नरसिंहपुर। जिले के आस पास जिलों में टिड्डी दल के आगमन से किसानों की चिंता बढ़ी हुई है, टिड्डी दल फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है. जिससे निपटने और उसके रोकथाम के लिए कृषि उप संचालक किसान कल्याण ने किसानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं. उप संचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग नरसिंहपुर ने बताया हैकि, टिड्डी दल राजस्थान से होते हुए मध्यप्रदेश में प्रवेश कर गया है. वर्तमान में ये 6 दलों ने मध्यप्रदेश में प्रवेश किया है.
कई जिलों में टिड्डी दल का प्रकोप
उन्होंने कहा कि, एक दल की लम्बाई 4 से 6 किमी और चौड़ाई 1 से 2 किमी है. पहला दल राजस्थान सीमा से मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, हरदा, खरगौन होते हुए आगे बढ़ गया है, जिसके जिले में प्रवेश की संभावना नहीं है. दूसरे दो अन्य दल जो वर्तमान में मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, सीहोर होते हुए होशंगाबाद और रायसेन की ओर बढ़ने को नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता है. दो अन्य दल वर्तमान में आगर-मालवा और श्योपुर जिले में हैं. जिसके यहां आने की संभावना नहीं है.
प्रतिकीट देती है पांच सौ से 15 सौ अंडे
इस प्रकार अगर पड़ोसी जिलों में टिड्डी दल का प्रकोप होता है, तो ऐसी स्थिति में जिले में भी प्रकोप की आशंका बढ़ जाती है. जिसे ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायतों के माध्यम से तत्काल मुनादी करवाकर ग्रामीणजनों को सतर्क करना आवश्यक है. टिड्डी दल समूह रात के समय खेतों में रुक कर फसलों को खाता है और जमीन में लगभग पांच सौ से 15 सौ अंडे प्रतिकीट देकर सुबह उड़कर दूसरी जगह चला जाता है. टिड्डी दल के समूह में लाखों की संख्या होती है. ये जहां भी पेड़-पौधों या अन्य वनस्पति दिखाई देती है, उसको खाकर सामान्य हवा के बहाव की दिशा में आगे बढ़ जाते हैं.
किसानों को सतत निगरानी रखने की दी सलाह
इस संबंध में उप संचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि, वे अपने स्तर पर अपने गांव में समूह बनाकर खेतों में रात्रिकालीन निगरानी कर सावधानी बरतें. उन्होंने कहा है कि, किसान इस कीट की सतत निगरानी रखें. ये कीट किसी भी समय खेतों में आक्रमण कर क्षति पहुंचा सकते हैं. शाम 7 बजे से रात्रि 9 बजे के बीच ये दल रात्रिकालीन विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकते हैं. जिसके कारण सतत निगरानी करते हुए टिड्डी दल के आक्रमण की जानकारी मिलते ही तत्काल स्थानीय प्रशासन को सूचित करें.
परम्परागत उपायों का करें प्रयोग
किसानों को सलाह दी जा रही है कि, अगर टिड्डी दल को भगाने के लिए सभी किसान टोली बनाकर विभिन्न तरह की परम्परागत उपाय जैसे- शोर मचाना, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर पौधों की डालों से अपने खेत से भगाया जा सकता है. इसके साथ ही ढोलक, डीजे, ट्रैक्टर का सायलेंशर निकालकर आवाज करना, खाली टीन के ढिब्बे, थाली आदि स्थानीय स्तर पर तैयार कर रखें, जिससे कि सामूहिक प्रयास से उक्त ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग करने की सलाह दी गई है. इससे टिड्डी दल नीचे नहीं आकर फसल/ वनस्पति पर बैठते हुए आगे प्रस्थान कर जाते हैं.
कीटनाशी दवाओं का करे छिड़काव
उप संचालक किसान कल्याण ने कहा कि, शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप हो तो सुबह 4 बजे से सूर्योदय तक अनुशंसित कीटनाशी दवाएं ट्रैक्टर माउनटेड स्प्रेयर पम्प में फ्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत, ईसी 12 सौ मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिशत, ईसी 6 सौ मिली और लेम्डासायलोथ्रिन 5 प्रतिशत, ईसी 4 सौ मिली, डाईफ्लूबेंजूरॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टर 6 सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. अगर किसान को टिड्डी दल के आक्रमण के समय कीटनाशी दवा उपलब्ध न हो, तो ऐसी स्थिति में ट्रैक्टर चलित पॉवर स्प्रे के द्वारा तेज पानी के बौछार से भी भगाया जा सकता है.
जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित
इस कार्य के लिए जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है. कंट्रोल रूम का टेलीफोन नम्बर 07792-230364 है. उप संचालक कृषि ने समस्त मैदानी अमले को निगरानी करने और सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं.