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'देव भाषा' को जीवित रखा है इस गांव ने, हर घर में संस्कृत में ही होती है बातचीत

नरसिंहपुर जिले का मोहद गांव देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है. यहां संस्कृत को जनसामान्य की भाषा बनाने की कोशिश की जा रही है और इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

These villages keep alive Sanskrit
संस्कृत का गांव
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Published : Dec 2, 2019, 3:08 PM IST

नरसिंहपुर। संस्कृत विश्व की दूसरी भाषाओं की जननी कही जाती है. पूरी दुनिया में संस्कृत सबसे शुद्ध भाषा मानी जाती है, लेकिन आज आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी इस धरोहर को भूलते जा रहे हैं. ऐसे में नरसिंहपुर जिले का मोहद गांव देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है. यहां संस्कृत को जनसामान्य की भाषा बनाने की कोशिश की जा रही है और इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

आज हम आधुनिकता की चकाचौंध में भले ही अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं, लेकिन मोहद ने अपनी प्राचीनतम भाषा संस्कृत को जीवित रखा है. यहां घर-घर में संस्कृत में ही बातचीत की जाती है. सबसे खास बात ये है कि यहां के ग्रामीण अपनी आगामी पीढ़ी को भी संस्कृतमयी करने के लिए इस भाषा का अध्ययन करा रहे हैं, ताकि भारत की भाषायी धरोहर को पुनर्जीवित किया जा सके. चाहे बुजुर्गों की चौपाल हो या घर में आपसी बातचीत या फिर राह चलते दुआ सलाम, सबकुछ संस्कृत में ही होता है.

संस्कृत का गांव

ग्रामीणों के मुताबिक स्कूलों में अंग्रेजी भाषा को विशेष महत्व दिया जाता है और इसके लिए हिंदी को ही दरकिनार कर दिया जाता है. वहीं गांव के हर स्कूल में संस्कृत को सर्वोच्च भाषा मानकर उसका अध्ययन कराया जाता है और मंत्रोच्चारण के बाद ही यहां स्कूली शिक्षा की शुरुआत होती है.

आज संस्कृत भाषा इस गांव की पहचान बन गई है और सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख देखने को मिल जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि संस्कृत भाषा को जितना जटिल समझा जाता है, वो उतनी ही सरल है और धाराप्रवाह बोली जा सकती है. गांव का यही प्रयास है कि आने वाली पीढ़ी के नैतिक जीवन में आदर्श आचरण संहिता को अगर स्थापित करना है, तो वो संस्कृत भाषा के ज्ञान और आपसी बोलचाल से ही संभव है. संस्कृत से ही समाज को दिशा दी जा सकती है.

अपनी संस्कृति और विरासत को बचाने और विचारों में उत्कृष्टता लाने में मोहद गांव लोगों को नई दिशा देने का काम कर रही है. जरूरत है इस गांव के संदेश को समझने और उसे स्वीकार करने की, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी इस प्राचीनतम भारतीय विरासत के रूप में रू-ब-रू करा सकें.

नरसिंहपुर। संस्कृत विश्व की दूसरी भाषाओं की जननी कही जाती है. पूरी दुनिया में संस्कृत सबसे शुद्ध भाषा मानी जाती है, लेकिन आज आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी इस धरोहर को भूलते जा रहे हैं. ऐसे में नरसिंहपुर जिले का मोहद गांव देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है. यहां संस्कृत को जनसामान्य की भाषा बनाने की कोशिश की जा रही है और इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

आज हम आधुनिकता की चकाचौंध में भले ही अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं, लेकिन मोहद ने अपनी प्राचीनतम भाषा संस्कृत को जीवित रखा है. यहां घर-घर में संस्कृत में ही बातचीत की जाती है. सबसे खास बात ये है कि यहां के ग्रामीण अपनी आगामी पीढ़ी को भी संस्कृतमयी करने के लिए इस भाषा का अध्ययन करा रहे हैं, ताकि भारत की भाषायी धरोहर को पुनर्जीवित किया जा सके. चाहे बुजुर्गों की चौपाल हो या घर में आपसी बातचीत या फिर राह चलते दुआ सलाम, सबकुछ संस्कृत में ही होता है.

संस्कृत का गांव

ग्रामीणों के मुताबिक स्कूलों में अंग्रेजी भाषा को विशेष महत्व दिया जाता है और इसके लिए हिंदी को ही दरकिनार कर दिया जाता है. वहीं गांव के हर स्कूल में संस्कृत को सर्वोच्च भाषा मानकर उसका अध्ययन कराया जाता है और मंत्रोच्चारण के बाद ही यहां स्कूली शिक्षा की शुरुआत होती है.

