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नरसिंहपुर: बम्हनी गांव में नल-जल योजना ठप, सूखे जलाशय में कुआं खोदकर प्यास बुझा रहे ग्रामीण

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Published : May 26, 2020, 10:13 PM IST

नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव विकासखंड के आदिवासी गांव बम्हनी में ग्रामीणों को हर गर्मी में पानी की समस्या से जूझना पड़ता है, इतना ही नहीं यहां ग्रामीण जलाश्य में गड्ढे खोदकर खुद पानी आपूर्ति करने को मजबूर हैं.

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नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर गोटेगांव विकासखंड स्थित आदिवासी बम्हनी गांव का जहां ग्रामीण गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं. यहां नल जल योजना बंद पड़ी है, सुधार कार्य के नाम पर एक मोटर डाल दी गई है, जिसका पानी बहुत ही धीमा आता है और कुछ देर चलने के बाद बंद हो जाता है, जो 3 महीने बाद अभी सुधारी गई है.

बम्हनी गांव में नल जल योजना ठप

जल संकट से जूझ रहे गांव के लोगों को कई किलोमीटर दूर से पानी ढोते देखने के नजारे आम हो चुके हैं, लेकिन प्यास बुझाने के लिए हफ्ते, दो हफ्ते में कुआं खोदने की घटनाएं सहज नहीं हैं. ऐसे हालात इन दिनों गोटेगांव तहसील मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर आदिवासी बम्हनी गांव के हैं. बुरैना ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले बम्हनी गांव में ग्रामीण गर्मी के मौसम में सूखे जलाशय में हफ्ते, दो हफ्ते में कुआं नुमा गड्ढा खोदकर मट मेले पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर रहते हैं, वर्तमान में भी ऐसे ही हालात हैं.

बम्हनी में यूं तो जल संकट कोई नई समस्या नहीं है, हर साल यहां मार्च से ही ग्रामीणों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है, यह हालात बारिश के मौसम तक बरकरार रहते हैं. गांव में जलाशय का निर्माण किया गया है, लेकिन यह गर्मी में सूख जाता है. वहीं ग्राम पंचायत के अंतर्गत नल जल योजना भी संचालित है, लेकिन वर्तमान में यह बंद पड़ी है. योजना के अंतर्गत खोदे गए दोनों नलकूप बंद पड़े हैं, इसकी वजह भूजल स्तर में कमी तो एक नलकूप की मोटर खराब होना बताया जा रहा है. इसके चलते ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए जलाशय के तल को खोदना पड़ता है.

पूरे जलाशय में हो चुकी है खुदाई

बम्हनी गांव में स्थित जलाशय में ग्रामीण 10 से 12 फीट तक का कुआं नुमा गड्ढा खोदकर मटमैला पानी निकालकर इसे निस्तार में इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. अब तक पूरे जलाशय क्षेत्र में करीब 1 दर्जन से अधिक गड्ढे खोदे जा चुके हैं, इनको खोदने से लेकर पानी भरने तक पुरुष, महिलाएं व बच्चे सभी सहभागी रहते हैं, ये जो जलाशय हैं वो लगभग 10 एकड़ के दायरे में फैला हुआ है.

जलसंधारण विभाग द्वारा पहाड़ों से आने वाले बरसाती पानी को एकत्रित करने और इसका इस्तेमाल नहरों के माध्यम से करने के लिए बम्हनी गांव में जलाशय का निर्माण कराया गया है. करीब 10 एकड़ दायरे में फैला यह जलाशय हर साल बारिश के मौसम में लबालब हो जाता है, इससे गर्मी के पहले तक ग्रामीणों की प्यास बुझती रहती है, साथ ही खेती के काम में इस पानी का इस्तेमाल होता है, गर्मी के मौसम में यह सूख जाता है, हालांकि तल की नमी बरकरार रहती है. जिससे गड्ढे करने से 10-12 फीट की गहराई से मटमैला पानी निकल आता है.

ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या लगातार बनी हुई है. करीबन 3 महीने से नलकूप की मोटर खराब है और यहां सुधार कार्य भी नहीं हो रहा है, बड़ी मेहनत और मशक्कत से पानी ढोने का काम महिलाएं दो-तीन किलोमीटर दूर से, जलाशय की ताल से कुआं खोदकर पानी लाती हैं और घर वालों की और अपनी प्यास बुझाती हैं.

ग्राम पंचायत सचिव ने बताया कि यहां पर आठ-दस नलकूप के गड्ढे कराए जा चुके हैं, लेकिन वह सब फेल होते जा रहे हैं. यहां पर जलस्तर काफी नीचे है और जिसके कारण यह समस्या बनी हुई है. वहीं फिर से प्रतिवेदन तैयार कर जलसंधारण विभाग को भेजा है, जिससे नया गड्ढा कराया जा सके और ग्रामीणों की समस्या को जल्द से जल्द निपटाने का कार्य किया सके.

नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर गोटेगांव विकासखंड स्थित आदिवासी बम्हनी गांव का जहां ग्रामीण गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं. यहां नल जल योजना बंद पड़ी है, सुधार कार्य के नाम पर एक मोटर डाल दी गई है, जिसका पानी बहुत ही धीमा आता है और कुछ देर चलने के बाद बंद हो जाता है, जो 3 महीने बाद अभी सुधारी गई है.

बम्हनी गांव में नल जल योजना ठप

जल संकट से जूझ रहे गांव के लोगों को कई किलोमीटर दूर से पानी ढोते देखने के नजारे आम हो चुके हैं, लेकिन प्यास बुझाने के लिए हफ्ते, दो हफ्ते में कुआं खोदने की घटनाएं सहज नहीं हैं. ऐसे हालात इन दिनों गोटेगांव तहसील मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर आदिवासी बम्हनी गांव के हैं. बुरैना ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले बम्हनी गांव में ग्रामीण गर्मी के मौसम में सूखे जलाशय में हफ्ते, दो हफ्ते में कुआं नुमा गड्ढा खोदकर मट मेले पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर रहते हैं, वर्तमान में भी ऐसे ही हालात हैं.

बम्हनी में यूं तो जल संकट कोई नई समस्या नहीं है, हर साल यहां मार्च से ही ग्रामीणों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है, यह हालात बारिश के मौसम तक बरकरार रहते हैं. गांव में जलाशय का निर्माण किया गया है, लेकिन यह गर्मी में सूख जाता है. वहीं ग्राम पंचायत के अंतर्गत नल जल योजना भी संचालित है, लेकिन वर्तमान में यह बंद पड़ी है. योजना के अंतर्गत खोदे गए दोनों नलकूप बंद पड़े हैं, इसकी वजह भूजल स्तर में कमी तो एक नलकूप की मोटर खराब होना बताया जा रहा है. इसके चलते ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए जलाशय के तल को खोदना पड़ता है.

पूरे जलाशय में हो चुकी है खुदाई

बम्हनी गांव में स्थित जलाशय में ग्रामीण 10 से 12 फीट तक का कुआं नुमा गड्ढा खोदकर मटमैला पानी निकालकर इसे निस्तार में इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. अब तक पूरे जलाशय क्षेत्र में करीब 1 दर्जन से अधिक गड्ढे खोदे जा चुके हैं, इनको खोदने से लेकर पानी भरने तक पुरुष, महिलाएं व बच्चे सभी सहभागी रहते हैं, ये जो जलाशय हैं वो लगभग 10 एकड़ के दायरे में फैला हुआ है.

जलसंधारण विभाग द्वारा पहाड़ों से आने वाले बरसाती पानी को एकत्रित करने और इसका इस्तेमाल नहरों के माध्यम से करने के लिए बम्हनी गांव में जलाशय का निर्माण कराया गया है. करीब 10 एकड़ दायरे में फैला यह जलाशय हर साल बारिश के मौसम में लबालब हो जाता है, इससे गर्मी के पहले तक ग्रामीणों की प्यास बुझती रहती है, साथ ही खेती के काम में इस पानी का इस्तेमाल होता है, गर्मी के मौसम में यह सूख जाता है, हालांकि तल की नमी बरकरार रहती है. जिससे गड्ढे करने से 10-12 फीट की गहराई से मटमैला पानी निकल आता है.

ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या लगातार बनी हुई है. करीबन 3 महीने से नलकूप की मोटर खराब है और यहां सुधार कार्य भी नहीं हो रहा है, बड़ी मेहनत और मशक्कत से पानी ढोने का काम महिलाएं दो-तीन किलोमीटर दूर से, जलाशय की ताल से कुआं खोदकर पानी लाती हैं और घर वालों की और अपनी प्यास बुझाती हैं.

ग्राम पंचायत सचिव ने बताया कि यहां पर आठ-दस नलकूप के गड्ढे कराए जा चुके हैं, लेकिन वह सब फेल होते जा रहे हैं. यहां पर जलस्तर काफी नीचे है और जिसके कारण यह समस्या बनी हुई है. वहीं फिर से प्रतिवेदन तैयार कर जलसंधारण विभाग को भेजा है, जिससे नया गड्ढा कराया जा सके और ग्रामीणों की समस्या को जल्द से जल्द निपटाने का कार्य किया सके.

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