नरसिंहपुर। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव जाने के लिए रास्ता तो है, लेकिन सड़क नहीं है, लोग नरक की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. देश भले ही तरक्की के मामले में मंगल पर पहुंच गया हो, लेकिन इस गांव की तस्वीर कुछ और ही बयां करती है. ये कहानी है गोटेगांव जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले चांडाल डूंगरिया गांव की. जहां आदिवासी समाज कई सालों से रह रहा है. लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो पाई है.
मुख्य मार्ग से चांडाल डूंगरिया पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है. पगडंडियों के सहारे ही गांव तक पहुंचा जा सकता है. गांव के लोग बताते हैं कि बारिश के मौसम में आने जाने में परेशानी होती है. वहीं गर्मियों के दिनों में पीने के पानी के लिए भी तरस जाते हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां हमारी 10 पीढ़ियां बीत गई हैं. उसके बाद भी हम लोगों ने रोड नहीं देखी. बरसात के दिनों में अगर कोई हमारे गांव में बीमार हो जाता है तो उसे शहर ले जाने के समय रास्त में ही दम तोड़ देता है. जनप्रतिनिधि गांव में सिर्फ वोट मांगने आते हैं और जब जीत जाते हैं तो पटलकर तक नहीं देखते.
जनपद पंचायत सीईओ देवेंद्र सोनी का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है इसकी जांच करवाकर आदिवासी ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराई जाएंगी. वन क्षेत्र में चांडाल डुमरिया वन ग्राम में आता है और यह यहां पर वन विभाग द्वारा ही कराया जा सकता है. हमारे द्वारा राजस्व की जगह पर निर्माण कार्य कराया जाएगा और वन विभाग के कर्मचारियों से बातचीत सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी.