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क्षीरसागर योजना के तहत बने 300 तालाब, भू-जल बढ़ाने में मिली मदद - construction of ponds

दो दशकों से मुरैना जिले में लगातार भूजल स्तर गिरने से चिंतित सरकारों ने क्षीरसागर योजना के माध्यम से जल संरक्षण की कवायद शुरू की, जिसमें लगभग तीन सौ तालाबों का निर्माण किया गया. जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं.

Groundwater level increased due to government schemes
क्षीरसागर योजना
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Published : Aug 14, 2020, 7:22 PM IST

मुरैना। पिछले दो दशक में भूजल स्तर लगभग 10 मीटर से अधिक नीचे चला गया, लगातार नीचे जा रहे भूजल स्तर को ना केवल रोकने बल्कि उसे पुराने स्वरूप में लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके तहत सरकार ने क्षीरसागर योजना के माध्यम से जल संरक्षण की कवायद शुरू की, जिसमें लगभग तीन सौ तालाबों का निर्माण किया गया. जिसके अब सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है.

सरकार की योजनाओं से बढ़ा भूजल स्तर

मुरैना जिले का भूजल स्तर

हाल ही में सेंट्रल वाटर बोर्ड कृषि विज्ञान केंद्र सिंचाई विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की संयुक्त दल ने जांच की है, जिसमें ये सामने आया है कि क्षीरसागर योजना का सकारात्मक परिणाम मिल रहा है.

बता दें कि सन् 2000 में नया मुरैना जिले का भूजल स्तर 100 फीट से 125 फीट तक अलग-अलग क्षेत्रों में था, जो वर्तमान में 130 फीट से लेकर 180 फीट पर पहुंच गया. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार और प्रशासन सभी चिंतित होने लगे, क्योंकि लगातार गिरते भूजल स्तर से अंचल में ना केवल पेयजल स्रोतों में कुएं और हेड पंप ने पानी देना बंद कर दिया बल्कि सिंचाई के जल स्रोत भी टूटने लग गए, जिससे बड़ा संकट आने लगा.

Groundwater level increased due to government schemes
जिला पंचायत मुरैना

सरकार ने चलाई कई योजनाएं

ग्रामीण क्षेत्रों के जल संवर्धन के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं चलाई, जिसमें अर्धन डैम, तालाब निर्माण, स्थानीय नदियों पर चेक डैम और क्षीरसागर योजना के तहत गांव-गांव में बनाए जाने वाले तालाब जो लघु एवं मध्यम कृषि भूमि वाले किसानों की सिंचाई के लिए उपयोगी हो. इन सभी योजनाओं के तहत मुरैना जिले में लगभग एक दशक में हजार से अधिक तालाबों का निर्माण किया गया, जिसमें अकेली क्षीरसागर योजना के तहत 1 साल में 370 तालाब का निर्माण किया गया.

Groundwater level increased due to government schemes
जल संरक्षण

योजनाएं कारगार

क्षीरसागर योजना के तहत बनाए गए तालाबों से ना केवल छोटे-छोटे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा, बल्कि भूजल का गिरता स्तर भी नियंत्रित होने लगा. साथ ही मुरैना जिले के जौरा, कैलारस और पहाड़ गढ़ जनपद क्षेत्रों से गुजरने वाली 30 किलोमीटर केचमेंट एरिया वाली सोन नदी पर जगह-जगह स्टॉप डैम बनाए जाने से ना नदी का स्वरूप जीवंत हुआ है, वहीं आसपास के क्षेत्र का जलस्तर भी नियंत्रित हुआ है.

क्षीरसागर योजना का मिल रहा सकारात्मक परिणाम

अभी हाल ही में केंद्र सरकार की सेंट्रल वाटर बोर्ड, मुरैना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, सिंचाई विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से सर्वे किया है, जिसमें पाया गया है कि क्षीरसागर योजना, वाटर सेट योजना और मनरेगा के तहत बनाए गए खेत, तालाब और स्टॉप डैम से ना केवल छोटे-छोटे किसानों के सिंचाई के लिए जल स्त्रोत विकसित हुआ है, बल्कि जिन क्षेत्रों में इन तालाबों का निर्माण हुआ है, वहां का जल स्तर भी स्थिर हो गया है, जिससे पेयजल स्त्रोत संरक्षित होने लगा है और लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा मिला है.

