नरसिंहपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है. ग्वाल बाल नृत्य करते हैं और इनको जगाते हैं. इस साल गोवर्धन पूजा 15 नवंबर यानि रविवार को मनाई गई है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस पर्व पर गोवर्धन और गाय माता की पूजा-अर्चना करने की परंपरा है. इस त्योहार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है.
आचार्य पंडित रामप्रसाद दुबे के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से इंद्रदेव की पूजा करने के बजाए गोवर्धन की पूजा करने को कहा. इससे पहले गोकुल के लोग इंद्रदेव को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा करते थे. भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से कहा कि गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके जानवरों को खाने के लिए चारा मिलता है. गोर्वधन पर्वत के कारण ही गोकुल में बारिश होती है.
इसलिए इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए. जब इंद्रदेव को श्रीकृष्ण की इस बात के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत क्रोध आया और बृज में तेज मूसलाधार बारिश शुरू कर दी.
तब श्रीकृष्ण भगवान ने बृज के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया. तब बृज के लोगों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया था. इससे खुश होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था इसी दिन ग्वाल जाति के लोगों के घर में पहुंचकर गोवर्धन पर्वत मैं विराजमान भगवान श्री कृष्ण को जगाते हैं और नित्य करके उनसे सुख समृद्धि की कामना करते हैं.
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं. दिवाली के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस साल गोवर्धन पूजा 15 नवंबर 2020 को है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गोवर्धन और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं.