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गर्मी से बचाने के लिए किसान अफीम को दे रहे हैं प्राकृतिक ठंडक

नीमच। देश में लॉकडाउन और बढ़ती गर्मी ने अफीम की खेती करने वाले किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. मालवा अंचल के अफीम काश्तकार इन दिनों अफीम को सूखने से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. मालवा क्षेत्र में अफीम को काला सोना भी कहा जाता है.

Farmers are giving natural stings to opium to protect them from heat
गर्मी से बचाने के लिए किसान अफीम को दे रहे हैं प्राकृतिक ठंडक
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Published : Apr 27, 2020, 12:06 AM IST

नीमच। देश में लॉकडाउन और बढ़ती गर्मी ने अफीम की खेती करने वाले किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. मालवा अंचल के अफीम काश्तकार इन दिनों अफीम को सूखने से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. मालवा क्षेत्र में अफीम को काला सोना भी कहा जाता है वहां अधिक मात्रा में अफिम की खेती होती हैं. यहां पर बड़े पैमाने पर अफीम का उत्पादन किया जाता है. इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को अफीम की उपज पैदा करने के लिए लाइसेंस देती हैं.

गर्मी से बचाने के लिए किसान अफीम को दे रहे हैं प्राकृतिक ठंडक

किसानों को अप्रैल तक अफीम को नारकोटिक कार्यालय में जमा करा देते है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार केंद्र सरकार ने अफीम काश्तकारों के लिए किसी भी प्रकार के निर्देश जारी नहीं किए हैं. ऐसे में अफीम काश्तकारों को अपनी फसल घर पर ही रखकर उसे सूखने से बचाने के लिए कई तरह के जतन करने पड़ रहे हैं

इसके लिए अफिम काशतकार ठंडे पानी में रखकर उसे नेचुरल ठंडक दे रहे हैं तो कोई बालू रेत में अफीम के बर्तन को रखकर ठंडक दे रहा है. अफीम काश्तकारों का कहना है कि लॉकडाउन से बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है भारत सरकार और लोकल प्रशासन से बात हुई है. मई माह के पहले सप्ताह में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अफीम की तुलाई शुरु होगी.

नीमच। देश में लॉकडाउन और बढ़ती गर्मी ने अफीम की खेती करने वाले किसानों के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. मालवा अंचल के अफीम काश्तकार इन दिनों अफीम को सूखने से बचाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. मालवा क्षेत्र में अफीम को काला सोना भी कहा जाता है वहां अधिक मात्रा में अफिम की खेती होती हैं. यहां पर बड़े पैमाने पर अफीम का उत्पादन किया जाता है. इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को अफीम की उपज पैदा करने के लिए लाइसेंस देती हैं.

गर्मी से बचाने के लिए किसान अफीम को दे रहे हैं प्राकृतिक ठंडक

किसानों को अप्रैल तक अफीम को नारकोटिक कार्यालय में जमा करा देते है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार केंद्र सरकार ने अफीम काश्तकारों के लिए किसी भी प्रकार के निर्देश जारी नहीं किए हैं. ऐसे में अफीम काश्तकारों को अपनी फसल घर पर ही रखकर उसे सूखने से बचाने के लिए कई तरह के जतन करने पड़ रहे हैं

इसके लिए अफिम काशतकार ठंडे पानी में रखकर उसे नेचुरल ठंडक दे रहे हैं तो कोई बालू रेत में अफीम के बर्तन को रखकर ठंडक दे रहा है. अफीम काश्तकारों का कहना है कि लॉकडाउन से बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है भारत सरकार और लोकल प्रशासन से बात हुई है. मई माह के पहले सप्ताह में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अफीम की तुलाई शुरु होगी.

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