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रिटायर्ड कर्मचारियों ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु, पेंशन ना मिलने से हैं परेशान

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Published : Aug 11, 2020, 8:32 PM IST

विभिन्न राज्य में संचालित 42 ग्रामीण बैंकों से सेवानिवृत्त 212 से अधिक कर्मचारियों ने राष्ट्रपति महोदय और भारत सरकार के वित्त मंत्री से सपरिवार आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है. सरकार द्वारा पेंशन ना दिए जाने से ये लोग परेशान हैं.

The president asked for permission to commit suicide
राष्ट्रपति से आत्महत्या की अनुमति मांगी

मुरैना। देश के विभिन्न राज्य में संचालित 42 ग्रामीण बैंकों से सेवानिवृत्त 1000 से अधिक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पेंशन से वंचित किया गया है. इसी कारण कर्मचारियों ने भारत सरकार के वित्त मंत्री और राष्ट्रपति महोदय से आत्महत्या की अनुमति मांगी है. इसके लिए ऑफिशल मेल आईडी पर ईमेल किए गए हैं.

इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें भारत सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी ग्रामीण बैंकों के स्थानीय प्रबंधकों की व्यक्तिगत द्वेष भावना के कारण पेंशन से वंचित किया गया है. शासन के नियमों और गाइडलाइन का हवाला देने के बावजूद भी उन्हें पेंशन नहीं दी जा रही. उनका परिवार भूखा मरने को मजबूर है, इसलिए उन्हें राष्ट्रपति महोदय और वित्त मंत्रालय द्वारा आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान कर दी जाए.

देश में विभिन्न क्षेत्रों में बैंकों का संचालन स्थानीय कमेटियों द्वारा किया जाता था. बाद में इन बैंकों को राज्यवार एक ग्रामीण बैंक बनाकर समाहित कर दिया गया. इसी तरह मध्यप्रदेश में तमाम क्षेत्रीय बैंकों को मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक में परिवर्तित कर दिया गया.

कानूनी लड़ाई के बाद मिली थी पेंशन की अनुमति

वर्तमान समय में देश के विभिन्न राज्यों में 42 ग्रामीण बैंक के संचालित हैं. इन बैंक के कर्मचारियों द्वारा समान कार्य समान वेतन को लेकर उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इन्हें 2010 के बाद से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन देने के निर्देश सरकार को दिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद वित्त मंत्रालय ने भी इन कर्मचारियों को पेंशन भुगतान करने के मापदंड तय करते हुए आदेश जारी कर दिए.

वित्त मंत्रालय ने 2010 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया था. जो वित्तीय अनियमितताओं को लेकर या भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बैंक से या तो हटाए गए या फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई. बाद में इन कर्मचारियों ने दोबारा न्यायालय की शरण ली, जिसके बाद ऐसे कर्मचारियों को भी पेंशन की अनुमति दी गई, जिन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति बैंक प्रबंधक द्वारा दी गई है.

वर्तमान में देश के विभिन्न बैंकों में 2010 के बाद रिटार्यड हुए या स्थाई रिटायरमेंट देने वाले या वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने वाले कर्मचारियों को भी न्यायालय की शरण के बाद व्यक्तिगत पेंशन जारी कर दी गई. लेकिन 1000 से अधिक कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो पेंशन से अभी भी वंचित हैं.

जो प्रबंधन की विद्वेष पूर्ण कार्रवाई के कारण बैंक से हटाए गए थे. इन कर्मचारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से पेंशन बहाली के लिए गुहार लगाई, लेकिन इन्हें कहीं से आशा की किरण दिखाई नहीं दे रही और परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.

अब इन कर्मचारियों ने वित्त मंत्री भारत सरकार, रिजर्व बैंक और राष्ट्रपति महोदय के आधिकारिक मेल आईडी पर मेल भेजकर अपनी समस्या से अवगत कराते हुए आत्महत्या की अनुमति मांगी है.

मुरैना। देश के विभिन्न राज्य में संचालित 42 ग्रामीण बैंकों से सेवानिवृत्त 1000 से अधिक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पेंशन से वंचित किया गया है. इसी कारण कर्मचारियों ने भारत सरकार के वित्त मंत्री और राष्ट्रपति महोदय से आत्महत्या की अनुमति मांगी है. इसके लिए ऑफिशल मेल आईडी पर ईमेल किए गए हैं.

इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें भारत सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी ग्रामीण बैंकों के स्थानीय प्रबंधकों की व्यक्तिगत द्वेष भावना के कारण पेंशन से वंचित किया गया है. शासन के नियमों और गाइडलाइन का हवाला देने के बावजूद भी उन्हें पेंशन नहीं दी जा रही. उनका परिवार भूखा मरने को मजबूर है, इसलिए उन्हें राष्ट्रपति महोदय और वित्त मंत्रालय द्वारा आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान कर दी जाए.

देश में विभिन्न क्षेत्रों में बैंकों का संचालन स्थानीय कमेटियों द्वारा किया जाता था. बाद में इन बैंकों को राज्यवार एक ग्रामीण बैंक बनाकर समाहित कर दिया गया. इसी तरह मध्यप्रदेश में तमाम क्षेत्रीय बैंकों को मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक में परिवर्तित कर दिया गया.

कानूनी लड़ाई के बाद मिली थी पेंशन की अनुमति

वर्तमान समय में देश के विभिन्न राज्यों में 42 ग्रामीण बैंक के संचालित हैं. इन बैंक के कर्मचारियों द्वारा समान कार्य समान वेतन को लेकर उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इन्हें 2010 के बाद से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन देने के निर्देश सरकार को दिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद वित्त मंत्रालय ने भी इन कर्मचारियों को पेंशन भुगतान करने के मापदंड तय करते हुए आदेश जारी कर दिए.

वित्त मंत्रालय ने 2010 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया था. जो वित्तीय अनियमितताओं को लेकर या भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बैंक से या तो हटाए गए या फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई. बाद में इन कर्मचारियों ने दोबारा न्यायालय की शरण ली, जिसके बाद ऐसे कर्मचारियों को भी पेंशन की अनुमति दी गई, जिन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति बैंक प्रबंधक द्वारा दी गई है.

वर्तमान में देश के विभिन्न बैंकों में 2010 के बाद रिटार्यड हुए या स्थाई रिटायरमेंट देने वाले या वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने वाले कर्मचारियों को भी न्यायालय की शरण के बाद व्यक्तिगत पेंशन जारी कर दी गई. लेकिन 1000 से अधिक कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो पेंशन से अभी भी वंचित हैं.

जो प्रबंधन की विद्वेष पूर्ण कार्रवाई के कारण बैंक से हटाए गए थे. इन कर्मचारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से पेंशन बहाली के लिए गुहार लगाई, लेकिन इन्हें कहीं से आशा की किरण दिखाई नहीं दे रही और परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.

अब इन कर्मचारियों ने वित्त मंत्री भारत सरकार, रिजर्व बैंक और राष्ट्रपति महोदय के आधिकारिक मेल आईडी पर मेल भेजकर अपनी समस्या से अवगत कराते हुए आत्महत्या की अनुमति मांगी है.

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