नरसिंहपुर। जिले के करेली तहसील के अंतर्गत धरमपुरी गांव के माझी निषाद समाज के लगभग 12 गरीब परिवारों को 1972-73 में तत्कालीन तहसीलदार नरसिंहपुर ने पटवारी हल्का नम्बर 7 में कृषि करने के लिए 2 से 3 एकड़ जमीन के पट्टे दिए थे. जिस का भू स्वामी अधिकार भी इन सभी को मिल गया है, वहीं वर्तमान में राजस्व रिकार्ड में इनका नाम भी इस भूमि में स्वामी के रूप में दर्ज है. लेकिन पट्टे पर मिली इसी भूमि को लेकर वन विभाग पिछले कुछ समय से अपना दावा पेश कर रहा है.
राजस्व विभाग से नापजोख के बाद भूमि चिह्नांकित कर तार फेंसिंग और गड्ढे करवाने का काम भी शुरु कर दिया है. वन विभाग और राजस्व विभाग की इस कार्रवाई की जानकारी उक्त पट्टेदारों को उस वक्त लगी. जब उनके खेतों में वन विभाग के कर्मचारी तार फेंसिंग के गड्ढे करने पहुंच गए.
राजस्व विभाग और वन विभाग इस भूमि को लेकर इस तरह की कब्जे की कार्रवाई करता है तो इस कार्रवाई से 12 गरीब परिवारों जिनमें लखनलाल नोरिया, नर्मदा प्रसाद नोरिया, देवीसिंह नोरिया, मानसिंह नोरिया, अन्नीलाल नोरिया, रघुवीर नोरिया सहित लोगों का जीवन यापन करना मुश्किल हो जाएगा. इन परिवारों का जीवन यापन जिस भूमि से होता है, उन भूमि के रिकार्ड में कब बदलाव किया गया इसकी जानकारी तक गरीबों को नहीं है. जिसके चलते वह मानसिक रुप से परेशान हैं. शासन द्वारा प्रदान की अपनी कृषि भूमि की मांग को लेकर गरीब परिवार 25 जून से सतधारा पुल के पास, धरमपुरी गांव में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा हुआ है.
इससे पहले भी 10 जून को सभी किसानों ने नरसिंहपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी भूमि पर वन विभाग के किए गए जबरन कब्जे और तार फेंसिंग करने को लेकर रोक लगाने की मांग की थी. लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद से गरीब किसान अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर अपनी मांग को पूरा करवाना चाहते हैं. वहीं पिछले 8 दिन से गरीब परिवार अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा है, लेकिन शासन-प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
इन गरीबों की हक की लड़ाई में साथ देने के लिए सामाजिक नेता आए अमर नोरिया ने बताया, 12 किसान परिवार पिछले 8 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. आठवें दिन यानी गुरुवार 2 जुलाई को प्रशासन और वन विभाग ने सुध ली है और किसानों को आश्वस्त किया है कि जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में मामला है, जिसके बाद शीघ्र ही कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा.