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डामर प्लांट बना जी का जंजाल, सांस लेने में भी ग्रामीणों को लगता है डर

जिले के बेहर गांव में 5 साल पहले लगे डामर प्लांट से उड़ती मिट्टी की जद में लोग बीमार हो रहे हैं, लोगों के जीने के लिए पहली जररूत सांस लेने में भी खासी मशक्कत का सामना ग्रामवासियों को करना पड़ रहा है.

बेहर में लगा डामर का प्लांट
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Published : Mar 6, 2019, 11:58 PM IST

नरसिंहपुर। गावों का विकास बहुत जरूरी है, ग्रामीणों की भी इच्छा होती है कि शहर के बाशिंदों की तरह उनका रहन-सहन भी बदलता रहे. गांव की तरक्की के लिये वहां प्लांट लगाकर लोगों को रोजगार के अवसर बनाये जाते हैं, लेकिन जिले के बरमान कला के पास हाईवे से लगे बेहर गांव में एक प्लांट यहां के निवासियों के लिये जी का जंजाल बन गया है.

5 साल पहले लगे इस डामर प्लांट से उड़ती मिट्टी की जद में आने से लोग बीमार हो रहे हैं, लोगों को सांस लेने में भी डर लगता है. इतना ही नहीं ग्रामीण यदि सुबह नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर घर से निकलते हैं तो शाम तक इस डामर प्लांट से उड़ती धूल में सन जाते हैं. गांव की महिलायें बताती हैं कि उनके घरों की छतों से लेकर रसोई के बर्तनों तक इस मिट्टी का ही राज है. थक हार कर वह इस धूल भरी जिंदगी को ही अपनी नियति समझ बैठी हैं. नेशनल हाइवे 26 से लगे हुये इस गांव की व्यथा यह है कि यहां लोग चेहरे पर कपड़ा बांधकर रहने को मजबूर हैं.

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बेहर में लगा डामर का प्लांट

ग्रामवासी बताते हैं कि पांच साल पहले चालू हुए इस डामर प्लांट को एक साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने बंद कराया था, लेकिन अब यह एकाएक शुरू होकर गांववासियों पर आफत बरपा रहा है. वहीं कलेक्टर दीपक सक्सेना से इस विषय में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहली दफा मामला उनके सामने आया है, वह इस पर संज्ञान लेंगे. जिम्मेदारों के सामने ये मामला भले न आया हो, लेकिन इस प्रदूषण की वजह से गांव का विकास भी डामर की कालिख ओढ़ चुका होगा.

नरसिंहपुर। गावों का विकास बहुत जरूरी है, ग्रामीणों की भी इच्छा होती है कि शहर के बाशिंदों की तरह उनका रहन-सहन भी बदलता रहे. गांव की तरक्की के लिये वहां प्लांट लगाकर लोगों को रोजगार के अवसर बनाये जाते हैं, लेकिन जिले के बरमान कला के पास हाईवे से लगे बेहर गांव में एक प्लांट यहां के निवासियों के लिये जी का जंजाल बन गया है.

5 साल पहले लगे इस डामर प्लांट से उड़ती मिट्टी की जद में आने से लोग बीमार हो रहे हैं, लोगों को सांस लेने में भी डर लगता है. इतना ही नहीं ग्रामीण यदि सुबह नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर घर से निकलते हैं तो शाम तक इस डामर प्लांट से उड़ती धूल में सन जाते हैं. गांव की महिलायें बताती हैं कि उनके घरों की छतों से लेकर रसोई के बर्तनों तक इस मिट्टी का ही राज है. थक हार कर वह इस धूल भरी जिंदगी को ही अपनी नियति समझ बैठी हैं. नेशनल हाइवे 26 से लगे हुये इस गांव की व्यथा यह है कि यहां लोग चेहरे पर कपड़ा बांधकर रहने को मजबूर हैं.

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बेहर में लगा डामर का प्लांट

ग्रामवासी बताते हैं कि पांच साल पहले चालू हुए इस डामर प्लांट को एक साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने बंद कराया था, लेकिन अब यह एकाएक शुरू होकर गांववासियों पर आफत बरपा रहा है. वहीं कलेक्टर दीपक सक्सेना से इस विषय में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहली दफा मामला उनके सामने आया है, वह इस पर संज्ञान लेंगे. जिम्मेदारों के सामने ये मामला भले न आया हो, लेकिन इस प्रदूषण की वजह से गांव का विकास भी डामर की कालिख ओढ़ चुका होगा.

Intro:नरसिंहपुर। गावो का विकास बहुत जरूरी है, ग्रामीणों की भी इच्छा होती है कि वह शहर के वाशिंदों की तरह अपने रहन सहन में तकनीकों को शामिल करें इसके लिए ग्रामीण अंचलों में प्लांट लगाए जाते है जिसमे काम करके गांव वालों को रोजगार भी मिलता है और गांव की सूरत भी बदलती नज़र आती है पर नरसिंहपुर जिले के बरमान कला के पास बेहर गांव एक ऐसा गांव है जहाँ विकास के नाम पर लगे डामर प्लांट ने विनाश का रूप ले लिया है।


Body:दरअसल पांच साल पहले लगे इस डामर प्लांट से उड़ती मिट्टी की जद में लोग बीमार हो रहे है, लोगो के जीने के लिए पहली जररूत सांस लेने में भी खासी मशक्कत का सामना ग्रामवासियों को करना पड़ रहा है, गांववाले सुबह नहा धोकर जब साफ कपड़े पहन कर घर के बाहर निकलते है वैसे ही इस डामर की उड़ती धूल में वह लोटपोट हो जाते है।

गांव की महिलाये बताती है कि हमारे घरों की छतों से लेकर रसोई के बर्तनों तक इस मिट्टी का ही राज है थक हार कर वह इस धूल भरी जिंदगी को ही अपनी नियति समझ बैठी है, नेशनल हाइवे 26 से लगे हुए इस गांव की व्यथा यह है कि यहां चेहरे पर कपड़ा बांध कर रहने को मजबूर है।

गांववासी बताते है कि पांच साल पहले चालू हुए इस डामर प्लांट को एक साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने बन्द करवाया था पर अब यह एकाएक शुरू होकर गांववासियो पर आफत बरपा रहा है।

कलेक्टर दीपक सक्सेना से इस विषय में जब पूछा गया तोह उन्होंने बताया कि पहली दफा मामला उनके पास आया है वह इसपर संज्ञान लेगे।


Conclusion:पर गांव की दुर्दशा देखकर विकास भी डामर की कालिख ओढ़ चुका होगा।
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