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नरसिंहपुर : इस गांव में दिखती है सामाजिक समरसता की झलक, जानिए कैसे - नरसिंहपुर

मौजूदा दौर में जहां समाज में कटुता बढ़ती जा रही है, वहीं नरसिंहपुर जिले का निवारीपान गांव जाति-धर्म के नाम पर बांटने की जगह इंसानियत का पाठ पढ़ा रहा है. यहां सभी धर्म, जाति, संप्रदाय के लोग एक साथ खड़े होकर मां की आराधना करते हैं और देश को शांति और भाईचारा का संदेश देते हैं.

सामाजिक समरसता की झलक
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Published : Oct 6, 2019, 10:35 PM IST

नरसिंहपुर। आज के दौर में जब मजहब के नाम पर इतने विवाद सामने आते हैं, कई बार बड़ी दुर्घटनाएं का कारण बन जाते हैं. ऐसे में नरसिंहपुर जिले का एक गांव है, जहां की मिट्टी को मजहब का रंग ही नहीं मालूम. यहां क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम सभी साथ मिल कर नवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं. यहां इंसानियत के आगे धर्म,जाति, संप्रदाय सब छोटे लगते हैं.

सामाजिक समरसता की झलक

ये झलक है निवारीपान गांव की जहां माता के नौ रूपों की स्थापना की गई है और ये मूर्तियों कहीं बाहर से नहीं मंगाई गईं बल्कि इन्हें आकार दिया है गांव के ही रहीम खान ने, रहीम पिछले 15 सालों से यहां स्थापित होने वाली माता रानी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. इस काम में रहीम का साथ देते हैं केशव चौरसिया और राजू चौरसिया. ये पूरा काम इस समिति के लिए नि:शुल्क होता है. इतना ही नहीं यहां मोहर्रम में हिंदू सजदा करते हैं तो नवरात्र में मुस्लिम टोपी लगा कर माता रानी के दरबार में आराधना.

सालों से चली आ रही समरसता की इस परमंपरा को देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग जुटते हैं. समिती के सदस्य सरताज खान बताते हैं कि ये परंपरा पिछले चालीस सालों से चली आ रहा है. यह सांप्रदायिक सौहार्द की वो अनूठी तस्वीर है जो देश के लिए एक सूत्र में पिरोने का पैगाम देती है.

नरसिंहपुर। आज के दौर में जब मजहब के नाम पर इतने विवाद सामने आते हैं, कई बार बड़ी दुर्घटनाएं का कारण बन जाते हैं. ऐसे में नरसिंहपुर जिले का एक गांव है, जहां की मिट्टी को मजहब का रंग ही नहीं मालूम. यहां क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम सभी साथ मिल कर नवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं. यहां इंसानियत के आगे धर्म,जाति, संप्रदाय सब छोटे लगते हैं.

सामाजिक समरसता की झलक

ये झलक है निवारीपान गांव की जहां माता के नौ रूपों की स्थापना की गई है और ये मूर्तियों कहीं बाहर से नहीं मंगाई गईं बल्कि इन्हें आकार दिया है गांव के ही रहीम खान ने, रहीम पिछले 15 सालों से यहां स्थापित होने वाली माता रानी की प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. इस काम में रहीम का साथ देते हैं केशव चौरसिया और राजू चौरसिया. ये पूरा काम इस समिति के लिए नि:शुल्क होता है. इतना ही नहीं यहां मोहर्रम में हिंदू सजदा करते हैं तो नवरात्र में मुस्लिम टोपी लगा कर माता रानी के दरबार में आराधना.

सालों से चली आ रही समरसता की इस परमंपरा को देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग जुटते हैं. समिती के सदस्य सरताज खान बताते हैं कि ये परंपरा पिछले चालीस सालों से चली आ रहा है. यह सांप्रदायिक सौहार्द की वो अनूठी तस्वीर है जो देश के लिए एक सूत्र में पिरोने का पैगाम देती है.

