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पीला मोजेक रोग लगने से सोयाबीन की फसल खराब, मुआवजे की मांग

जिले में बारिश नहीं होने से सोयाबीन की फसल में पीला मोजैक रोग लग गया है, जिससे फसल खराब होने लगी है. गोटेगांव में करीब 8 हजार हैक्टेयर में खरीफ की फसल की बोवनी की गई थी, जिसमें करीब 80 फीसदी फसल खराब हो गई है. किसानों सरकार से मुआवजे की मांग की है.

80 percent of crop loss
फसल खराब
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Published : Sep 8, 2020, 8:15 PM IST

नरसिंहपुर। जिले में खरीफ की फसल को इस बार बेहद नुकसान हुआ है. पहले कम वर्षा होने के चलते खरीफ की फसलों में पीला मोजेक रोग लग गया था, जिसके बाद किसानों ने प्राथमिक उपचार करते हुए फसल को बनाए रखा, लेकिन उसके बाद ज्यादा बारिश होने से खरीफ की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है, जिसके चलते किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है. जिले के गोटेगांव में करीब 8 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बोवनी की गई थी, जिसमें करीब 80 फीसदी फसल खराब हो गई है. किसान सर्वे कराकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

फसल खराब

पहले कम पानी गिरने से सोयाबीन की फसल में पीला मौजेक रोग लगा था, जिससे किसानों को चिंता सताने लगी थी. कृषि अधिकारियों ने स्थिति देख किसानों को अलर्ट किया और जरूरी सलाह दी. जून में पानी गिरने से किसानों ने जल्दबाजी में सोयाबीन की बोवनी कर दी थी, लेकिन जिले में बारिश नहीं होने से फसलों में पीला मौजेक लग गया. रोग से छुटकारे के लिए किसान कीटनाशक डाल रहे हैं, लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हो रहा है.

कृषि विस्तार अधिकारी डीपी मेहरा ने बताया कि जिन फसलों में पीले पत्ते हैं, उसे पीला मौजेक रोग कहते हैं. यह रोग बारिश के अभाव में और गर्मी में सफेद मक्खी लगने से फैलता है. असल में पीला मजेक लगने से करीब 80 फीसदी फसल खराब हो जाती है. कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी गांवों का दौरा कर किसानों को सलाह दे रहे हैं, जिससे फसल को बचाया जा सकें और सर्वे का किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

नरसिंहपुर। जिले में खरीफ की फसल को इस बार बेहद नुकसान हुआ है. पहले कम वर्षा होने के चलते खरीफ की फसलों में पीला मोजेक रोग लग गया था, जिसके बाद किसानों ने प्राथमिक उपचार करते हुए फसल को बनाए रखा, लेकिन उसके बाद ज्यादा बारिश होने से खरीफ की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है, जिसके चलते किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है. जिले के गोटेगांव में करीब 8 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बोवनी की गई थी, जिसमें करीब 80 फीसदी फसल खराब हो गई है. किसान सर्वे कराकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

फसल खराब

पहले कम पानी गिरने से सोयाबीन की फसल में पीला मौजेक रोग लगा था, जिससे किसानों को चिंता सताने लगी थी. कृषि अधिकारियों ने स्थिति देख किसानों को अलर्ट किया और जरूरी सलाह दी. जून में पानी गिरने से किसानों ने जल्दबाजी में सोयाबीन की बोवनी कर दी थी, लेकिन जिले में बारिश नहीं होने से फसलों में पीला मौजेक लग गया. रोग से छुटकारे के लिए किसान कीटनाशक डाल रहे हैं, लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हो रहा है.

कृषि विस्तार अधिकारी डीपी मेहरा ने बताया कि जिन फसलों में पीले पत्ते हैं, उसे पीला मौजेक रोग कहते हैं. यह रोग बारिश के अभाव में और गर्मी में सफेद मक्खी लगने से फैलता है. असल में पीला मजेक लगने से करीब 80 फीसदी फसल खराब हो जाती है. कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी गांवों का दौरा कर किसानों को सलाह दे रहे हैं, जिससे फसल को बचाया जा सकें और सर्वे का किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है. किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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