नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश में चुनावी तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. इसी सिलसिले में आज हम नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा के बारे में बात करेंगे. मध्यप्रदेश की ये विधानसभा सीट अनुसूचित जाति आरक्षित है. यहां से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. आइए जानते हैं, इस सीट पर बनते बिगड़ते चुनावी समीकरण.
गोटेगांव सीट पर बीजेपी ने महेंद्र नागेश को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी एनपी प्रजापति पर भरोसा जताया है. इस सीट से देवेंद्र चौधरी और शेखर चौधरी दो प्रत्याशी निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि टक्कर देने गोंडवाना गणंतत्र पार्टी ने ठाकुर सुरेश को टिकट दिया है. 17 नवंबर को एमपी में मतदान डाले जाने हैं. जबकि 3 दिसंबर को परिणाम आएंगे.
इस सीट पर कितने मतदाता: अनुसूचित जाति आरक्षित इस सीट पर कुल मतदाता 1 लाख 96 हजार 333 हैं. इनके अलावा पुरुषों की संख्या 1 लाख 24 हजार 72 हैं. इसके अलावा 93 हजार 8 सौ 60 से ज्यादा महिला मतदाता हैं. अन्य मतदाता 01 है.
साल 2018 के चुनावी परिणाम: इस सीट पर साल 2018 में नर्मदा प्रसाद प्रजापति को कांग्रेस से टिकट मिला था. कांग्रेस का ये दांव सही साबित हुआ है और कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी के डॉ. कैलाश जाटव को 12,583 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस के नर्मदा प्रसाद को 79,289 वोट मिले थे, ये कुल वोटिंग का 50% था. इसके अलावा बीजेपी के डॉ. कैलाश जाटव को 66,706 वोट मिले थे. ये कुल वोटिंग का 42 प्रतिशत था.
पिछले तीन चुनावों के राजनीतिक समीकरण: अगर पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें, तो यहां पर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने रहते हैं. इस सीट पर साल 2018 में जहां कांग्रेस उम्मीदवार नर्मदा प्रसाद जाटव ने जीत हासिल की तो, साल 2013 में बीजेपी के कैलाश जाटव को जीत हासिल हुई थी. तब यहां बीजेपी के कैलाश जाटव को 74, 759 वोट मिले थे. ये कुल वोटिंग का 50% था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नर्मदा प्रसाद प्रजापति को 20,171 वोटों से हराया था. इस चुनाव में नर्मदा प्रसाद को 54,588 वोट मिले थे. ये वोटिंग प्रतिशत कुल 39% ही रहा था.
इसके अलावा साल 2008 की बात करें तो, नर्मदा प्रसाद प्रजापति कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. तब उन्होंने बीजेपी के शेखर चौधरी को हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को 53,664 वोट मिले, जो कुल वोटिंग प्रतिशत 45% था. इसके अलावा बीजेपी के शेखर चौधरी को 31,344 वोट मिले, जो कुल वोटिंग का 26% था. इसके अलावा साल 2003, 1998 में बीजेपी, 1993 में कांग्रेस, 1990 में बीजेपी ने चुनाव जीता है. यानी अगर कुल चुनावी समीकरण की बात की जाए, तो बीजेपी और कांग्रेस में यहां टक्कर देखने को मिलती है.
इस सीट पर जातिगत समीकरण: गोटेगांव विधानसभा की जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो ये इलाका अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य इलाका है. यहां कुर्मी मतदाता गेम चेंजर की भूमिका में रहते हैं. इसके अलावा लोधी और कोटवार वोटर्स की भी संख्या ज्यादा है .
गोटेगांव की खासियत: आर्थिक रूप से नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा एक बहुत ही समृद्ध विधानसभा है. इस विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जाती है. इसकी वजह से यहां कई शुगर मिल है और बड़े पैमाने पर गुड़ उत्पादन किया जाता है. इस इलाके में सभी किस्म की फासले हो जाती हैं. अच्छे किस्म की अरहर चना मूंग मसूर और मटर की बड़े पैमाने पर यहां खेती की जाती है, इसी के वजह से इस इलाके की अनाज मंडी में साल भर अनाज आता है.आधुनिक खेती करने की वजह से आसपास के इलाके में कृषि आधारित उद्योग भी बड़े पैमाने पर पनप रहे हैं. अब किसानों ने परंपरागत खेती के साथ ही सब्जी की खेती भी शुरू कर दी है. यहां प्याज बड़े पैमाने पर पैदा की जा रही है. इसके साथ ही शिमला मिर्च टमाटर जैसी फसलों का उत्पादन भी किया जा रहा है.
गोटेगांव के मुख्य मुद्दे: इस विधानसभा में आम मतदाता खेती किसानी पर आधारित है. इसलिए यहां किसानों को बिजली की जरूरत हमेशा बनी रहती है. सरकार ने सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली देने का वादा किया है. कभी-कभी यह बिजली 6 से 7 घंटे ही आती है. किसानों का एक मुद्दा यह है कि उन्हें लगातार 10 घंटे बिजली दी जाए. वहीं दूसरी तरफ इस इलाके के किसानों के सामने अच्छी किस्म के गन्ने की वैरायटी की जरूरत हमेशा बनी रहती है.किसानों को अच्छी किस्म का गन्ने नहीं मिल पाते.
अभी तक इस इलाके में भूमिगत जल ही सिंचाई का स्रोत है, जबकि नर्मदा नदी की बरगी परियोजना की नेहर यहां चालू हो गई हैं. अभी तक इन्हें खेतों से नहीं जोड़ा गया है. नरसिंहपुर की इस विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कृषि आधारित रोजगार पैदा होता है और न केवल नरसिंहपुर के इस इलाके के लोगों को रोजगार मिलता है. बल्कि शहडोल छिंदवाड़ा मंडला यहां तक की महाराष्ट्र के बहुत से मजदूर गन्ना के खेतों में काम करने के लिए आते हैं. इस इलाके में एक आईटीआई की जरूरत है, जिसमें कृषि आधारित उद्योगों का प्रशिक्षण दिया जाए.
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मध्य प्रदेश के बहुत कम इलाके ऐसे हैं, जहां प्रकृति इतनी मेहरबान है, लेकिन सरकार इस इलाके की प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर फायदा नहीं उठा पा रही है. इन इलाकों को औद्योगिक कृषि के अनुसार तैयार किया जाए, तो केवल नरसिंहपुर ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों के लाखों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है.