नीमच । महिला बाल विकास विभाग की जांच में बड़ा घोटाला सामने आया है. लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी में वितरण के लिए पहुंचा सत्तू बच्चों को बांटने की बजाए कागजों में ही बंट कर रह गया. जांच के बाद परियोजना अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. वहीं जिला बाल विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस दिया गया है.
पांच महीने बाद हुई जांच पूरी
गौरतलब है कि 3 महीने पूर्व मनासा ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यकर्ताओं ने एसडीएम कार्यालय पहुंचकर सत्तू घोटाले की शिकायत की थी और इसके बाद एसडीएम ने मामले की जांच करवाई थी. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के खाने के लिए जो सत्तू वितरित किया गया, उसमें सुपरवाइजर और सीडीपीओ द्वारा बड़ा घपला किया गया है. मामले में मनासा विधायक अनिरूद्ध मारू ने कलेक्टर सहित विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए थे. जांच में परियोजना अधिकारी जोसेफ दोषी पाए गए, और उन्हें निलंबित किया गया.
महिला बाल विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस
सत्तू घोटाले में कलेक्टर और विभागीय अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद परियोजना अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. महिला बाल विकास अधिकारी संजय भारद्वाज को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
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कागजों में बांट दिया गया सत्तू
दरअसल मार्च 2020 में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन 23 मार्च 2020 से बंद कर दिया गया था. इस अवधी में सत्तू कहीं भी वितरित नहीं किया गया. लेकिन मनासा परियोजना अधिकारी जयदेव जोसेफ ने कागजों में सत्तू वितरित कर दिया. इतना ही नहीं उनके फर्जी बिल लगाकर राशि भी निकाल ली. मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने विधायक मारू को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की मांग की थी.
फर्जी बिल बनाकर निकाल दी थी राशि
इस पर विधायक मारू ने कलेक्टर सहित विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए थे, जांच में परियोजना अधिकारी द्वारा फर्जी बिल लगाकर राशि निकाली गई थी. जिसके बाद भोपाल महिला एवं बाल विकास परियोजना संचालक स्वाति मीणा ने मनासा परियोजना अधिकारी जोसेफ को पद से निलंबित कर दिया है. संचालनालय अनुसार परियोजना अधिकारी जोसेफ ने शासकीय नियमों की प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए वित्तीय अनियमिता की, जो एमपी सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 1, 2 व 3 का उल्लघंन है. इसे ध्यान में रखते हुए उन्हे मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.