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कुपोषण का दंश झेल रहा नरसिंहपुर, नौनिहाल पूछ रहे कब मिलेगी निजात?

नरसिंहपुर में भी कुपोषण ने अपनी जड़े जमा ली हैं. मौजूदा साल में 1134 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

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कुपोषण का दंश झेल रहा नरसिंहपुर
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Published : Nov 29, 2019, 9:57 PM IST

Updated : Nov 29, 2019, 10:30 PM IST

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश इस समय कुपोषण का दंश झेल रहा है. दूसरे जिलों की तरह नरसिंहपुर में भी कुपोषण ने अपनी जड़ें जमा ली हैं. साल दर साल यहां कुपोषण से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो चालू वित्तीय वर्ष में 1134 कुपोषित बच्चे सामने आए हैं, जिनका पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज किया जा रहा है.

कुपोषण का दंश झेल रहा नरसिंहपुर

महिला बाल विकास के अधिकारी कुपोषण बढ़ने की एक बड़ी वजह जागरुकता की कमी होना मान रहे हैं. अधिकारियों का मानना है कि अगर गर्भवति महिलाओं के खान-पान पर फोकस किया जाए तो कुपोषण के आंकड़ों में कमी लाई जा सकती है.

एक तरफ महिला बाल विकास के अधिकारी गर्भवति महिलाओं के खानपान और उनकी जीवन शैली को कुपोषण के लिए जिम्मेदार मान रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ एनआरसी के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है. एनआरसी के अधिकारियों के मुताबिक हर माह 40 से 50 कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ति किए जा रहे हैं.

नरसिंहपुर में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा यहां कुपोषण की हकीकत बताने के लिए काफी है. इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या फिर जागरूकता का अभाव, जिसका खामियाजा यहां के नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है.

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश इस समय कुपोषण का दंश झेल रहा है. दूसरे जिलों की तरह नरसिंहपुर में भी कुपोषण ने अपनी जड़ें जमा ली हैं. साल दर साल यहां कुपोषण से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो चालू वित्तीय वर्ष में 1134 कुपोषित बच्चे सामने आए हैं, जिनका पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज किया जा रहा है.

कुपोषण का दंश झेल रहा नरसिंहपुर

महिला बाल विकास के अधिकारी कुपोषण बढ़ने की एक बड़ी वजह जागरुकता की कमी होना मान रहे हैं. अधिकारियों का मानना है कि अगर गर्भवति महिलाओं के खान-पान पर फोकस किया जाए तो कुपोषण के आंकड़ों में कमी लाई जा सकती है.

एक तरफ महिला बाल विकास के अधिकारी गर्भवति महिलाओं के खानपान और उनकी जीवन शैली को कुपोषण के लिए जिम्मेदार मान रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ एनआरसी के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है. एनआरसी के अधिकारियों के मुताबिक हर माह 40 से 50 कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ति किए जा रहे हैं.

नरसिंहपुर में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा यहां कुपोषण की हकीकत बताने के लिए काफी है. इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें या फिर जागरूकता का अभाव, जिसका खामियाजा यहां के नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है.

Intro:नरसिंहपुर में कुपोषण के कलंक ने अपनी जड़ें जमा ली हैं साल दर साल बच्चों में कुपोषण बढ़ता ही जा रहा है मगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो चालू वित्तीय वर्ष में 1134 कुपोषित बच्चे सामने आए हैं जिनका पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज किया गया


Body:नरसिंहपुर में कुपोषण के कलंक ने अपनी जड़ें जमा ली हैं साल दर साल बच्चों में कुपोषण बढ़ता ही जा रहा है मगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो चालू वित्तीय वर्ष में 1134 कुपोषित बच्चे सामने आए हैं जिनका पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज किया गया जागरूकता का अभाव और आंगनबाड़ी केंद्रों की वर्तमान कार्य प्रणाली से ऐसे परिणाम सामने आ रहे हैं हालांकि जिले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी बताते हैं कि लगातार कुपोषण बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है और जन्म लेने वाले बच्चों में ही कुपोषण अधिक पाया जा रहा है और इसके लिए वह प्रसूतिकाओ को को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं खान-पान की कमी और जीवनशैली को इसकी सबसे बड़ी वजह बता रहे हैं लेकिन इससे उलट एनआरसी में दर्ज संख्या बताती है कि प्रत्येक माह 40 से 50 कुपोषित बच्चे भर्ती हो रहे हैं और खुद एनआरसी की अधिकारी बताती हैं कि कहीं ना कहीं प्रशासनिक लापरवाही का यह परिणाम है कि बच्चों में कुपोषण बढ़ता जा रहा है वह रहा इसे प्रशासनिक कहे या जागरूकता का अभाव जिसके चलते नौनिहालों को कुपोषण का दंश झेलने पर मजबूर होना पड़ा है जो चिंता का विषय बना हुआ है

वाइट 01 आरके त्रिपाठी महिला बाल विकास अधिकारी नरसिंहपुर

वाइट 02 मनीषा नेमा डाइटिशियन पोषण पुनर्वास केंद्र नरसिंहपुर


Conclusion:इसे प्रशासनिक कहे या जागरूकता का अभाव जिसके चलते नौनिहालों को कुपोषण का दंश झेलने पर मजबूर होना पड़ा है जो चिंता का विषय बना हुआ है
Last Updated : Nov 29, 2019, 10:30 PM IST
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