मुरैना। वर्तमान समय में मुरैना जिले में 0 से 6 साल के 32 हजार ऐसे बच्चे हैं, जो या तो कुपोषण के शिकार हैं या फिर एनीमिया के शिकार हैं. इन सभी समस्याओं से बच्चों को निजात दिलाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सहजना के पौधे का प्रयोग किया जा रहा है. विभाग का मानना है कि सहजन के पौधे की फली पत्ती छाल और जड़ सभी चीजों में पर्याप्त पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कुपोषण और एनीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में अचूक बाण साबित होगा.
सहजन के वनस्पतिक नाम
सहजन को मोरिंगा के नाम से भी जाना जाता है इसका पूरा वनस्पतिक नाम मोरिंगा ओलेइफेरा है. अंग्रेजी में इसे ड्रमस्टिक भी कहा जाता है. इसके अलावा सहजना और मुनगा का नाम भी भारत में प्रचलन में है.
सहजन के फल, पत्ती, जालौर, जड़ में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात की जाए तो इसमें संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है. गाजर से 4 गुना अधिक विटामिन पाया जाता है, केले से 15 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है. पालक से 25 गुना अधिक आयरन पाया जाता है और दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम.
यही कारण है कि विभाग द्वारा बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की कमी को दूर करने के लिए अब सजना के फली और पति को दैनिक जीवन में खाने में लाए जाने की सिफारिश विभाग द्वारा की जा रही है.
औषधीय गुणों से संपन्न सहजन के पौधे की उपलब्धता हर जगह हो इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पौधा लगाने के लिए वितरित किया है. साथ ही सभी सहयोगी विभागों को भी अपने अपने क्षेत्र में सहजन के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. ताकि आम आदमी तक सहजन की फली, पत्ती और पाउडर की उपलब्धता हो सके.