मुरैना। पिछले दो दशक में भूजल स्तर लगभग 10 मीटर से अधिक नीचे चला गया, लगातार नीचे जा रहे भूजल स्तर को ना केवल रोकने बल्कि उसे पुराने स्वरूप में लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके तहत सरकार ने क्षीरसागर योजना के माध्यम से जल संरक्षण की कवायद शुरू की, जिसमें लगभग तीन सौ तालाबों का निर्माण किया गया. जिसके अब सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है.

सरकार की योजनाओं से बढ़ा भूजल स्तर

मुरैना जिले का भूजल स्तर

हाल ही में सेंट्रल वाटर बोर्ड कृषि विज्ञान केंद्र सिंचाई विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की संयुक्त दल ने जांच की है, जिसमें ये सामने आया है कि क्षीरसागर योजना का सकारात्मक परिणाम मिल रहा है.

बता दें कि सन् 2000 में नया मुरैना जिले का भूजल स्तर 100 फीट से 125 फीट तक अलग-अलग क्षेत्रों में था, जो वर्तमान में 130 फीट से लेकर 180 फीट पर पहुंच गया. इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार और प्रशासन सभी चिंतित होने लगे, क्योंकि लगातार गिरते भूजल स्तर से अंचल में ना केवल पेयजल स्रोतों में कुएं और हेड पंप ने पानी देना बंद कर दिया बल्कि सिंचाई के जल स्रोत भी टूटने लग गए, जिससे बड़ा संकट आने लगा.

Groundwater level increased due to government schemes
जिला पंचायत मुरैना

सरकार ने चलाई कई योजनाएं

ग्रामीण क्षेत्रों के जल संवर्धन के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं चलाई, जिसमें अर्धन डैम, तालाब निर्माण, स्थानीय नदियों पर चेक डैम और क्षीरसागर योजना के तहत गांव-गांव में बनाए जाने वाले तालाब जो लघु एवं मध्यम कृषि भूमि वाले किसानों की सिंचाई के लिए उपयोगी हो. इन सभी योजनाओं के तहत मुरैना जिले में लगभग एक दशक में हजार से अधिक तालाबों का निर्माण किया गया, जिसमें अकेली क्षीरसागर योजना के तहत 1 साल में 370 तालाब का निर्माण किया गया.

Groundwater level increased due to government schemes
जल संरक्षण

योजनाएं कारगार

क्षीरसागर योजना के तहत बनाए गए तालाबों से ना केवल छोटे-छोटे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा, बल्कि भूजल का गिरता स्तर भी नियंत्रित होने लगा. साथ ही मुरैना जिले के जौरा, कैलारस और पहाड़ गढ़ जनपद क्षेत्रों से गुजरने वाली 30 किलोमीटर केचमेंट एरिया वाली सोन नदी पर जगह-जगह स्टॉप डैम बनाए जाने से ना नदी का स्वरूप जीवंत हुआ है, वहीं आसपास के क्षेत्र का जलस्तर भी नियंत्रित हुआ है.

क्षीरसागर योजना का मिल रहा सकारात्मक परिणाम

अभी हाल ही में केंद्र सरकार की सेंट्रल वाटर बोर्ड, मुरैना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, सिंचाई विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से सर्वे किया है, जिसमें पाया गया है कि क्षीरसागर योजना, वाटर सेट योजना और मनरेगा के तहत बनाए गए खेत, तालाब और स्टॉप डैम से ना केवल छोटे-छोटे किसानों के सिंचाई के लिए जल स्त्रोत विकसित हुआ है, बल्कि जिन क्षेत्रों में इन तालाबों का निर्माण हुआ है, वहां का जल स्तर भी स्थिर हो गया है, जिससे पेयजल स्त्रोत संरक्षित होने लगा है और लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा मिला है.

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