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गंदगी-खौफ के साये में संवर रहा देश का भविष्य, गंदे पानी से प्यास बुझा रहे मासूम - government school

बारिश के पानी से लबालब भरा स्कूल परिसर खतरे को न्योता दे रहा है, जबकि स्कूल की जर्जर इमारत और गंदगी पहले से ही छात्रों के लिए सिरदर्द बनी थी, अब जलभराव के बाद नल से पानी भी गंदा निकल रहा है, जिससे छात्र अपनी प्यास बुझा रहे हैं. ऊपर से मिड डे मील का मीनू भी जिम्मेदारों की मनमर्जी से तय किया जा रहा है, जबकि गैस सिलेंडर के अभाव में रसोइयों को चूल्हा फूंकना पड़ रहा है.

बदहाल सरकारी स्कूल
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Published : Jul 12, 2019, 6:00 PM IST

नरसिंहपुर। शिक्षा का ये मंदिर भले ही पानी-पानी हो गया है, लेकिन इस बदहाली पर कोई शर्म से पानी-पानी नहीं हुआ. ये सिर्फ एक स्कूल की दास्तां नहीं है, बल्कि प्रदेश के हजारों स्कूलों की यही दुर्दशा है, जिसकी गुहार भी कोई सुनने वाला नहीं है. सरकारें शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखाती हैं, पर इन्हीं सरकारों के पास स्कूलों की माली हालत सुधारने का कोई मुकम्मल उपाय नहीं है.

बदहाल सरकारी स्कूल

नरसिंहपुर के गाडरवारा तहसील क्षेत्र में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल शुरूआती बारिश भी नहीं झेल पाया. और पहली ही बारिश में स्कूल परिसर में जमभराव की स्थिति बन गयी, आलम ये है कि बच्चे स्कूल टाइम में पूरे समय गिरते संभलते रहते हैं, इसके अलावा मध्याह्न भोजन की स्थिति तो और भी खराब है, न गैस सिलेंडर है और न ही कोई तय मीनू, लिहाजा मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिलाओं को रोजाना चूल्हा फूंकना पड़ता है और आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है.

स्कूल भले ही पानी-पानी हुआ है, पर यहां बच्चे गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं क्योंकि स्कूल में शुद्ध पेयजल का इंतजाम ही नहीं है, जबकि स्कूल की जर्जर इमारत खतरे को न्योता दे रही है. इस स्कूल में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसकी तारीफ की जा सके, ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्रों को कैसा कल मिलेगा, इस पर विचार करना जरूरी है. हालांकि, एसडीएम राजेश शाह ने स्कूल में मुकम्मल इंतजाम करने का आश्वासन दिया है.

सरकारें खूब जोर-शोर से सर्व शिक्षा अभियान का प्रचार प्रसार कर रही हैं, केंद्र सरकार भी शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखा रही है, पर शिक्षा की बुनियादी जरूरतों पर किसी का ध्यान नहीं है, सब के सब सिर्फ सपने दिखा रहे हैं, लेकिन ऐसे सपनों से भविष्य मुकम्मल नहीं होने वाला है. सपनों को हकीकत में बदलना है तो बुनियादी बदलाव बहुत जरूरी है.

नरसिंहपुर। शिक्षा का ये मंदिर भले ही पानी-पानी हो गया है, लेकिन इस बदहाली पर कोई शर्म से पानी-पानी नहीं हुआ. ये सिर्फ एक स्कूल की दास्तां नहीं है, बल्कि प्रदेश के हजारों स्कूलों की यही दुर्दशा है, जिसकी गुहार भी कोई सुनने वाला नहीं है. सरकारें शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखाती हैं, पर इन्हीं सरकारों के पास स्कूलों की माली हालत सुधारने का कोई मुकम्मल उपाय नहीं है.

बदहाल सरकारी स्कूल

नरसिंहपुर के गाडरवारा तहसील क्षेत्र में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल शुरूआती बारिश भी नहीं झेल पाया. और पहली ही बारिश में स्कूल परिसर में जमभराव की स्थिति बन गयी, आलम ये है कि बच्चे स्कूल टाइम में पूरे समय गिरते संभलते रहते हैं, इसके अलावा मध्याह्न भोजन की स्थिति तो और भी खराब है, न गैस सिलेंडर है और न ही कोई तय मीनू, लिहाजा मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिलाओं को रोजाना चूल्हा फूंकना पड़ता है और आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है.

स्कूल भले ही पानी-पानी हुआ है, पर यहां बच्चे गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं क्योंकि स्कूल में शुद्ध पेयजल का इंतजाम ही नहीं है, जबकि स्कूल की जर्जर इमारत खतरे को न्योता दे रही है. इस स्कूल में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसकी तारीफ की जा सके, ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्रों को कैसा कल मिलेगा, इस पर विचार करना जरूरी है. हालांकि, एसडीएम राजेश शाह ने स्कूल में मुकम्मल इंतजाम करने का आश्वासन दिया है.

