नरसिंहपुर। साईखेड़ा ब्लॉक में ग्राम तूमड़ा की संसारखेड़ा खदान पर एक बार फिर अवैध उत्खनन के खिलाफ ग्रामीणों द्वारा जमकर विरोध किया गया. ग्रामीणों के आरोप हैं कि धनलक्ष्मी कंपनी का पोर्टल किस्त जमा नहीं करने के कारण बंद हो गया तो फिर यह अवैध उत्खनन किसकी सह पर हो रहा है.
लगभग दो से तीन घंटे तक ग्रामीणों द्वारा रेत माफियाओं का विरोध किया गया, उसके बाद गाडरवारा एसडीओपी साईंखेड़ा पुलिस के साथ ग्राम संसारखेड़ा पहुंचे जहां पर एसडीओपी ने ग्रामीणों की शिकायत पर साफ लहजे में कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते. डंपर पकड़ना हमारा काम नहीं खनिज विभाग का काम है. पुलिस का सहयोग न मिलने के बाद ग्रामीणों का आक्रोश ओर बढ़ गया, क्योंकि रेत ठेकेदार के सामने शासन प्रशासन के नुमाइंदे बोने दिख रहे थे. यही वजह है कि इस समय नरसिंहपुर जिले की अधिकांश नदियों में धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी है. ग्रामीणों के आक्रोश के आगे रेत माफिया के हौसले पस्त हुए माफिया नदियों में ही मशीनें छोड़कर भाग खड़े हुए.
अनसुनी कर निकल गया प्रशासनिक काफिला
बड़ा सवाल यह है कि जब पोर्टल ही बंद है तो यह अवैध उत्खन किसकी सह में किया जा रहा है, सैकड़ों की संख्या में डंपर भरकर नदियों से निकल रहे हैं. शासन के राजस्व की चोरी तो कर ही रहे हैं ओवरलोड वाहनों के चलते सड़कें भी खस्ताहाल हो रही हैं. लेकिन अवैध उत्खनन बंद कराने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा. खनिज विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है. हद तो तब हो गई जब अपर कलेक्टर का प्रशासनिक काफिला संसारखेड़ा खदान से चंद दूरी से निकल रहा था. ग्रामीणों ने रोककर खदान पर जाने की मांग की तो अनसुनी करते हुए प्रशासनिक अधिकारी का काफिला फर्राटे मारकर सीधे निकल गया, लेकिन ग्रामीणों की एक न सुनी और ग्रामीणों का विरोध किसी को नहीं दिखा.
तो होगा खून खराबा
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन संसारखेड़ा खदान पर खूनी संघर्ष निश्चित है, जिसका जवाबदार सीधे तौर पर शासन प्रशासन ही रहेगा.