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कृषि उपज मंडी को प्राइवेट करने के विरोध में हम्माल और तुलावटी संघ, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

नीमच में कृषि उपज मंडी के हम्माल, तुलावटी संघ, हाथ ठेला चालक तथा लोडिंग टेम्पों चालक यूनियन ने ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर डिप्‍टी कलेक्‍टर प्रशस्तिसिंह को मध्यप्रदेश सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा है.

Neemuch
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Published : Jun 27, 2020, 11:04 AM IST

नीमच। कृषि उपज मंडी के हम्माल, तुलावटी संघ, हाथ ठेला चालक तथा लोडिंग टेम्पों चालक यूनियन ज्ञापन सौंपने सभी पैदल-पैदल कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. जहां उन्‍होंने डिप्‍टी कलेक्‍टर को मध्यप्रदेश सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्‍यम से बताया कि मंडी बोर्ड ने प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कार्यरत एक लाख से अधिक हम्माल-तुलावटियों के रोजगार को समाप्त करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय से प्रदेशभर की कृषि उपज मंडियों में मंडी मजदूरों के परिवार के लाखों लोगों के आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

पहले कोरोना महामारी उसके बाद लॉकडाउन के कारण सारे काम-काज ठप थे. अब प्रदेश सरकार मंडी को निजी हाथों में सौंपकर लाखों लोगों का रोजगार समाप्त करने वाली है. बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों प्रदेश में वापस आए हैं. ऐसे में सरकार मौजूदा रोजगार को बचाने तथा नए रोजगार बढ़ाने का प्रयास कर रही है. बेरोजगारी के इस संकट में प्रदेश का मंडी बोर्ड लाखों परिवार के लिये और बेरोजगारी बढ़ाने जा रहा है. प्रदेश सरकार के निर्णय से किसान भी प्रभावित होगा.

उल्लेखनीय है कि विगत कई दशकों से शासन की देखरेख में किसानों की उपज के नियमानुसार क्रय-विक्रय होती है. मंडी सबसे बड़ी सरकारी संस्था के रूप में प्रदेश में विकसित हुई है. मंडियों में रोजाना नए किसानों का आवागमन होता है, जबकि मंडियों में कार्यरत हजारों लाइसेंस वाले हम्माल और मान्यता प्राप्त तुलावटी रोज नियमित रूप से मंडियों में काम करते हैं.

वास्तव में मंडी प्रशासन हम्माल, तुलावटी और व्यापारी साथ मिलकर मंडी का संचालन करते हैं. इन सब का भी मंडी पर उतना ही अधिकार है, जितना किसानों का है. मंडियों में हम्माल एवं तुलावटियों को किसानों द्वारा हम्माली एवं तुलाई देने की वैधानिक व्यवस्था शासन ने बनाई है. ज्ञापन में कहा गया कि मंडी निजीकरण पर रोक लगाई जाए.

नीमच। कृषि उपज मंडी के हम्माल, तुलावटी संघ, हाथ ठेला चालक तथा लोडिंग टेम्पों चालक यूनियन ज्ञापन सौंपने सभी पैदल-पैदल कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. जहां उन्‍होंने डिप्‍टी कलेक्‍टर को मध्यप्रदेश सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्‍यम से बताया कि मंडी बोर्ड ने प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कार्यरत एक लाख से अधिक हम्माल-तुलावटियों के रोजगार को समाप्त करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय से प्रदेशभर की कृषि उपज मंडियों में मंडी मजदूरों के परिवार के लाखों लोगों के आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

पहले कोरोना महामारी उसके बाद लॉकडाउन के कारण सारे काम-काज ठप थे. अब प्रदेश सरकार मंडी को निजी हाथों में सौंपकर लाखों लोगों का रोजगार समाप्त करने वाली है. बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों प्रदेश में वापस आए हैं. ऐसे में सरकार मौजूदा रोजगार को बचाने तथा नए रोजगार बढ़ाने का प्रयास कर रही है. बेरोजगारी के इस संकट में प्रदेश का मंडी बोर्ड लाखों परिवार के लिये और बेरोजगारी बढ़ाने जा रहा है. प्रदेश सरकार के निर्णय से किसान भी प्रभावित होगा.

उल्लेखनीय है कि विगत कई दशकों से शासन की देखरेख में किसानों की उपज के नियमानुसार क्रय-विक्रय होती है. मंडी सबसे बड़ी सरकारी संस्था के रूप में प्रदेश में विकसित हुई है. मंडियों में रोजाना नए किसानों का आवागमन होता है, जबकि मंडियों में कार्यरत हजारों लाइसेंस वाले हम्माल और मान्यता प्राप्त तुलावटी रोज नियमित रूप से मंडियों में काम करते हैं.

वास्तव में मंडी प्रशासन हम्माल, तुलावटी और व्यापारी साथ मिलकर मंडी का संचालन करते हैं. इन सब का भी मंडी पर उतना ही अधिकार है, जितना किसानों का है. मंडियों में हम्माल एवं तुलावटियों को किसानों द्वारा हम्माली एवं तुलाई देने की वैधानिक व्यवस्था शासन ने बनाई है. ज्ञापन में कहा गया कि मंडी निजीकरण पर रोक लगाई जाए.

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