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धरती की गर्मी से होगा बिजली का उत्पादन, भौतिक वैज्ञानिक ने की नई तकनीक की खोज - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस

जिले के एक भौतिक वैज्ञानिक ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है, जो धरती की गर्मी से बिजली बना सकती है. इस तकनीक का पेटेंट भी करा लिया गया है. यह टेक्नोलॉजी ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है.

electricity production
बिजली का उत्पादन
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Published : Aug 1, 2020, 7:24 PM IST

नरसिंहपुर। जिले के गोटेगांव के भौतिक वैज्ञानिक ने एक नई तकनीक की खोज की है, जो धरती की गर्मी से बिजली उत्पादन की टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इस तकनीकी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट भी किया गया है. अभी तक सौर ऊर्जा को ही प्राकृतिक ऊर्जा का सबसे सुरक्षित स्रोत माना जाता था, लेकिन इस नई टेक्नोलॉजी से धरती की भीतर की गर्मी को रिसाइकल कर बिजली उत्पादन का अनोखा तरीका निकाला गया है. इससे ईधन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और यह सौर ऊर्जा से भी बेहद सस्ता पड़ेगा.

बिजली का उत्पादन

सबसे खास बात यह है कि सौर ऊर्जा की पैनल कोशिकाओं और सौर पैनल में लगने वाले सिलिकॉन वेफर्स के लिए भी हमें चीन पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन संबलपुर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले जिले के गोटेगांव के देवेंद्र पुरोहित ने तापमान का फायदा उठाते हुए बिजली निर्माण की नई तकनीक को इजाद किया है.

भौतिक वैज्ञानिक देवेंद्र पुरोहित के मुताबिक इस तकनीक से ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई जा सकती है. वे इस पेटेंट को भारत सरकार को डोनेट भी करना चाहते हैं. इस टेक्नोलॉजी की व्यवहारिकता पर बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस मुहर लगा चुकी है और उन्हें इसका अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी मिल गया है.

नरसिंहपुर। जिले के गोटेगांव के भौतिक वैज्ञानिक ने एक नई तकनीक की खोज की है, जो धरती की गर्मी से बिजली उत्पादन की टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इस तकनीकी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट भी किया गया है. अभी तक सौर ऊर्जा को ही प्राकृतिक ऊर्जा का सबसे सुरक्षित स्रोत माना जाता था, लेकिन इस नई टेक्नोलॉजी से धरती की भीतर की गर्मी को रिसाइकल कर बिजली उत्पादन का अनोखा तरीका निकाला गया है. इससे ईधन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और यह सौर ऊर्जा से भी बेहद सस्ता पड़ेगा.

बिजली का उत्पादन

सबसे खास बात यह है कि सौर ऊर्जा की पैनल कोशिकाओं और सौर पैनल में लगने वाले सिलिकॉन वेफर्स के लिए भी हमें चीन पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन संबलपुर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले जिले के गोटेगांव के देवेंद्र पुरोहित ने तापमान का फायदा उठाते हुए बिजली निर्माण की नई तकनीक को इजाद किया है.

भौतिक वैज्ञानिक देवेंद्र पुरोहित के मुताबिक इस तकनीक से ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई जा सकती है. वे इस पेटेंट को भारत सरकार को डोनेट भी करना चाहते हैं. इस टेक्नोलॉजी की व्यवहारिकता पर बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस मुहर लगा चुकी है और उन्हें इसका अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी मिल गया है.

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