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नरसिंहपुर सेंट्रल जेल की पहल, कैदियों को सिखा रहे आपदा और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के गुण

नरसिंहपुर जेल प्रशासन ने अच्छी पहल की शुरूआत करते हुए बंदियों को प्राकृतिक आपदा में जीवन रक्षा और दूसरों के जीवन बचाने का हुनर सिखा रहा है.

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कैदियों को सिखा रहे आपदा और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के गुण
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Published : Dec 25, 2019, 9:35 AM IST

नरसिंहपुर। जिले की सेंट्रल जेल के कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया प्राकृतिक आपदा में जीवन रक्षा और दूसरों के जीवन बचाने का हुनर सीखा रहा है. ताकि सजा काटने के बाद अपराधबोध से मुक्ति पा सके.


दरअसल केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया एक आयोजन कर रहा है, जिसमें बंदियों को प्राकृतिक आपदा में विपरीत परिस्थितियों से निपटने को गुण सिखाएंगे. जिससे जेल से छूटने के बाद अपराधिक प्रवृत्ति को छोड़कर सृजन कार्यों में जुड़ सके. साथ ही स्वयं का व्यवसाय कर अपने परिवार को भरण-पोषण कर सकें इसके लिए प्रतिभाओं को निखारने पर विशेष जोर दिया जा रहा है.

कैदियों को सिखा रहे आपदा और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के गुण


नरसिंहपुर जेल अधीक्षक का कहना है कि अपराधों का सजा तो कैदी जेल में ही काट लेते हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद समाज उन्हें अपनाएं इसके लिए भी उन्हें तैयार करना जरूरी है. ताकि वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्होंने जो समाज से छीना है वह अपनी सकारात्मक योगदान देकर जीवन रक्षक बन सके. इसके लिए उन्हें आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.


कैदी जेल प्रशासन की इस पहल से बेहद खुश हैं. उनका मानना है कि अपराध बोध से मुक्ति पाने के लिए यह प्रयास जीवन में नया बदलाव लाएगा और वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे. वहीं सकारात्मक कार्य कर वह सामाज में अपना एक नया स्थान बना सकेंगे.

नरसिंहपुर। जिले की सेंट्रल जेल के कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया प्राकृतिक आपदा में जीवन रक्षा और दूसरों के जीवन बचाने का हुनर सीखा रहा है. ताकि सजा काटने के बाद अपराधबोध से मुक्ति पा सके.


दरअसल केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया एक आयोजन कर रहा है, जिसमें बंदियों को प्राकृतिक आपदा में विपरीत परिस्थितियों से निपटने को गुण सिखाएंगे. जिससे जेल से छूटने के बाद अपराधिक प्रवृत्ति को छोड़कर सृजन कार्यों में जुड़ सके. साथ ही स्वयं का व्यवसाय कर अपने परिवार को भरण-पोषण कर सकें इसके लिए प्रतिभाओं को निखारने पर विशेष जोर दिया जा रहा है.

कैदियों को सिखा रहे आपदा और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के गुण


नरसिंहपुर जेल अधीक्षक का कहना है कि अपराधों का सजा तो कैदी जेल में ही काट लेते हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद समाज उन्हें अपनाएं इसके लिए भी उन्हें तैयार करना जरूरी है. ताकि वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्होंने जो समाज से छीना है वह अपनी सकारात्मक योगदान देकर जीवन रक्षक बन सके. इसके लिए उन्हें आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.


कैदी जेल प्रशासन की इस पहल से बेहद खुश हैं. उनका मानना है कि अपराध बोध से मुक्ति पाने के लिए यह प्रयास जीवन में नया बदलाव लाएगा और वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे. वहीं सकारात्मक कार्य कर वह सामाज में अपना एक नया स्थान बना सकेंगे.

Intro:जाने अंजाने हुए अपराध के लिए नरसिंहपुर के सेंट्रल जेल के कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया की मदद से बंदियों को प्राकृतिक आपदा के समय विपरीत परिस्थितियों से निपटने और खुद की जीवन की रक्षा के साथ साथ दूसरो की जीवन को बचाने के हुनर सीखा रहा है ताकि जब वह अपने गुनाहों कि सजा काटकर इस कारगार से निकले तो अपराधबोध से मुक्ति पा सके Body:- जाने अंजाने हुए अपराध के लिए नरसिंहपुर के सेंट्रल जेल के कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया की मदद से बंदियों को प्राकृतिक आपदा के समय विपरीत परिस्थितियों से निपटने और खुद की जीवन की रक्षा के साथ साथ दूसरो की जीवन को बचाने के हुनर सीखा रहा है ताकि जब वह अपने गुनाहों कि सजा काटकर इस कारगार से निकले तो अपराधबोध से मुक्ति पा सके और समाज भी उन्हें अपना सके इसके लिए उन्हें आगजनी, बाढ़ ,या दुर्घटना से लोगो को बचाने के गुर सिखाए जा रहे है साथ ही जेल से छूटने के बाद अपराधिक प्रवृत्ति को छोड़ सृजन के कार्यों में जोड़ सकें और स्वयं का स्वरोजगार करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें इसके लिए उनकी प्रतिभाओं को निखारने पर विशेष जोर दिया जा रहा है नरसिंहपुर की जेल अधीक्षक बताती हैं कि जेल में बंद कैदियों की अपराधों की सजा तो वह जेल में रहकर काट लेते हैं लेकिन जेल से छूटने के बाद समाज उन्हें अपनाएं इसके लिए भी उन्हें आज ही तैयार करना जरूरी है ताकि वह सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्होंने जो समाज से छीना है वह अपनी सकारात्मक योगदान देकर जीवन रक्षक बन सके इसके लिए उन्हें आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है साथियों की प्रतिभाओं को निखारा जा रहा है ताकि वह सर्जन करता बन सके वहीं जेल में बंद कैदी जेल प्रशासन की इस पहल से बेहद खुश हैं उनका भी मानना है कि अपराध बोध से मुक्ति पाने के लिए जेल द्वारा किए गए प्रयास उनके जीवन में नया बदलाव लाएंगे और वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे सकारात्मक कार्यों की वजह से फिर अपना समाज में एक नया स्थान बना सकेंगे

बाइट - 01 शैफाली तिवारी, जेल अधीक्षक सेंट्रल जेल नरसिंहपुर

बाइट - 02 संदीप रामदास, कैदीConclusion:केंद्रीय जेल प्रशासन यूनिसेफ और रॉस इंडिया की मदद से बंदियों को प्राकृतिक आपदा के समय विपरीत परिस्थितियों से निपटने और खुद की जीवन की रक्षा के साथ साथ दूसरो की जीवन को बचाने के हुनर सीखा रहा है ताकि जब वह अपने गुनाहों कि सजा काटकर इस कारगार से निकले तो अपराधबोध से मुक्ति पा सके
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