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दोस्त के साथ महाकुंभ नहाने छत्तीसगढ़ से साइकल पर निकले पड़े निर्भय, तीन दिन में पहुंचे शहडोल - PRAYAGRAJ MAHA KUMBH

छत्तीसगढ़ के निर्भय लिल्लारे और भेदुराम मंडावी प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए साइकल से ही निकल पड़े हैं. इसके पीछे एक विशेष वजह बताई है.

Nirbhay Lillare and Bheduram Mandavi of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के निर्भय लिल्लारे और भेदुराम मंडावी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 28, 2025, 7:06 AM IST

Updated : Jan 28, 2025, 7:15 AM IST

शहडोल: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि 144 साल बाद ऐसा संयोग बना है, जिसे महाकुंभ कहा जा रहा है. इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. लेकिन कुछ लोग इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने की जद्दोजहद में सुर्खियां बन रहे हैं. छत्तीसगढ़ के निर्भय लिल्लारे और भेदुराम मंडावी की कहनी भी कुछ ऐसी ही है. दोनों छत्तीसगढ़ से प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए साइकल से ही निकल पड़े हैं. और उसके पीछे भी एक विशेष वजह बताते हैं.

उठाया साइकल, निकल पड़े प्रयागराज

जनवरी का महीना चल रहा है, कड़ाके की ठंड पड़ रही है. जंगली एरिया है और रात को 8 बज रहे थे. हमें बीच रास्ते पर दो ऐसे लोग मिले जिन्होंने साइकिल से ही महाकुंभ जाने के लिए ठाना है. उनमें से एक निर्भय लिल्लारे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ डोंगरगढ़ के पास उनका गांव है और वहां से वे लोग 25 जनवरी को सुबह 5:18 बजे से घर से चले हैं. सोमवार को उनकी यात्रा का तीसरा दिन था और वे लगातार साइकिल चलाते जा रहे थे क्योंकि उन्हें जल्दबाजी थी और उनका लक्ष्य था कि हर हाल में 29 तारीख को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचना है.

अमृत स्नान में शामिल होने का प्लान

निर्भय लिल्लारे बताते हैं "हमारा लक्ष्य है कि हमें हर हाल में 29 जनवरी तक प्रयागराज पहुंचना है क्योंकि उस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होने जा रहा है. इसी दिन मौनी अमावस्या है और मौनी अमावस्या का खास महत्व है."

144 साल बाद ऐसा, इसलिए कुछ अलग जरूरी

जब हमने उनसे पूछा कि आप लोग साइकल से क्यों जा रहे हैं, तो निर्भय ने कहा "144 साल बाद महाकुंभ पड़ रहा है. हमारे जीवन में अब दूसरी बार ऐसा अवसर नहीं आएगा. हम इस अवसर को यादगार बनाने के लिए काफी दिन से सोच रहे थे कि आखिर कैसे महाकुंभ में शामिल होने जाएं. पहले हमने मोटरसाइकिल से जाने के बारे में सोचा लेकिन उसकी व्यवस्था नहीं हो सकी. तो साइकिल से ही निकलने का प्लान बना लिया लेकिन जब निकलने लगे तो मेरे मित्र भेदूराम मंडावी भी जाने कि लिए तैयार हो गए. हम दोनों दोस्त मिलकर साइकिल से प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने जा रहे हैं."

कितनी दूरी तय करेंगे

बता दें छत्तीसगढ़ से प्रयागराज के बीच काफी दूरी है. उन्होंने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ के रहने वाले हैं. उनका गांव डोंगरगढ़ के पास है जहां से प्रयागराज की दूरी लगभग 850 किलोमीटर है. लेकिन उन्होंने तय कर लिया है कि वे साइकिल से प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान में शामिल होंगे.

शहडोल: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि 144 साल बाद ऐसा संयोग बना है, जिसे महाकुंभ कहा जा रहा है. इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. लेकिन कुछ लोग इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने की जद्दोजहद में सुर्खियां बन रहे हैं. छत्तीसगढ़ के निर्भय लिल्लारे और भेदुराम मंडावी की कहनी भी कुछ ऐसी ही है. दोनों छत्तीसगढ़ से प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए साइकल से ही निकल पड़े हैं. और उसके पीछे भी एक विशेष वजह बताते हैं.

उठाया साइकल, निकल पड़े प्रयागराज

जनवरी का महीना चल रहा है, कड़ाके की ठंड पड़ रही है. जंगली एरिया है और रात को 8 बज रहे थे. हमें बीच रास्ते पर दो ऐसे लोग मिले जिन्होंने साइकिल से ही महाकुंभ जाने के लिए ठाना है. उनमें से एक निर्भय लिल्लारे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ डोंगरगढ़ के पास उनका गांव है और वहां से वे लोग 25 जनवरी को सुबह 5:18 बजे से घर से चले हैं. सोमवार को उनकी यात्रा का तीसरा दिन था और वे लगातार साइकिल चलाते जा रहे थे क्योंकि उन्हें जल्दबाजी थी और उनका लक्ष्य था कि हर हाल में 29 तारीख को प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचना है.

अमृत स्नान में शामिल होने का प्लान

निर्भय लिल्लारे बताते हैं "हमारा लक्ष्य है कि हमें हर हाल में 29 जनवरी तक प्रयागराज पहुंचना है क्योंकि उस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होने जा रहा है. इसी दिन मौनी अमावस्या है और मौनी अमावस्या का खास महत्व है."

144 साल बाद ऐसा, इसलिए कुछ अलग जरूरी

जब हमने उनसे पूछा कि आप लोग साइकल से क्यों जा रहे हैं, तो निर्भय ने कहा "144 साल बाद महाकुंभ पड़ रहा है. हमारे जीवन में अब दूसरी बार ऐसा अवसर नहीं आएगा. हम इस अवसर को यादगार बनाने के लिए काफी दिन से सोच रहे थे कि आखिर कैसे महाकुंभ में शामिल होने जाएं. पहले हमने मोटरसाइकिल से जाने के बारे में सोचा लेकिन उसकी व्यवस्था नहीं हो सकी. तो साइकिल से ही निकलने का प्लान बना लिया लेकिन जब निकलने लगे तो मेरे मित्र भेदूराम मंडावी भी जाने कि लिए तैयार हो गए. हम दोनों दोस्त मिलकर साइकिल से प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने जा रहे हैं."

कितनी दूरी तय करेंगे

बता दें छत्तीसगढ़ से प्रयागराज के बीच काफी दूरी है. उन्होंने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ के रहने वाले हैं. उनका गांव डोंगरगढ़ के पास है जहां से प्रयागराज की दूरी लगभग 850 किलोमीटर है. लेकिन उन्होंने तय कर लिया है कि वे साइकिल से प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान में शामिल होंगे.

Last Updated : Jan 28, 2025, 7:15 AM IST
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