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मढ़ई मेले में आदिवासियों के बीच पहुंचे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, ग्वाल नृत्य का उठाया लुफ्त

नरसिंहपुर जिले के ग्राम पंचायत झोंत में आयोजित मढ़ई मेले में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भी पहुंचे. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मेले में पहुंचने से आदिवासियों का उत्साह दोगुना हो गया. शंकराचार्य ने भी आदिवासियों और ग्वालों का जमकर उत्साह वर्दन किया .

मढ़ई मेले में पहुंचे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती
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Published : Nov 5, 2019, 8:13 PM IST

नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश में दीपावली के बाद मढ़ई मेलों का दौर शुरु हो जाता है. प्रदेश का आदिवासी वर्ग खास तौर पर यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाता है. नरसिंहपुर जिले के ग्राम पंचायत झोंत में स्थित परमहंसी गंगाग आश्रम में भी हर साल मढ़ई मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार इस आयोजन में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी पहुंचे.

मढ़ई मेले में आदिवासियों के बीच पहुंचे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मेले में आदिवासियों का पारंपरिक मढ़ई नृत्य भी देखा. मढ़ई मेले में होने वाले आयोजनों में स्थानीय आदिवासी लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मेले में पहुंचने से आदिवासियों का उत्साह दोगुना हो गया. शंकराचार्य ने भी आदिवासियों और ग्वालों का जमकर उत्साह वर्दन किया .

झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में यह आयोजन कई वर्षों से किया जा रहा है. जिसमें अहीर नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. इसके अलावा भी आदिवासी लोग यहां अपने पारंपरिक नृत्य यहां करते हैं.

नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश में दीपावली के बाद मढ़ई मेलों का दौर शुरु हो जाता है. प्रदेश का आदिवासी वर्ग खास तौर पर यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाता है. नरसिंहपुर जिले के ग्राम पंचायत झोंत में स्थित परमहंसी गंगाग आश्रम में भी हर साल मढ़ई मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार इस आयोजन में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी पहुंचे.

मढ़ई मेले में आदिवासियों के बीच पहुंचे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मेले में आदिवासियों का पारंपरिक मढ़ई नृत्य भी देखा. मढ़ई मेले में होने वाले आयोजनों में स्थानीय आदिवासी लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मेले में पहुंचने से आदिवासियों का उत्साह दोगुना हो गया. शंकराचार्य ने भी आदिवासियों और ग्वालों का जमकर उत्साह वर्दन किया .

झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में यह आयोजन कई वर्षों से किया जा रहा है. जिसमें अहीर नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है. इसके अलावा भी आदिवासी लोग यहां अपने पारंपरिक नृत्य यहां करते हैं.

Intro:
दीपावली त्योहारों के संपन्न होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में मड़ाई मेलों का दौर प्रारंभ हो जाता है परमहंसी गंगा आश्रम के किनारे जहां चारों ओर घने जंगलों से प्राकृतिक सुंदर से भरपूर एक अलग पहचान जाने वाला परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर मैं देखने को मिला जो लगभग एक माह तक चलता रहता हैBody:आदिवासियों के बीच मडई में पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज

दीपावली त्योहारों के संपन्न होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में मड़ाई मेलों का दौर प्रारंभ हो जाता है परमहंसी गंगा आश्रम के किनारे जहां चारों ओर घने जंगलों से प्राकृतिक सुंदर से भरपूर एक अलग पहचान जाने वाला परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर मैं देखने को मिला जो लगभग एक माह तक चलता रहता है
ग्रामीण क्षेत्रों में इन मढ़ई मेलों का अपना एक अलग ही महत्व है, एक दिवसीय इन मढ़ई मेलों में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं।
इन मढ़ई मेलों में ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्र के दुकानदार अपनी दुकानें लेकर पहुंचते हैं, दुकानदार कहते हैं ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री अधिक होती है, और मुनाफा भी अच्छा होता है।
गोटेगांव ब्लाक ग्राम पंचायत झोंत
झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम आयोजन किया जाता है की मढ़ई के सम्बंध में ग्रामीण बताते हैं कि यह मढ़ई सैकड़ों वर्षों से यहां मड़ाई का आयोजन होता आ रहा है मढ़ई में अहीर नृत्य मुख्य आकर्षण का केन्द्र होते हैं।
इस अवसर पर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज मडई में पहुंचे जिससे आदिवासियों एवं अहीर नृत्य करने वाले ग्वालो उत्साह बढ़ गया

वाइट 01 मुन्ना लाल यादव (मड़ाई मेला समिति सदस्य)Conclusion:इस अवसर पर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज मडई में पहुंचे जिससे आदिवासियों एवं अहीर नृत्य करने वाले ग्वालो उत्साह बढ़ गया
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