मुरैना। मां- बाप अपनी पूरी जिंदगी की कमाई बच्चों पर लगा देते हैं, इस उम्मीद के साथ कि, बुढ़ापे का सहारा बनेंगे, लेकिन जब यही बच्चे उनका साथ छोड़ दें, तो जिंदगी नर्क बन जाती है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है मुरैना जिले के पोरस कस्बे से, जहां रिटायर्ड फौजी इंस्पेक्टर सिंह अपनी 95 वर्ष की बीमारी पत्नी के साथ किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. दोनों बच्चों ने माता- पिता का साथ छोड़ दिया है. बुजुर्ग दंपति पड़ोसियों के सहारे जीने को मजबूर है.
दरअसल पोरसा के गांधी कॉलोनी में रहने वाले इंस्पेक्टर सिंह के दो बेटे और एक बेटी है, लेकिन 95 साल की उम्र में दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें पड़ोसियों की तरफ देखना पड़ता है. रिटायर्ट फौजी ने मदद के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है, साथ ही दोनों बेटों पर कार्रवाई की मांग भी की है. तहसीलदार ने फौजी की पीड़ा सुनने के बाद मामला दर्ज कर एसडीएम को भेज दिया है.
10 साल से पत्नी लकवा ग्रस्त
रिटायर्ड फौजी इंस्पेक्टर सिंह गांधी कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. पत्नी पिछले 10 सालों से लकवा ग्रस्त है, जिसके चलते न तो खाना बना पाते हैं और न ही खा पाते हैं. पड़ोसी उनकी मदद कर देते हैं. कभी-कभी उनको खाली पेट भी रात गुजारनी पड़ती है.
3 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं इंस्पेक्टर सिंह
इंस्पेक्टर सिंह ने आर्मी में कुछ साल नौकरी करने के बाद वीआरएस ले लिया था. इसके बाद उन्होंने सीआईएसएफ में नौकरी की. फौज में दो-दो नौकरियां करते हुए करोड़ों की दौलत तो कमा ली, लेकिन पारिवारिक सुख से वंचित हैं. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पोरसा में एक मकान, एक प्लॉट के अलावा 8 बीघा जमीन खरीद ली. जानकारी के मुताबिक वे करीब 3 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं.
दोनों बेटे नहीं दे रहे साथ
बता दें कि, इंस्पेक्टर सिंह के दो बेटे और एक बेटी है. दोनों बेटे देवेंद्र सिंह तोमर व राजेन्द्र सिंह तोमर को भी फौज में नौकरी मिल गई. बेटी शादी के बाद ससुराल चली गई. दोनों बेटे अपने परिवार को लेकर ग्वालियर व भोपाल में शिफ्ट हो गए. रिटायर्ड फौजी का कहना है कि, दोनों बेटे बुढ़ापे में उनको अपने हाल पर छोड़कर चले गए हैं.
बुढ़ापे में सहारा बनने आई बेटी ने ठगा
रिटायर्ड फौजी इंस्पेक्टर सिंह का कहना है कि, उनकी बेटी मीरा 4 साल पहले बुढ़ापे में सहारा बनने आई थी. 5- 6 महीने उनकी खूब सेवा की, लेकिन एक दिन बेटी भी उनको धोखा देकर नगदी व गहने सहित कुल 8-10 लाख का माल समेटकर अपनी ससुराल चली गई. बाद में बेटी ने फोन उठाना भी बंद कर दिया.
प्रशासन से लगाई गुहार
जानकारी मिलने पर तहसीलदार नरेश शर्मा, पटवारी को लेकर उनके घर पहुंचे. इस दौरान बुजुर्ग दंपत्ति ने तहसीलदार को आपबीती बताई. उन्होंने बताया कि, कोई परिवार या मोहल्ले का आदमी खाना लेकर आता है, तो बेटे उनको फोन पर धमकी देते हैं, जिसक चलते अब कोई मदद करने भी नहीं आता. तहसीलदार से कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने न्याय की गुहार लगाई.
तहसीलदार नरेश शर्मा का कहना है कि, सब कुछ होने के बाद भी बुजुर्ग दंपती खाने व इलाज के लिए परेशान है. इस मामले में भरण-पोषण अधिनियम के तहत प्रकरण बनाकर एसडीएम कोर्ट में पेश किया जाएगा.