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मुरैना: सिय-पिय मिलन समारोह का हुआ आयोजन - मुरैना न्यूज

महान संत की तपोस्थली करह धाम आश्रम पर सिय-पिय मिलन मेले का आयोजन हुआ. 7 दिनों तक चलने वाले इस सेपिया मेले का आज आखिरी दिन था. यहां श्रीमद्भागवत के 108 पाठ पूर्ण होने के बाद हवन पूजन कर यज्ञशाला में पूर्णाहुति दी गई.

Si Piy  ceremony organizedi in morena
सिय पिय मिलन समारोह
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Published : Mar 7, 2021, 12:25 PM IST

मुरैना। महान संत की तपोस्थली करह धाम आश्रम पर सिय-पिय मिलन मेले का आयोजन किया गया. मेले में महान संत पटिया वाले बाबा की तपोस्थली करह धाम पर अंचल ही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. पटिया वाले बाबा की तपोस्थली करह तीर्थ क्षेत्र में हर साल सिय-पिय मिलन समारोह मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में देश-विदेश से बड़ी मात्रा में संतों का समागम होता है. भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पटिया वाले बाबा के दर्शन करने आते हैं. 7 दिनों तक चलने वाले सिय-पिय मिलन समारोह मेले में रात दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें अखंड रामायण पाठ, सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा का अखंड पाठ, राम नाम की अखंड धुन के साथ-साथ हरे कृष्णा, हरे राम की धुन बजाई जाती है. यह सभी कार्यक्रम अखंड रूप से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग श्रद्धालुओं की टोलियां आयोजित करती है. यही नहीं 7 दिन तक श्रीमद्भागवत के 108 मूल पाठ का वाचन भी किया जाता है.

नेताओं का भी रहता है जमावड़ा

धाम पर आयोजित होने वाले सात दिवसीय मेले में पटिया वाले बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए न केवल श्रद्धालु आते हैं बल्कि अंचल के बड़े-बड़े नेता और मंत्री भी यहां बाबा की समाधि स्थल पर मत्था टेकने आते हैं. इस बार भी मेले में राज्यसभा सांसद ज्योतिराज सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना, पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के अलावा अंचल के तमाम विधायक और बड़े-बड़े नेता यहां पहुंचे.

पढ़ें: पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने राम मंदिर के लिए इकट्ठा किया चंदा

प्रशासन के आधिपत्य में है मंदिर की व्यवस्थाएं

बाबा के समाधि स्थल के अलावा उनके आराध्य देव भगवान श्री राम और कृष्ण के मंदिरों के साथ-साथ शिव जी का मंदिर है.यहां अनेक देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं. इस मंदिर पर लाखों श्रद्धालु मेले के दौरान आते हैं. मंदिर की व्यवस्थाओं का जिम्मा धाम सेवा ट्रस्ट पर है.


सिय-पिय मेला का आज है आखरी दिन

सेपिया मेले में का आयोजन पिछले 1 सप्ताह से चल रहा है और आज इस मेले का आखरी दिन है. आज यहां श्रीमद्भागवत के 108 पाठ का पूर्ण होने के बाद हवन पूजन कर यज्ञशाला में पूर्णाहुति दी गई.

मुरैना। महान संत की तपोस्थली करह धाम आश्रम पर सिय-पिय मिलन मेले का आयोजन किया गया. मेले में महान संत पटिया वाले बाबा की तपोस्थली करह धाम पर अंचल ही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. पटिया वाले बाबा की तपोस्थली करह तीर्थ क्षेत्र में हर साल सिय-पिय मिलन समारोह मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में देश-विदेश से बड़ी मात्रा में संतों का समागम होता है. भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पटिया वाले बाबा के दर्शन करने आते हैं. 7 दिनों तक चलने वाले सिय-पिय मिलन समारोह मेले में रात दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें अखंड रामायण पाठ, सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा का अखंड पाठ, राम नाम की अखंड धुन के साथ-साथ हरे कृष्णा, हरे राम की धुन बजाई जाती है. यह सभी कार्यक्रम अखंड रूप से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग श्रद्धालुओं की टोलियां आयोजित करती है. यही नहीं 7 दिन तक श्रीमद्भागवत के 108 मूल पाठ का वाचन भी किया जाता है.

नेताओं का भी रहता है जमावड़ा

धाम पर आयोजित होने वाले सात दिवसीय मेले में पटिया वाले बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए न केवल श्रद्धालु आते हैं बल्कि अंचल के बड़े-बड़े नेता और मंत्री भी यहां बाबा की समाधि स्थल पर मत्था टेकने आते हैं. इस बार भी मेले में राज्यसभा सांसद ज्योतिराज सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मंत्री एदल सिंह कंसाना, पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के अलावा अंचल के तमाम विधायक और बड़े-बड़े नेता यहां पहुंचे.

पढ़ें: पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने राम मंदिर के लिए इकट्ठा किया चंदा

प्रशासन के आधिपत्य में है मंदिर की व्यवस्थाएं

बाबा के समाधि स्थल के अलावा उनके आराध्य देव भगवान श्री राम और कृष्ण के मंदिरों के साथ-साथ शिव जी का मंदिर है.यहां अनेक देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं. इस मंदिर पर लाखों श्रद्धालु मेले के दौरान आते हैं. मंदिर की व्यवस्थाओं का जिम्मा धाम सेवा ट्रस्ट पर है.


सिय-पिय मेला का आज है आखरी दिन

सेपिया मेले में का आयोजन पिछले 1 सप्ताह से चल रहा है और आज इस मेले का आखरी दिन है. आज यहां श्रीमद्भागवत के 108 पाठ का पूर्ण होने के बाद हवन पूजन कर यज्ञशाला में पूर्णाहुति दी गई.

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