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एक साधारण किसान, जिसने सियासत में बनाई अपनी एक अलग पहचान, जाने नरेंद्र सिंह तोमर का राजनीतिक सफर

बीजेपी के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर इस बार ग्वालियर की बजाए मुरैना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत से है, तोमर-रावत को 2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार हरा चुके हैं.

मुरैना लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर
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Published : May 11, 2019, 12:09 PM IST

मुरैनाl सियासी शतरंज का बादशाह, चाणक्य जैसी चातुरता और बाजी पलटने की कुशलता ने एक आम इंसान को सियासत का बाजीगर बना दिया, नाम है नरेंद्र सिंह तोमर, एक साधारण परिवार से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीतिक कुशलता का लोहा पूरा बीजेपी संगठन मानता है. उनकी अगुवाई में बीजेपी ने 2008 और 2013 में मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी की थी.

नरेंद्र सिंह तोमर का सियासी सफर

2014 में ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे तोमर को मोदी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी सौंपी गयी. इस बार तोमर ग्वालियर से न लड़कर मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं. जहां उनका मुकाबला 2009 में प्रतिद्वंदी रहे रामनिवास रावत से दोबारा हो रहा है. 2009 में इसी सीट से तोमर ने रामनिवास रावत को हराया था. पार्टी ने यहां से अटल बिहारी के भांजे अनूप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को प्रत्याशी बनाया है. नरेंद्र सिंह तोमर के सियासी सफर पर एक नजर डालें तो.

1983 में ग्वालियर नगर निगम के पार्षद चुने गए
1998 में पहली बार विधायक बने
2003 में मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री बने
2009 लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने
2008 और 2013 में तोमर की अगुवाई में पार्टी ने सूबे की सत्ता में वापसी की
2014 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री बनाए गए
नरेंद्र सिंह तोमर एक बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं

बागी-बीहड़ के लिए बदनाम, लेकिन मोर, घड़ियाल, डॉल्फिन के अलावा गजक की मिठास वाले मुरैना से निकलकर दिल्ली की गलियों में तोमर का सितारा इस कदर बुलंद हुआ कि उनकी चमक के आगे बड़े-बड़ों की चमक फीकी पड़ गयी. मध्यप्रदेश की सियासत में हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर अब सूबे में बीजेपी के एक मजबूत स्तंभ के रुप में स्थापित हो चुके हैं. मुरैना से चुनाव लड़ रहे तोमर के उपर केवल अपनी सीट की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें सूबे की सभी सीटों के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी सौंपी है. जो तोमर के सियासी कौशल की खुद-ब-खुद गवाही देता है.

मुरैनाl सियासी शतरंज का बादशाह, चाणक्य जैसी चातुरता और बाजी पलटने की कुशलता ने एक आम इंसान को सियासत का बाजीगर बना दिया, नाम है नरेंद्र सिंह तोमर, एक साधारण परिवार से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीतिक कुशलता का लोहा पूरा बीजेपी संगठन मानता है. उनकी अगुवाई में बीजेपी ने 2008 और 2013 में मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी की थी.

नरेंद्र सिंह तोमर का सियासी सफर

2014 में ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे तोमर को मोदी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी सौंपी गयी. इस बार तोमर ग्वालियर से न लड़कर मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं. जहां उनका मुकाबला 2009 में प्रतिद्वंदी रहे रामनिवास रावत से दोबारा हो रहा है. 2009 में इसी सीट से तोमर ने रामनिवास रावत को हराया था. पार्टी ने यहां से अटल बिहारी के भांजे अनूप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को प्रत्याशी बनाया है. नरेंद्र सिंह तोमर के सियासी सफर पर एक नजर डालें तो.

1983 में ग्वालियर नगर निगम के पार्षद चुने गए
1998 में पहली बार विधायक बने
2003 में मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री बने
2009 लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने
2008 और 2013 में तोमर की अगुवाई में पार्टी ने सूबे की सत्ता में वापसी की
2014 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री बनाए गए
नरेंद्र सिंह तोमर एक बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं

बागी-बीहड़ के लिए बदनाम, लेकिन मोर, घड़ियाल, डॉल्फिन के अलावा गजक की मिठास वाले मुरैना से निकलकर दिल्ली की गलियों में तोमर का सितारा इस कदर बुलंद हुआ कि उनकी चमक के आगे बड़े-बड़ों की चमक फीकी पड़ गयी. मध्यप्रदेश की सियासत में हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर अब सूबे में बीजेपी के एक मजबूत स्तंभ के रुप में स्थापित हो चुके हैं. मुरैना से चुनाव लड़ रहे तोमर के उपर केवल अपनी सीट की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें सूबे की सभी सीटों के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी सौंपी है. जो तोमर के सियासी कौशल की खुद-ब-खुद गवाही देता है.

Intro:लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किया है । नरेंद्र सिंह तोमर 2014 के चुनावों में ग्वालियर से सांसद बनकर संसद पहुंचे थे । वही इस बार पार्टी ने उन्हें एक बार फिर मुरैना लोकसभा से प्रत्याशी घोषित किया है । इससे पूर्व 2009 में भी नरेंद्र सिंह मुरेना लोकसभा से चुनाव जीत कर सांसद रह चुके है ।





Body:
नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म मुरेना जिले की पोरसा तहसील के गांव ओरेठी में सन 1952 में हुआ था । कुछ समय बाद इनके पिता ग्वालियर आकर रहने लगे ।नरेंद्र सिंह का राजनीतिक जीवन ग्वालियर से ही शुरू हुआ । नरेंद्र सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा से की । सबसे पहले वे 1980 में युवा मोर्चा ग्वालियर के जिला अध्यक्ष बने । इसके बाद 1983 में नगर निगम के पार्षद बने। और 1991 में युवा मौर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनकर राजनीत में अपनी पकड़ मजबूत की । सन 2003 में नरेंद्र सिंह विधायक बने और प्रदेश सरकार में मंत्री भी ।2005 और 2008 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने । प्रदेश अध्यक्ष बनने के समय मंत्री पद छोड़ा और इसी दौरान राज्य सभा के सांसद भी बने ।



Conclusion:
इनके नेतृत्व में प्रदेश में अपनी और पार्टी की जीत दर्ज की ।2009 में मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट से भाजपा के सांसद चुनकर दिल्ली पहुचे ।इस दौरान पार्टी में राष्ट्रीय महा सचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे । 2014 में ग्वालियर लोकसभा से चुनाव जीते , और केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बने । और एक बार फिर 2019 में पार्टी ने वर्तमान सांसद अनूप मिश्रा का टिकिट काट कर नरेंन्द्र सिंह तोमर को मुरेना से प्रत्यासी बनाया है ।
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