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भगवान के जिस नाम पर बसा ये शहर, आज नरसिंह मंदिर हो रहा उपेक्षा का शिकार - नरसिंह प्रतिमा

भगवान के जिस अवतार के नाम पर यह शहर बसा आज उन्हीं का मंदिर उपेक्षा का शिकार है. नरसिंह मंदिर रखरखाव न होने से लगातार क्षतिग्रस्त होता जा रहा है, इसके कई हिस्से जमींदोज हो चुके हैं.

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नरसिंह मंदिर
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Published : Mar 9, 2020, 12:01 PM IST

नरसिंहपुर। नरसिंह भगवान का करीब 500 साल पुराना मंदिर अपने आप में अनूठेपन के लिए जाना जाता है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां स्थापित मूर्ति गर्भगृह में निर्मित स्थान पर विराजित है. मंदिर में नरसिंह प्रतिमा ऐसे चमत्कारी कोण में रखी गई है, चाहे मंदिर को पास से देखा जाए या दूर से, प्रतिमा के दर्शन हर तरफ से होते हैं. तीन स्तभों पर विराजित भगवान नरसिंह की प्रतिमा सभी दिशाओं से दिखती है.

नरसिंह मंदिर

500 साल पुराना है मंदिर

मंदिर के पुजारी प्रमोद कुमार सोनकिया बताते है कि मंदिर करीब 500 साल पुराना है. जाट राजा नाथन सिंह ने इसका निर्माण कराया था. नाथन सिंह यूपी के बुलंदशहर से यहां आए थे. उन्होंने अपने इष्ट नृसिंह देव का मंदिर बनवाया और उन्हीं के नाम पर नरसिंहपुर जिले का नाम पड़ा.

जीर्ण-शीर्ण हो रहा मंदिर

भगवान के जिस अवतार के नाम पर यह शहर बसा आज उन्हीं का मंदिर उपेक्षा का शिकार है. रखरखाव न होने से मंदिर लगातार क्षतिग्रस्त होता जा रहा है, इसके कई हिस्से जमींदोज हो चुके हैं, तो कुछ गिरने की कगार पर हैं. यहां तक की मरम्मत न होने से इसके कई हिस्सों में दरारें आ गई हैं.जिला प्रशासन के अधीन इस मंदिर पर ध्यान देने की जरूरत है. नरसिंहपुर की पहचान और ऐतिहासिक धार्मिक विरासत का गौरव प्राप्त इस मंदिर का परिसर भी खस्ताहाल होता जा रहा है.

साल में एक बार खुलता है तलघर

मंदिर में नरसिंह प्रतिमा ऐसे चमत्कारित कोण पर रखी गई है कि मूर्ति को चाहे मंदिर के समीप से देखा जाए या सौ मीटर दूर सड़क से, खड़े होकर देखा जाए या बैठकर, देखने वाले को सभी ओर से प्रतिमा के ही दर्शन होते हैं। मंदिर में एक सुरंग भी है और एक तलघर भी है जोकि केवल नरसिंह जयंती पर ही दर्शनार्थ खोला जाता है।

किसानी वार्ड में स्थित है ये मंदिर

मंदिर में एक सुरंग में भी है और एक तलघर भी है, जो केवल नरसिंह जयंती के दिन श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है. ये मंदिर नरसिंहपुर की किसानी वार्ड स्थित है.

नरसिंहपुर। नरसिंह भगवान का करीब 500 साल पुराना मंदिर अपने आप में अनूठेपन के लिए जाना जाता है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां स्थापित मूर्ति गर्भगृह में निर्मित स्थान पर विराजित है. मंदिर में नरसिंह प्रतिमा ऐसे चमत्कारी कोण में रखी गई है, चाहे मंदिर को पास से देखा जाए या दूर से, प्रतिमा के दर्शन हर तरफ से होते हैं. तीन स्तभों पर विराजित भगवान नरसिंह की प्रतिमा सभी दिशाओं से दिखती है.

नरसिंह मंदिर

500 साल पुराना है मंदिर

मंदिर के पुजारी प्रमोद कुमार सोनकिया बताते है कि मंदिर करीब 500 साल पुराना है. जाट राजा नाथन सिंह ने इसका निर्माण कराया था. नाथन सिंह यूपी के बुलंदशहर से यहां आए थे. उन्होंने अपने इष्ट नृसिंह देव का मंदिर बनवाया और उन्हीं के नाम पर नरसिंहपुर जिले का नाम पड़ा.

जीर्ण-शीर्ण हो रहा मंदिर

भगवान के जिस अवतार के नाम पर यह शहर बसा आज उन्हीं का मंदिर उपेक्षा का शिकार है. रखरखाव न होने से मंदिर लगातार क्षतिग्रस्त होता जा रहा है, इसके कई हिस्से जमींदोज हो चुके हैं, तो कुछ गिरने की कगार पर हैं. यहां तक की मरम्मत न होने से इसके कई हिस्सों में दरारें आ गई हैं.जिला प्रशासन के अधीन इस मंदिर पर ध्यान देने की जरूरत है. नरसिंहपुर की पहचान और ऐतिहासिक धार्मिक विरासत का गौरव प्राप्त इस मंदिर का परिसर भी खस्ताहाल होता जा रहा है.

साल में एक बार खुलता है तलघर

मंदिर में नरसिंह प्रतिमा ऐसे चमत्कारित कोण पर रखी गई है कि मूर्ति को चाहे मंदिर के समीप से देखा जाए या सौ मीटर दूर सड़क से, खड़े होकर देखा जाए या बैठकर, देखने वाले को सभी ओर से प्रतिमा के ही दर्शन होते हैं। मंदिर में एक सुरंग भी है और एक तलघर भी है जोकि केवल नरसिंह जयंती पर ही दर्शनार्थ खोला जाता है।

किसानी वार्ड में स्थित है ये मंदिर

मंदिर में एक सुरंग में भी है और एक तलघर भी है, जो केवल नरसिंह जयंती के दिन श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है. ये मंदिर नरसिंहपुर की किसानी वार्ड स्थित है.

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