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बदहाली में जीवन जीने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित, नहीं मिला मुआवजा

मुरैना जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की विभीषिका से अभी भी उबर नहीं पाए हैं. ना तो प्रशासन से इन्हें कोई मदद मिली, ना ही सहायता राशि, ऐसे में किसानों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

बाढ़ पीड़ितों को न राशन मिला न मुआवजा
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Published : Nov 18, 2019, 5:36 PM IST

मुरैना। जिले में 2 महीने पहले चंबल में आई बाढ़ से ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है. जिसके बावजूद अभी तक शासन व प्रशासन की तरफ से ना राशन मिला और ना ही मुआवजा. जिले के खाड़ोली ग्राम पंचायत के बरवासिन, गंगाराम का पुरा, कितौरी सहित आधा दर्जन से अधिक गांव हैं, जो बाढ़ की आपदा से उबर नहीं पाए हैं. सरकारी मदद तो दूर की बात है, इनका हाल जानने के लिए भी कोई नहीं पहुंचा.

बाढ़ पीड़ितों को न राशन मिला न मुआवजा, ग्रामीण हो रहे परेशान


ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के दौरान केवल एक बार राशन का वितरण किया गया. वो भी सभी को नहीं मिला, जैसे तैसे लोग अपना गुजारा कर रहे हैं. कुछ लोग तो कर्ज लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. दरअसल एक दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ पीड़ितों को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली. सहायता के नाम पर मिलने वाला अनाज या अन्य राहत सामग्री भी इन लोगों को नहीं बांटा गया.

मुरैना। जिले में 2 महीने पहले चंबल में आई बाढ़ से ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है. जिसके बावजूद अभी तक शासन व प्रशासन की तरफ से ना राशन मिला और ना ही मुआवजा. जिले के खाड़ोली ग्राम पंचायत के बरवासिन, गंगाराम का पुरा, कितौरी सहित आधा दर्जन से अधिक गांव हैं, जो बाढ़ की आपदा से उबर नहीं पाए हैं. सरकारी मदद तो दूर की बात है, इनका हाल जानने के लिए भी कोई नहीं पहुंचा.

बाढ़ पीड़ितों को न राशन मिला न मुआवजा, ग्रामीण हो रहे परेशान


ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के दौरान केवल एक बार राशन का वितरण किया गया. वो भी सभी को नहीं मिला, जैसे तैसे लोग अपना गुजारा कर रहे हैं. कुछ लोग तो कर्ज लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. दरअसल एक दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ पीड़ितों को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली. सहायता के नाम पर मिलने वाला अनाज या अन्य राहत सामग्री भी इन लोगों को नहीं बांटा गया.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में 2 माह पूर्व चंबल में आई बाढ़ से किसी का मकान गिर गया तो किसी के पशु बह गए और पूरी फसल चौपट हो गई। करीब 2 महीना हो गया अभी तक शासन व प्रशासन की तरफ से ना राशन मिला और ना ही मुआवजा। ग्रामीणों की शिकायत पर ईटीवी की टीम जौरा जनपद की ग्राम पंचायत खाड़ोली के बरवासिन,कितौरी, सहित आधा दर्जन गांवों में पहुंची।चंबल का पानी तो उतर गया पर उससे हुई बर्बादी के निशान अब भी कायम है। यही नहीं इस बर्बादी में हाथ बढ़ाने के बड़े-बड़े दावे करने वाला जिला प्रशासन मुरैना के सभी दावे भी फेल होते नजर आ रहे हैं। दरअसल एक दर्जन से अधिक गांवों में ना तो अनाज ही पहुंचाया गया और ना ही कोई भी मदद लोग कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं। सहायता राशि के नाम पर मिलने वाला अनाज या अन्य मदद भी इन लोगों को मुहैया नहीं है। ऐसे में यह लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है।


Body:वीओ1 - मुरैना के खाड़ोली ग्राम पंचायत के बरवासिन,गंगाराम का पुरा,कितौरी सहित आधा दर्जन से अधिक गांव है जो बाढ़ की आपदा से उबर नहीं पाए हैं। सरकारी मदद तो दूर की बात है यहां पर उनके पास उनका हाल जानने के लिए भी कोई नहीं पहुंचा है। ऐसे में ये सभी गरीब जैसे तैसे अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के समय केवल एक बार राशन मिला है वो भी किसी को मिला और किसी को नही जैसे तैसे हम लोग अपना गुजारा कर रहें और तो और कुछ लोग तो कर्ज लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है।पर बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि बड़े-बड़े दावे करने वाला जिला प्रशासन आखिरकार इन लोगों की सुध कब लेगा।

बाइट1 - रेनू गुर्जर - पीड़ित ग्रामीण।
(काली साड़ी पहने हुए है)
बाइट2 - रामस्नेही - पीड़ित ग्रामीण।
बाइट3 - सुल्तान सिंह - पीड़ित ग्रामीण।





Conclusion:वीओ2 - चंबल में आई बाढ़ के समय तो शासन व प्रशासन ने बड़े बड़े दावे किए थे।बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि बड़े-बड़े दावे करने वाला जिला प्रशासन आखिरकार इन लोगों की सुध कब लेगा।
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