आज संस्कृत भाषा इस गांव की पहचान बन गई है और सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख देखने को मिल जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि संस्कृत भाषा को जितना जटिल समझा जाता है, वो उतनी ही सरल है और धाराप्रवाह बोली जा सकती है. गांव का यही प्रयास है कि आने वाली पीढ़ी के नैतिक जीवन में आदर्श आचरण संहिता को अगर स्थापित करना है, तो वो संस्कृत भाषा के ज्ञान और आपसी बोलचाल से ही संभव है. संस्कृत से ही समाज को दिशा दी जा सकती है.

अपनी संस्कृति और विरासत को बचाने और विचारों में उत्कृष्टता लाने में मोहद गांव लोगों को नई दिशा देने का काम कर रही है. जरूरत है इस गांव के संदेश को समझने और उसे स्वीकार करने की, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी इस प्राचीनतम भारतीय विरासत के रूप में रू-ब-रू करा सकें.

Intro:आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे गांव में लेकर चलते हैं जहां भारत की सबसे प्राचीन भाषा को यहां के लोग ना केवल जीवित रखे हुए हैं बल्कि आने वाली युवा पीढ़ी को भी यह विरासत सौंप रहे हैं


Body:आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे गांव में लेकर चलते हैं जहां भारत की सबसे प्राचीन भाषा को यहां के लोग ना केवल जीवित रखे हुए हैं बल्कि आने वाली युवा पीढ़ी को भी यह विरासत सौंप रहे हैं हैं देखिए ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट

भले ही आज हम आधुनिकता की चकाचौंध भरी दुनिया में अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं लेकिन संस्कृत का एक गांव अपनी प्राचीनतम भाषा संस्कृत को जीवित रखा है यहां घर घर में और हर जन सामान्य में अपनी वार्तालाप संस्कृत में ही किया जाता है सबसे खास बात यह है कि यहां के ग्रामीण अपनी आगामी पीढ़ी को भी संस्कृतम् करने के लिए संस्कृत का अध्ययन करा रहे हैं जिससे भारत की भाषाई धरोहर को पुनर्जीवित किया जा सके चाहे बुजुर्गों की चौपाल है या घर घर में आपसी बातचीत फिर चाहे राह चलते दुआ सलाम यहां हर कोई संस्कृत को भी अपनी सामान्य बोलचाल की भाषा संस्कृत को बनाए हुए हैं

आज संस्कृत भाषा इस गांव की पहचान बन गई है और सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख देखने को मिल जाता है ग्रामीण बताते हैं कि संस्कृत भाषा को जितना जटिल समझा जाता है वह उतनी ही सरल है और धारा प्रभाव से बोली जा सकती है गांव का यही प्रयास है कि आने वाली पीढ़ी के नैतिक जीवन में आदर्श आचरण संहिता को यदि स्थापित करना है तो वह संस्कृत के भाषाई ज्ञान और आपसी बोलचाल से ही संभव है संस्कृत से ही समाज को दिशा दी जा सकती है जब हम सामान्य बोलचाल में संस्कृत को अपनाते हैं तो खुद व खुद दूसरे को उसका अनुसरण करने लगते हैं

संस्कृत को विश्व की अन्य भाषाओं की जननी कहा जाता है और पूरी पूरी दुनिया में संस्कृत की सबसे शुद्ध भाषा मानी जाती है पर आज न आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी इस धरोहर को भूलते जा रहे हैं ऐसे में मोहद गांव देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है जहां इसे जनसामान्य की भाषा के लिए अपनाया गया है और जिसे पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है ग्रामीण ग्रामीणों के मुताबिक जहां स्कूलों में अंग्रेजी भाषा को विशेष महत्व दिया जाता है और हिंदी को ही दरकिनार कर दिया जाता है वही गांव के हर स्कूल में संस्कृत को सर्वोच्च भाषा मानकर उसका अध्ययन कराया जाता है और मंत्रोच्चारण के बाद ही यहां स्कूली शिक्षा की शुरुआत होती है

अपनी संस्कृति विरासत को बचाने और विचारों में उत्कृष्टता लाने में मोहत जैसे इस छोटे से गांव ने हमें नई दिशा देने का काम कर रही है जरूरत है इस गांव के संदेश को समझने और उसे स्वीकार करने की ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी इस प्राचीनतम भारतीय विरासत के रूप में रूबरू करा सके और उन्हें संस्कृत संस्कृतम् भी करा सके

वाइट01 विक्रम सिंह चौहान
वाइट02 रामाकांत तिवारी ग्रामीण
वाइट03 कृष्णम बल्लभ तिवारी


Conclusion:अपनी संस्कृति विरासत को बचाने और विचारों में उत्कृष्टता लाने में मोहत जैसे इस छोटे से गांव ने हमें नई दिशा देने का काम कर रही है जरूरत है इस गांव के संदेश को समझने और उसे स्वीकार करने की ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी इस प्राचीनतम भारतीय विरासत के रूप में रूबरू करा सके और उन्हें संस्कृत संस्कृतम् भी करा सके
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