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EARTH DAY: नरसिंहपुर के रविशंकर की मेहनत लाई रंग, जलसंकट के बावजूद इलाके को बनाया हरा-भरा

नरसिंहपुर के रविशंकर ने भीषण जलसंकट में भी एक मिसाल पेश की है. सालभर पहले उन्होंने 800 पौधे लगाए थे. इन पौधों को जिंदा रखने के लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया और आज सभी पौधे लहलहा रहे हैं.

जलसंकट में भी ये इलाका है हरा-भरा
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Published : Apr 22, 2019, 1:21 PM IST

नरसिंहपुर। आज इंटरनेशनल अर्थ डे है. पृथ्वी की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई लोग जीजान से काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं रविशंकर, जिन्होंने जलसंकट के बावजूद हार नहीं मानी और 800 पौधे लगाए. दूर के इलाकों से पानी लाकर इन पौधों को दिया और उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि ये सभी पौधे आज लहलहा रहे हैं.

जलसंकट में भी ये इलाका है हरा-भरा

गोटेगांव के पहाड़ी खेड़ा गांव में रहने वाले रविशंकर डिप्टी रेंजर हैं. उन्होंने पिछले साल इस इलाके में करीब 800 पौधे लगाए थे. उन्होंने इन पौधों का इतना अच्छे से ध्यान रखा कि आज 800 पौधे जिंदा हैं और फल-फूल रहे हैं. रविशंकर बताते हैं कि उन्होंने रेंजर से 50 पौधे लगाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने 800 पौधे लगाने की अनुमति दे दी. अधिकारी अकसर उनके लगाए पौधों को देखने के लिए आते थे. पिछले 1 साल तक कड़ी मेहनत की. पौधों को बेहतर खाद और बीज दी गई, जिसके चलते आज इस इलाके में ये पौधे लहलहा रहे हैं.

खास बात तो यह है कि इस इलाके में भीषण जल संकट है. इसके बावजूद वह दूरदराज से पानी लाकर पौधों को पानी दिया करते थे. रविशंकर सरकार के लिए एक उम्दा उदाहरण है, क्योंकि सरकार पौधे लगा तो देती है, लेकिन उसके बाद उनका ध्यान नहीं रखती है.

नरसिंहपुर। आज इंटरनेशनल अर्थ डे है. पृथ्वी की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए कई लोग जीजान से काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं रविशंकर, जिन्होंने जलसंकट के बावजूद हार नहीं मानी और 800 पौधे लगाए. दूर के इलाकों से पानी लाकर इन पौधों को दिया और उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि ये सभी पौधे आज लहलहा रहे हैं.

जलसंकट में भी ये इलाका है हरा-भरा

गोटेगांव के पहाड़ी खेड़ा गांव में रहने वाले रविशंकर डिप्टी रेंजर हैं. उन्होंने पिछले साल इस इलाके में करीब 800 पौधे लगाए थे. उन्होंने इन पौधों का इतना अच्छे से ध्यान रखा कि आज 800 पौधे जिंदा हैं और फल-फूल रहे हैं. रविशंकर बताते हैं कि उन्होंने रेंजर से 50 पौधे लगाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने 800 पौधे लगाने की अनुमति दे दी. अधिकारी अकसर उनके लगाए पौधों को देखने के लिए आते थे. पिछले 1 साल तक कड़ी मेहनत की. पौधों को बेहतर खाद और बीज दी गई, जिसके चलते आज इस इलाके में ये पौधे लहलहा रहे हैं.

खास बात तो यह है कि इस इलाके में भीषण जल संकट है. इसके बावजूद वह दूरदराज से पानी लाकर पौधों को पानी दिया करते थे. रविशंकर सरकार के लिए एक उम्दा उदाहरण है, क्योंकि सरकार पौधे लगा तो देती है, लेकिन उसके बाद उनका ध्यान नहीं रखती है.

