नरसिंहपुर। शिक्षा का ये मंदिर भले ही पानी-पानी हो गया है, लेकिन इस बदहाली पर कोई शर्म से पानी-पानी नहीं हुआ. ये सिर्फ एक स्कूल की दास्तां नहीं है, बल्कि प्रदेश के हजारों स्कूलों की यही दुर्दशा है, जिसकी गुहार भी कोई सुनने वाला नहीं है. सरकारें शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखाती हैं, पर इन्हीं सरकारों के पास स्कूलों की माली हालत सुधारने का कोई मुकम्मल उपाय नहीं है.
नरसिंहपुर के गाडरवारा तहसील क्षेत्र में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल शुरूआती बारिश भी नहीं झेल पाया. और पहली ही बारिश में स्कूल परिसर में जमभराव की स्थिति बन गयी, आलम ये है कि बच्चे स्कूल टाइम में पूरे समय गिरते संभलते रहते हैं, इसके अलावा मध्याह्न भोजन की स्थिति तो और भी खराब है, न गैस सिलेंडर है और न ही कोई तय मीनू, लिहाजा मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिलाओं को रोजाना चूल्हा फूंकना पड़ता है और आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है.
स्कूल भले ही पानी-पानी हुआ है, पर यहां बच्चे गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं क्योंकि स्कूल में शुद्ध पेयजल का इंतजाम ही नहीं है, जबकि स्कूल की जर्जर इमारत खतरे को न्योता दे रही है. इस स्कूल में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसकी तारीफ की जा सके, ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्रों को कैसा कल मिलेगा, इस पर विचार करना जरूरी है. हालांकि, एसडीएम राजेश शाह ने स्कूल में मुकम्मल इंतजाम करने का आश्वासन दिया है.
सरकारें खूब जोर-शोर से सर्व शिक्षा अभियान का प्रचार प्रसार कर रही हैं, केंद्र सरकार भी शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाने के सपने दिखा रही है, पर शिक्षा की बुनियादी जरूरतों पर किसी का ध्यान नहीं है, सब के सब सिर्फ सपने दिखा रहे हैं, लेकिन ऐसे सपनों से भविष्य मुकम्मल नहीं होने वाला है. सपनों को हकीकत में बदलना है तो बुनियादी बदलाव बहुत जरूरी है.