सरकारें खूब जोर-शोर से सर्व शिक्षा अभियान का प्रचार प्रसार कर रही हैं, केंद्र सरकार भी शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखा रही है, पर शिक्षा की बुनियादी जरूरतों पर किसी का ध्यान नहीं है, सब के सब सिर्फ सपने दिखा रहे हैं, लेकिन ऐसे सपनों से भविष्य मुकम्मल नहीं होने वाला है. सपनों को हकीकत में बदलना है तो बुनियादी बदलाव बहुत जरूरी है.

Intro:जिला नरसिंहपुर तहसील गाडरवारा

ये मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले की गाडरवारा तहसील के दो अलग-अलग स्कूलों का हाल है।
जहां से आईं तस्वीरें शिक्षा व्यवस्था की पूरी हकीक़त बयां कर रही हैं
Body:ये मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले की गाडरवारा तहसील के दो अलग-अलग स्कूलों का हाल है।
जहां से आईं तस्वीरें शिक्षा व्यवस्था की पूरी हकीक़त बयां कर रही हैं

हाल ही में देश की वित्त मंत्री ने भारत में पढ़ने के लिए विदेशी छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना लाई हैं. इस नई योजना का नाम 'स्टडी इन इंडिया' है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'भारत में उच्च शिक्षा का बड़ा केंद्र बनने की पूरी संभावना है. इसलिए मैं 'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम का प्रस्ताव रखती हूं. ये कार्यक्रम विदेशी छात्रों को हमारे उच्च शिक्षा संस्थानो में पढ़ने के लिए आकर्षित करने पर ध्यान देगा.' वित्त मंत्री की बात से ये जाहिर होता है कि 'स्टडी इन इंडिया' एक योजना है जिसकी शुरुआत की जाएगी लेकिन सवाल ये है कि क्या ये योजना उस योजना से कुछ अलग है जिसके लिए 18 अप्रैल 2018 को सुषमा स्वराज ने एक वेबसाइट लॉन्च की थी और इसका नाम था 'स्टडी इन इंडिया पोर्टल'

लेकिन स्टडी इन इंडिया से अलग हकीक़त बयां करती ये तस्वीरें आपको इंडिया में स्टडी का पूरा हाल वयां कर देंगी।
कच्चे भवनों में पढ़ते बच्चे
मिड डे मील की पूरी हकीक़त
पानी मे तैरता शासकीय स्कूल
खराब पेयजल व्यवस्था

जी हां ये नज़ारा है गाडरवारा के शासकीय माध्यमिक स्कूलों का जहां अव्यवस्थओं का आलम ऐसा की बच्चों के माता पिता भी अपना माथा पकड़ रोने को मजबूर हो जाएं।
न तो स्कूल में अच्छे टीचर है न ही बच्चों को वो सुविधा दी जा रही है जिससे उनकी शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाया जा सके।
मिड डे मील का खाना कैसे गंदगी में बनाया जा रहा है साथ ही साथ जर्जर भवन के नीचे बैठे बच्चे देश की शिक्षा व्यवस्था को अंदर ही अंदर कोश रहे होंगे
स्कूल में पेयजल व्यवस्था के लिए नल तो है लेकिन उसमें से भी गंदा पानी पीने को बच्चे मजबूर हैं

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों ही अच्छी शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में फेल नजर आ रहे हैं
भले ही सरकारें शिक्षा को लेकर अलग-अलग दावे कर रही हैं और अपनी पीठ थपथपा रहीं है पर जमीनी हकीकत इससे परे है।
लकड़ी पर मिड डे मील का खाना बनाते कर्मचारी प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना की हकीकत बयां कर रहे हैं।


जब इस बारे में संबंधित शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने भी गोलमोल जवाब देने में बिल्कुल देर न करते हुए पल्ला झाड़ लिया
जब शिक्षक से पूछा गया कि आज मिड डे मील में खाना मेन्यू अनुसार नहीं बना है तो उन्हीने कहा कि ये हमारी जबाबदेही नहीं है

जब हमारा कैमरा तहसील के एसडीएम के पास पहुँचा तो उन्होंने भी रटारटाया जवाब देने में बिल्कुल देर न करते हुए कहा कि हमे आपके माध्यम से जानकारी मिली है जिसका जल्द से जल्द निराकरण किया जाएगा।

अब जबावदेही तो बनती है और जबाव भी देना होगा पर क्या इसी तरह देश की वित्त मंत्री स्टडी इन इंडिया की बुनियाद रखेंगी क्योंकि इंडिया मे तो स्टडी का हाल ही कुछ अलग है।



बाइट-01 राजेश शाह(एसडीएम)Conclusion:अब जबावदेही तो बनती है और जबाव भी देना होगा पर क्या इसी तरह देश की वित्त मंत्री स्टडी इन इंडिया की बुनियाद रखेंगी क्योंकि इंडिया मे तो स्टडी का हाल ही कुछ अलग है।
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