Intro:नवरात्र के इस पावन अवसर में देखिए एक ऐसे गांव के रंग,जहां की मिट्टी नहीं जानती मजहबों में अंतर... जी हां, यहां क्या हिंदू- क्या मुस्लिम ? सभी मिलकर माता रानी की मनोहारी छवि को नवरात्रि के पहले से ही देते हैं आकार और नवरात्र भर करते हैं मां की आराधना... जहां इंसानियत के आगे धर्म,जाति, संप्रदाय बहुत पीछे छूट जाते हैं.... देखिए नरसिंहपुर से हमारी यह रिपोर्ट.Body:नवरात्र के इस पावन अवसर में देखिए एक ऐसे गांव के रंग,जहां की मिट्टी नहीं जानती मजहबों में अंतर... जी हां, यहां क्या हिंदू- क्या मुस्लिम ? सभी मिलकर माता रानी की मनोहारी छवि को नवरात्रि के पहले से ही देते हैं आकार और नवरात्र भर करते हैं मां की आराधना... जहां इंसानियत के आगे धर्म,जाति, संप्रदाय बहुत पीछे छूट जाते हैं.... देखिए नरसिंहपुर से हमारी यह रिपोर्ट...
नरसिंहपुर के निवारी पान गांव में माता के नौ देवियों की स्थापना की गई है और माता के इन नौ स्वरूपों को आकार दिया है गांव के रहीम खान ने... जी हां रहीम खान मुस्लिम हैं बाबजूद पिछले 15 सालों से ये गांव में स्थापित होने वाली माता रानी की मुख्य प्रतिमा को आकार देते चले आ रहे हैं । गांव के सबसे बड़े इस त्योहार की सबसे बड़ी ख़ासियत ही यही है कि यहां के ग्रामीण और समिति वाले ही माता रानी की प्रतिमा बनाते हैं और माता की आराधना के लिए आसपास के कई गांवों के लोग जुटते हैं । इस गांव के इस मंडल ने न तो कभी माता रानी की मूर्तियां खरीदी और न ही कभी मूर्तिकार से मूर्तियां नही लीं...  गांव के केशव चौरसिया व राजू चौरसिया पिछले चालीस साल से मिट्टी गूंथने से लेकर प्रतिमा बनाने का कार्य निशुल्क करते आ रहे हैं और इनका बखूबी साथ देते हैं रहीम खान... ये सब इसी दुर्गा समिति के सदस्य भी हैं और मूर्तियां बनाने वाले भी...
सिर्फ रहीम खान ही नहीं बल्कि रहीम खान जैसे कई मुस्लिम भी इस समिति के सदस्य हैं । इस गांव ने कभी सांप्रदायिक मतभेद नहीं देखा और उसी की बानगी है कि हिंदू मुस्लिम त्योहारों में एक दूसरे का सहयोग बेजोड़ रहा है । मोहर्रम में हिंदु भाई यहां सजदा करते हैं तो नवरात्र में मुस्लिम भाई अपनी टोपी लगा कर माता रानी के दरबार में उनकी आराधना...  यह सांप्रदायिक सौहार्द की वो अनूठी तस्वीर है जो देश के लिए एक सूत्र में पिरोने का पैगाम देती है... ग्रामीणों ने इस बार नौ देवियों को भगवान महादेव की परिक्रमा स्वरूप में स्थापित किया है यानी निवारी गांव के मुख्य बाजार में बरगद के इस विशाल पेड़ के नीचे विराजे भगवान महादेव की नौ देवियां परिक्रमा कर रही हैं... शाम होते ही यह भक्तों को पैर रखने की जगह भी नहीं होती और परिक्रमा करती हुई नौ देवियों की आराधना में सारा गांव डूब जाता है...
सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोग यहां एक साथ खड़े होकर मां की आराधना करते हैं और देश को देते हैं अमन चैन और शांति के साथ भाईचारा का संदेश...
मौजूदा दौर में परिवारों में बढ़ रही कटुता के लिए यह गांव किसी सबक से कम नही... जहां जाति या धर्म के नाम पर बांटने का नहीं बल्कि इंसानियत के नाम पर जोड़ने का पाठ पढ़ाया जा रहा है ।

वाइट 01 सरताज खान समिति सदस्य
वाइट 02 धनीराम समिति सदस्यConclusion: सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोग यहां एक साथ खड़े होकर मां की आराधना करते हैं और देश को देते हैं अमन चैन और शांति के साथ भाईचारा का संदेश...
मौजूदा दौर में परिवारों में बढ़ रही कटुता के लिए यह गांव किसी सबक से कम नही... जहां जाति या धर्म के नाम पर बांटने का नहीं बल्कि इंसानियत के नाम पर जोड़ने का पाठ पढ़ाया जा रहा है ।
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