नीमच। इन दिनों शिक्षित, बेरोजगार युवा खुद की अलग पहचान बनाने के साथ कामयाब भी हो रहे हैं. ऐसे युवा खुद का काम शुरू कर ग्राहकों को इकट्ठा करने के लिए कारगर तरीका अपनाते हैं. इससे वे सुर्खियां भी बटोर रहे हैं. अभी तक एमबीए, ग्रेजुएट, मैट्रिक फेल, क़ैदी और बेवफ़ा चाय स्टॉल के बारे में आपने सुना और देखा होगा, लेकिन आज हम आपको नर्सिंग डिग्रीधारी चाय वाले की कहानी से रूबरू करवाने जा रहे हैं. जिन्हें नर्सिंग डिग्री के बाद नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने आत्मनिर्भर बनने के लिए नर्सिंग चाय वाला स्टॉल खोल लिया.
सरकारी दावे फेल : रोजगार के अवसर प्रदान करने के बड़े-बड़े दावे फेल हो रहे हैं. जिले के स्थानीय कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा भले ही रोजगार के अवसर प्रदान करने के बड़े-बड़े दावे पेश करें, लेकिन जिले में रोजगार को लेकर धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है. लाखों रुपए नर्सिंग की पढ़ाई पर खर्च करने और करीब पांच साल तक नर्सिंग कार्य के अनुभव के बाद भी एक युवा को बेरोजगारी की मार का सामना करना पड़ रहा है. जिसका नतीजा यह है कि पढ़े-लिखे नर्सिंग डिग्रीधारी युवा राहुल ने आखिरकार चाय की दुकान चलाना ही बेहतर समझा.
3 से 5 हजार की नौकरी मिलती है : नर्सिंग डिग्रीधारी युवा राहुल ने बताया कि वर्ष 2018-19 में उसने नर्सिंग की डिग्री हासिल की. उसके बाद बाहर बड़े अस्पतालों में कार्य कर पांच साल का अनुभव भी लिया है. परिवार की समस्या के कारण वह बाहर नहीं जाना चाहता. जिसके चलते कोरोना काल में जिला अस्पताल में नर्सिंग सेवा दी. अब उन्हें वापस निकाल दिया गया है. स्थानीय नर्सिंग होम व अस्पताल में 12 घंटे की नौकरी देकर सिर्फ 3 से 5 हजार प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है, जिससे घर का खर्च बिल्कुल भी नहीं चल पाता है. नर्सिंग के बाद सोचा था कि नौकरी लग जाएगी और वह लोगों की सेवा कर पाएंगे. लेकिन नर्सिंग की डिग्री के बाद भी उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा है.
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डिग्री लेने में 3 से 4 लाख रुपये खर्च : डिग्रीधारी युवा राहुल ने बताया कि नर्सिंग की डिग्री के दौरान 3 से 4 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं. आज शहर में कई निजी नर्सिंग कॉलेज खुल गए हैं. जोकि मोटी फीस लेकर ट्रेनिंग देकर अच्छी नौकरी के सपने दिखाते हैं. लेकिन वास्तव में 3 से 5 हजार का जॉब मिलता है और 12 घंटे काम करना है. वहीं सरकारी नौकरी की कोचिंग तैयारी के लिए बाहर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है. जिस पर भी करीब एक से डेढ़ लाख रुपए खर्चा आता है. अब गरीब युवा ऐसे में क्या करें. इसके चलते उन्होंने चाय की दुकान लगाई है.