मुरैना। मुरैना जिला पुरातात्विक संपदाओं से भरा पड़ा है. जिला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा मुरैना जिले के एक दर्जन से ज्यादा ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षित किया है. उन्हीं में से एक ककनमठ शिव मंदिर है. जो 11वीं शताब्दी में चोल राजाओं द्वारा बनवाया गया था. इस मंदिर से जुड़ी कई किवदंतिया अभी हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि यहां इस मंदिर का निर्माण भूतों द्वारा एक रात में किया गया है और जब सुबह होते ही उस समय महिलाओं द्वारा हाथ से चलाई जाने वाली चक्की चलाई गई तो उसकी आवाज सुनकर भूत मंदिर छोड़कर चले गए. तब से मंदिर के कई हिस्से अभी भी अधूरे पड़े हैं. वहीं दूसरी किवदंती यह है भी है कि जब नाई समाज के 7 काने दूल्हे एक साथ घोड़े पर सवार होकर यहां से गुजरेंगे तो यह मंदिर एक साथ भरभरा कर धराशाई हो जाएगा. लेकिन यह कोई भी प्रमाणिक बात नहीं है.
सिहोनिया नरेश ने पत्नी के लिए बनवाया था यह मंदिर
पुरातत्व विभाग के अनुसार 170 फीट यह मंदिर पत्थर की शिला से बना एक बेजोड़ विशालकाय मंदिर है. जो 11वीं शताब्दी में बना था. जो तब से आज तक यथावत बना हुआ है. बताया जाता है कि सिहोनिया नरेश ने अपनी पत्नी कर्णावती जो कि भगवान शंकर की उपासक थीं, जब तक शिव आराधना नहीं कर लेतीं थीं, तब तक अन्न और जल ग्रहण नहीं करती थीं. उनकी आराधना के लिए यह मंदिर बनवाया गया था. आज मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित कर पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है, लेकिन इस मंदिर के आस-पास पड़ी अपार पुरा संपदा आज भी बिखरी पड़ी है. जिसे संरक्षित करने के लिए शासन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है.
गिनती में कम संख्या में पाए जाते हैं खंभे
दरअसल, मुरैना से 40 किलोमीटर दूर स्थित शिवानिया के पास बने इस ककनमठ शिव मंदिर कि कई विशेषताएं हैं. यह पत्थर की सलाह से बना एक बेजोड़ विशालकाय मंदिर ही नहीं बल्कि धार्मिक महत्व में भी उसका विशेष स्थान है. मंदिर के अंदर रखे शिवलिंग की विशेषता यह है कि यहां शिव परिवार के साथ नंदी होना चाहिए. जो हर मंदिर में पाया जाता है, लेकिन ककनमठ मंदिर में नंदी का स्थान मंदिर परिसर के बाहर है. यही नहीं इस मंदिर के बरामदे में 52 खंबे बने हुए हैं, लेकिन जब गिना जाता है तब इनकी संख्या या तो 51 होती है. मंदिर के चारों ओर 11वीं शताब्दी और उससे पहले की सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने वाली हजारों मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं.लेकिन उन्हें संरक्षित करने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया.
ग्वालियर और दिल्ली संग्रहालय में भेजी गईं कई मूर्तियां
हालांकि यहां की मूर्तियां मुरैना ग्वालियर, दिल्ली और अनेक संग्रहालय में जा चुकी हैं. बावजूद इसके मूर्ति चोरों द्वारा भी बड़ी संख्या में यहां से मूर्तियों को चुराया गया है. इसके बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस रणनीति बनाकर इन मूर्तियों को संरक्षित और सुरक्षित करने की व्यवस्था नहीं की है. जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने बताया कि जितनी भी पुरा संपदा शिवन्या क्षेत्र में थी, उसे एक जगह एकत्रित कर दिया गया है. जब इन पर्यटन के केंद्रों को विकसित करने और सुरक्षित करने की बात राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया से पूछी गई, तो उनका कहना है कि हमारे प्रशासनिक और पुरातत्व विभाग के अधिकारी इस संबंध में लगातार काम कर रहे हैं.