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गर्मी आते ही नरसिंहपुर में गहराया जलसंकट, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा करोड़ों का डैम

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Published : May 25, 2020, 4:55 PM IST

गर्मी आते ही नरसिंहपुर में जलसंकट गरहाने लगा है. तेंदूखेड़ा तहसील की ग्राम पंचायत ढिलबार में पानी की समस्या के चलते मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत 1 करोड़ 6 लाख की लागत से डैम का निर्माण कराया गया था, लेकिन बारिश में डैम फूट गया था और अब ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.

Corruption in a dam
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा करोड़ों की लागत से बना डैम,

नरसिंहपुर। जिले की तेंदूखेड़ा तहसील की ग्राम पंचायत ढिलबार में इन दिनों पेयजल का संकट गहराया है. स्थानीय हेंडपम्पों से भी पानी नहीं निकल रहा है, जिसके चलते ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. ग्राम पंचायत के लोगों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत 1 करोड़ 6 लाख की लागत से डैम का निर्माण कराया गया. जिससे लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सके, लेकिन डैम निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.


बारिश के समय में ही डैम फूट गया था. जैसे-तैसे ठेकेदार द्वारा डैम का रखरखाव किया गया, लेकिन भ्रष्टाचार से बने डैम में एक बूंद भी पानी नहीं बचा. अब चावरपाठा विकास खंड की ग्राम पंचायत ढिलबार में पानी की समस्या गहरा गई है, यहां के लोग पीने के लिए पानी और नहाने-धोने के लिए खेतों में खुदे कुओं से पानी भरकर सिर पर या साईकिलों पर कुप्पा टांग कर लाया करते हैं. सम्पूर्ण ग्राम मजदूरी पर निर्भर है, दिनभर मजदूरी करते हैं और रात को पानी भरकर लाते हैं. पथरीला क्षेत्र होने के कारण जमीन के नीचे दूर-दूर तक पानी नहीं है.

नरसिंहपुर। जिले की तेंदूखेड़ा तहसील की ग्राम पंचायत ढिलबार में इन दिनों पेयजल का संकट गहराया है. स्थानीय हेंडपम्पों से भी पानी नहीं निकल रहा है, जिसके चलते ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. ग्राम पंचायत के लोगों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत 1 करोड़ 6 लाख की लागत से डैम का निर्माण कराया गया. जिससे लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सके, लेकिन डैम निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.


बारिश के समय में ही डैम फूट गया था. जैसे-तैसे ठेकेदार द्वारा डैम का रखरखाव किया गया, लेकिन भ्रष्टाचार से बने डैम में एक बूंद भी पानी नहीं बचा. अब चावरपाठा विकास खंड की ग्राम पंचायत ढिलबार में पानी की समस्या गहरा गई है, यहां के लोग पीने के लिए पानी और नहाने-धोने के लिए खेतों में खुदे कुओं से पानी भरकर सिर पर या साईकिलों पर कुप्पा टांग कर लाया करते हैं. सम्पूर्ण ग्राम मजदूरी पर निर्भर है, दिनभर मजदूरी करते हैं और रात को पानी भरकर लाते हैं. पथरीला क्षेत्र होने के कारण जमीन के नीचे दूर-दूर तक पानी नहीं है.

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