नरसिंहपुर। गावों का विकास बहुत जरूरी है, ग्रामीणों की भी इच्छा होती है कि शहर के बाशिंदों की तरह उनका रहन-सहन भी बदलता रहे. गांव की तरक्की के लिये वहां प्लांट लगाकर लोगों को रोजगार के अवसर बनाये जाते हैं, लेकिन जिले के बरमान कला के पास हाईवे से लगे बेहर गांव में एक प्लांट यहां के निवासियों के लिये जी का जंजाल बन गया है.
5 साल पहले लगे इस डामर प्लांट से उड़ती मिट्टी की जद में आने से लोग बीमार हो रहे हैं, लोगों को सांस लेने में भी डर लगता है. इतना ही नहीं ग्रामीण यदि सुबह नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर घर से निकलते हैं तो शाम तक इस डामर प्लांट से उड़ती धूल में सन जाते हैं. गांव की महिलायें बताती हैं कि उनके घरों की छतों से लेकर रसोई के बर्तनों तक इस मिट्टी का ही राज है. थक हार कर वह इस धूल भरी जिंदगी को ही अपनी नियति समझ बैठी हैं. नेशनल हाइवे 26 से लगे हुये इस गांव की व्यथा यह है कि यहां लोग चेहरे पर कपड़ा बांधकर रहने को मजबूर हैं.
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ग्रामवासी बताते हैं कि पांच साल पहले चालू हुए इस डामर प्लांट को एक साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने बंद कराया था, लेकिन अब यह एकाएक शुरू होकर गांववासियों पर आफत बरपा रहा है. वहीं कलेक्टर दीपक सक्सेना से इस विषय में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहली दफा मामला उनके सामने आया है, वह इस पर संज्ञान लेंगे. जिम्मेदारों के सामने ये मामला भले न आया हो, लेकिन इस प्रदूषण की वजह से गांव का विकास भी डामर की कालिख ओढ़ चुका होगा.