नरसिंहपुर। वैसे तो अस्पताल होता है मरीजों को ठीक करने के लिए लेकिन उस अस्पताल को क्या कहेंगे जो अपने आप में बीमारी का घर हो. जहां खुद बीमारी विराजमान हो. ऐसे ही हाल हैं नरसिंहपुर जिला अस्पताल के जहां साक्षात बीमारियां खुद निवास करती हैं. अगर यहां मरीज आए तो ठीक होने के बजाय और बीमार हो जाए. नरसिंहपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलती ये रिपोर्ट-
बदबूदार कमरे, जहां-तहां फैली गंदगी और खुली नालियां. ये नजारे काफी है नरसिंहपुर जिला अस्पताल की पोल खोलने के लिए. इन तस्वीरों से साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मरीज कितना जल्दी ठीक हो जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं यहां का टीबी और बर्न वॉर्ड के हाल तो और बेहाल हैं और बात करें डॉक्टरों की तो वे ज्यादातर नदारद ही रहते हैं.
पानी तक नहीं हो रहा नसीब
अस्पताल में गंदगी का आलम तो छोड़िए, यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को पानी तक नसीब नहीं होता है. न तो शौचालय में पानी होता है और न ही निस्तार के लिए. मरीजों ने बताया कि पानी की बहुत समस्या है. कर्मचारी भी नहीं सुनते हैं. प्रबंधन से काफी बार बोला इसके बावजूद हाल जस के तस हैं.
सिर्फ दिखाने के लिए लगाए गए हैं पंखे
मरीजों से जब अस्पताल में व्यवस्थाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पंखे चलते ही नहीं है. भीषण गर्मी में भी हमें बिना पंखे के ही रहना पड़ता है. इसके अलावा वॉर्ड में एयरकंडीशनर भी लगाए गए हैं. लेकिन वे धूल खाने के लिए लगाए गए हैं नाकि सुविधा देने के लिए.
बेईमान नजर आती हैं योजनाएं
अस्पताल के हाल देख आयुष्मान जैसी तमाम योजनाएं बेईमान नजर आती हैं. यहां फटे हुए बिस्तर और उनसे आती बदबू, कमरों के बाहर फैली गंदगी, टॉयलेट की गंदगी से मरीजों का सांस लेना भी मुश्किल है.ऐसे में भला कोई इलाज कराए भी तो कैसे.
घिसा-पीटा मिलता है जवाब
जब अस्पताल की इन हालातों के बारे में मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो एक बार फिर सदियों पुराना रटा-रटाया जवाब सुनने मिलता है और हालातों पर बेबसी की आह सुन बात एक बार फिर सन्नाटा पसर जाता है.