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राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले राजीव डंडोतिया ने की ETV भारत से बातचीत, 500 साल का संघर्ष खत्म

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Published : Aug 3, 2020, 3:35 PM IST

राम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास पांच तारीख को पीएम मोदी करेंगे. ऐसे में सभी राम भक्तों में उत्साह का माहौल है. हिंदु जागरण मंच के प्रांत अध्यक्ष राजीव डंडौतिया उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने1992 के राममंदिर आंदोलन में भाग लिया था.

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राजीव डंडोतिया, प्रांत अध्यक्ष, हिंदू जागरण मंच

मुरैना। पांच अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. राम मंदिर का आंदोलन करीब 500 सालों तक चला. जिसमें मध्य प्रदेश में के भी कई लोगों ने भाग लिया था. मुरैना में रहने वाले हिंदू जागरण मंच के प्रांत अध्यक्ष, राजीव डंडोतिया ने भी 1992 के राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.

राजीव डंडोतिया, प्रांत अध्यक्ष, हिंदू जागरण मंच

राजीव डंडौतिया ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से 500 सालों का संघर्ष खत्म हो गया. इस पल का सभी को लंबे समय से इंतजार था. इस इंतजार की बहुत बड़ी वजह कांग्रेस थी. आजादी के बाद राजनीतिक कारणों से राम जन्मभूमि विवाद निर्णय को देरी करने में राजनीतिक दलों की जो भूमिका रही उसके लिए कांग्रेस की सरकार है. आज भी कांग्रेस का यही मत है कि राम मंदिर निर्माण ना हो. जिसके चलते रावण के प्रेस सलाहकार राक्षस कालनेमि की भाति हनुमान का रास्ता रोककर खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं.

हिंदुओं का आस्था का प्रतीक है राम मंदिर

राजीव डंडौतिया ने कहा कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. 1528 में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़ा था. तब से लेकर अब तक यह संघर्ष चल रहा था. लेकिन राम के भक्तों की इच्छा अब पूरी होने जा रही है. लेकिन राम मंदिर के लिए सैकड़ों लोगों ने अपना बलिदान दिया है. इसलिए हम सभी को उन्हें भी याद करना चाहिए.

आजादी के बाद पांच मुकदमे दर्ज हुए

राजीव डंडौतिया ने बताया कि आजादी के बाद राम मंदिर आंदोलन के लिए पांच मुकदमे दर्ज हुए थे. पांचों मुकदमों की लंबी प्रक्रिया चली. पांचवें मुकदमे में खुद रामलला को पक्षकार बनाया गया था. राम मंदिर के लिए सरकारें भी गिरीं. लेकिन संघर्ष चलता रहा. यही वजह थी की राम मंदिर का निर्णय आने में इतनी देर लगी. उन्होंने कहा कि हिन्दू जागरण मंच ने सभी देश वासियों से अपील की है कि 5 अगस्त को सभी देशवासी भगवान राम के दिव्य और भव्य मंदिर की आधारशिला के अवसर पर घरों में दीपक जलाएं. जैसे एक नई दीपावली का उत्सव मनाया जाए.

मुरैना। पांच अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. राम मंदिर का आंदोलन करीब 500 सालों तक चला. जिसमें मध्य प्रदेश में के भी कई लोगों ने भाग लिया था. मुरैना में रहने वाले हिंदू जागरण मंच के प्रांत अध्यक्ष, राजीव डंडोतिया ने भी 1992 के राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.

राजीव डंडोतिया, प्रांत अध्यक्ष, हिंदू जागरण मंच

राजीव डंडौतिया ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से 500 सालों का संघर्ष खत्म हो गया. इस पल का सभी को लंबे समय से इंतजार था. इस इंतजार की बहुत बड़ी वजह कांग्रेस थी. आजादी के बाद राजनीतिक कारणों से राम जन्मभूमि विवाद निर्णय को देरी करने में राजनीतिक दलों की जो भूमिका रही उसके लिए कांग्रेस की सरकार है. आज भी कांग्रेस का यही मत है कि राम मंदिर निर्माण ना हो. जिसके चलते रावण के प्रेस सलाहकार राक्षस कालनेमि की भाति हनुमान का रास्ता रोककर खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं.

हिंदुओं का आस्था का प्रतीक है राम मंदिर

राजीव डंडौतिया ने कहा कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. 1528 में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़ा था. तब से लेकर अब तक यह संघर्ष चल रहा था. लेकिन राम के भक्तों की इच्छा अब पूरी होने जा रही है. लेकिन राम मंदिर के लिए सैकड़ों लोगों ने अपना बलिदान दिया है. इसलिए हम सभी को उन्हें भी याद करना चाहिए.

आजादी के बाद पांच मुकदमे दर्ज हुए

राजीव डंडौतिया ने बताया कि आजादी के बाद राम मंदिर आंदोलन के लिए पांच मुकदमे दर्ज हुए थे. पांचों मुकदमों की लंबी प्रक्रिया चली. पांचवें मुकदमे में खुद रामलला को पक्षकार बनाया गया था. राम मंदिर के लिए सरकारें भी गिरीं. लेकिन संघर्ष चलता रहा. यही वजह थी की राम मंदिर का निर्णय आने में इतनी देर लगी. उन्होंने कहा कि हिन्दू जागरण मंच ने सभी देश वासियों से अपील की है कि 5 अगस्त को सभी देशवासी भगवान राम के दिव्य और भव्य मंदिर की आधारशिला के अवसर पर घरों में दीपक जलाएं. जैसे एक नई दीपावली का उत्सव मनाया जाए.

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