Intro: आज विश्व पृथ्वी दिवस है और इस अवसर पर हम आप को मिलाने जा रहे हैं एक ऐसी शख्सियत से जिन्होंने अपने प्रयास के चलते एक नजीर पेश किया है जमीन को बचाने का.. साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा का...  मध्य प्रदेश में पिछले साल जुलाई में लगाए गए पौधे अब भले ही बहुत कम देखने को मिल रहे हो लेकिन गोटेगांव के एक सरकारी कर्मचारी ने अपने मेहनत के बूते 800 पौधे तो लगाए ही साथ ही उन्हें बखूबी जीवित भी रखा....  वह भी ऐसे इलाके में जहां भीषण जल संकट है...  देखिए विश्व जल दिवस पर नरसिंहपुर की गोटेगांव से हमारी एक खास खबर....Body:नरसिंहपुर जिला गोटेगांव विधानसभा

-  मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले 2016-17 वर्ष में 5 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर विश्व कीर्तिमान बनाने का सपना संजोया था पर आज हालात यह हैं कि बहुत सी जगह पौधे ढूंढे नहीं मिल रहे तो कहीं-कहीं कुछ निशानियां ही शेष हैं...  लेकिन ऐसे दौर में गोटेगांव के एक छोटे से पहाड़ी खेड़ा गांव में वन विभाग के एक अधिकारी ने वो कर दिखाया जो आज इस दौर में किसी मिसाल से कम नहीं....   पहाड़ी खेड़ा की डिप्टी रेंजर रवि शंकर सोनी ने पिछले साल इस इलाके में करीब 800 पौधे लगाए और उन्हें बखूबी संजोया...  खास बात यह रही कि इन पौधों को रविशंकर ने अपने बच्चों की तरह पाला पोसा और आज हालात ये हैं कि 800 के 800 पौधे आज भी जीवित और स्वस्थ अवस्था में हैं...  रवि शंकर का कहना है कि उनका इस साल रिटायरमेंट था जिसके चलते उन्होंने नौकरी के अपने अंतिम दौर में ये यह सार्थक प्रयास किया । अब रिटायरमेंट की उम्र में 2 साल का इजाफा और हो गया था आने वाले समय में इन पौधों से बनने वाले पेड़ों को रवि का और बेहतर साथ मिल सकेगा....   
 रविशंकर के साथ एक पौध रक्षक ने उनका साथ दिया और पिछले 1 साल की लगातार मेहनत के बाद इन पौधों को बेहतर खाद बीज दिया गया जिसके चलते आज इस इलाके में ये लहलहा रहे हैं खास बात यह है कि इस इलाके में भीषण जल संकट है बावजूद दूर से पानी लाकर इन्हे वह सब प्रदान किया गया जिससे पौधे अपनी उत्तरोत्तर वृद्धि पर हैं...  और अब वह दिन दूर नहीं जब यह पौधे पेड़ बनकर कहीं छाया नहीं फल देंगे....Conclusion:  रविशंकर ने यहां की पथरीली जमीन को पौधों के अनुरूप तैयार किया और फिर पौधों के लिए बेहतर माहौल दिया । बात साफ है कि पौधों के साथ-साथ जमीन को भी सुधारा गया...  ऐसे में जरूरत है कि आने वाले समय में रविशंकर जैसे सार्थक प्रयास सारे प्रदेश में होते रहे हैं जिससे जमीन के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा तो की ही जा सके... साथ ही सरकार कि योजनाओं को चूना ना लगे.. बल्कि उन अधिकारियों के लिए रविशंकर एक सबक बन कर सामने आएं जिन्होंने पौधे तो लगाए लेकिन पौधे की रखवाली में कोताही बरती और हालात ये हुए कि पौधे तो बचे नहीं और जमीन की हालात बद से बदतर हो गये.. ऐसे दौर में रविशंकर सरकार के साथ साथ उन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक बढ़िया सबक हैं जो कीर्तिमान से ज्यादा सार्थकता के लिए मेहनत करते हैं.....

 
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