का उत्पादन होने पर किसानों का लाइसेंस रद्द हो जाता है.

Intro:चोरों से अफीम फसल की सुरक्षा के लिए किसान नित नए जतन कर रहे है। कहीं बंदूक तो कहीं लाठियो लेकर फसल की पहरेदारी करनी पड़ती हैं। रातभर झुंड बनाकर पाली-पाली में करते है अफीम फसल की रखवाली।


Body:जैसा कि सभी जानते है मध्यप्रदेश के मालवांचल में ही सबसे अधिक अफीम फसल की पैदावार होती है, मालवांचल में भी सबसे अधिक अफीम नीमच जिले में होती है। अफीम को यहाँ के लोग काला सोना भी कहते है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर अफीम बेशकीमती वस्तुओ में आती है।
अफीम फसल केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के अंतर्गत आती है, केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो अफीम की फसल उगाने के लिए किसानों को लाइसेंस वितरित करती है । जब फसल पक जाती है तो किसान फसल से अफीम निकालकर नारकोटिक्स को सुपुर्द कर देते है।
फसल में डोडे लगते है, जिनमें चीरा लगाकर डोडे से अफीम निकाली जाती है। इस दौरान सम्पूर्ण जिले में चोरों का आतंक रहता है। चोर खड़ी फसल से चीरा लगे हुए डोडे चुरा ले जाते है। इस कारण किसान की औसत पूरी नही हो पाती और नारकोटिक्स ब्यूरो किसान का लाइसेंस रद्द कर देते है।
चोरो से अफीम की फसल बचाने के लिए किसान बंदूक की नोक पर रखवाली करते हैं। जिसके पास बंदूक का लाइसेंस नहीं होता वह लाठियों व अन्य औजारों से फसल की रखवाली करते है।
अफीम की रक्षा करना किसानों के लिए चुनोती है।


Conclusion:इधर पुलिस अफीम फसल को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को उचित सुझाव व मार्गदर्शन देती है।
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