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दूरी कम करने के लिए जान से खिलवाड़, रोज पार करते हैं खतरनाक पुल - Neroga rail line

मुरैना जिले में कम दूरी तय करने के चक्कर में सुमावली से जौरा जाने के लिए लोग लंबा रास्ता तय न कर जान की बाजी लगाकर पुल पार कर रहे हैं.

पार करते हैं खतरनाक पुल
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Published : Aug 3, 2019, 3:36 PM IST

मुरैना। सुमावली से जौरा को जोड़ने वाला एक मात्र पुल जो आसन नदी पर बना हुआ है, क्षतिग्रस्त हो गया था. इस पुल से ग्वालियर से श्योपुर जाने वाली नैरोगेज ट्रेन गुजरा करती थी, साथ ही उस पुल से लोगों की भी आवाजाही होती थी. पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली तो इसे ठीक करवाया गया, जिसके बाद पुल के किनारे वाले फुटपाथ के सिरों को तोड़ दिया गया, ताकि लोग वहां से आना-जाना न कर सकें, लेकिन इसके बाद भी लोग वहां से गुजर रहे हैं, जिन्हे रोकने के लिए एक चौकीदार को तैनात कर दिया गया है.

जान की बाजी लगाकर लोग पार कर रहे हैं पुल


क्षेत्र में लगभग 40 ग्राम पंचायत हैं, जो जौरा तहसील में आते हैं, इसलिए क्षेत्र के लोगों को सुमावली से जौरा जाना होता है. नैरोगेज रेल लाइन के रास्ते सुमावली से जौरा की दूरी सिर्फ 12 किलोमीटर है. वहीं सड़क मार्ग से मुरैना होते हुए जाएं, तो लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसके कारण गांव वालों को अधिक समय लगता है. ऐसी स्थिति में लोग या तो ट्रेन से जौरा जाते हैं या अपने दोपहिया वाहन को लेकर रेलवे ब्रिज के किनारे जौरा जाया करते थे, लेकिन फुटपाथ को तोड़ने के बाद आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और जान से खिलवाड़ कर उस पुल से गुजर रहे हैं.

मुरैना। सुमावली से जौरा को जोड़ने वाला एक मात्र पुल जो आसन नदी पर बना हुआ है, क्षतिग्रस्त हो गया था. इस पुल से ग्वालियर से श्योपुर जाने वाली नैरोगेज ट्रेन गुजरा करती थी, साथ ही उस पुल से लोगों की भी आवाजाही होती थी. पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली तो इसे ठीक करवाया गया, जिसके बाद पुल के किनारे वाले फुटपाथ के सिरों को तोड़ दिया गया, ताकि लोग वहां से आना-जाना न कर सकें, लेकिन इसके बाद भी लोग वहां से गुजर रहे हैं, जिन्हे रोकने के लिए एक चौकीदार को तैनात कर दिया गया है.

जान की बाजी लगाकर लोग पार कर रहे हैं पुल


क्षेत्र में लगभग 40 ग्राम पंचायत हैं, जो जौरा तहसील में आते हैं, इसलिए क्षेत्र के लोगों को सुमावली से जौरा जाना होता है. नैरोगेज रेल लाइन के रास्ते सुमावली से जौरा की दूरी सिर्फ 12 किलोमीटर है. वहीं सड़क मार्ग से मुरैना होते हुए जाएं, तो लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसके कारण गांव वालों को अधिक समय लगता है. ऐसी स्थिति में लोग या तो ट्रेन से जौरा जाते हैं या अपने दोपहिया वाहन को लेकर रेलवे ब्रिज के किनारे जौरा जाया करते थे, लेकिन फुटपाथ को तोड़ने के बाद आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और जान से खिलवाड़ कर उस पुल से गुजर रहे हैं.

Intro:सुमावली से जोरा जाने के लिए आम लोगों को इस समय मौत के मुंह से ऊपर जाना पड़ रहा है क्योंकि ग्वालियर से शिवपुर जाने वाली नरगिस ट्रेन का आसन नदी पर बने पुल के फुटपाथ के दोनों सिरों को रेलवे ने सिर्फ इसलिए तोड़ दिया ताकि आम आदमी यहां से ना निकले और फुल को किसी प्रकार की क्षति ना हो यही नहीं जय विश्वास क प्रशासन के संज्ञान में लाया गया तो प्रशासन ने फुटब्रिज को ठीक कराने के बजाय आम लोगों को फुटपाथ से निकलने से रोकने के लिए एक कोटवार को तैनात कर दिया गया है ताकि क्या किसी तरह के हादसे को रोका जा सके ।


Body:क्षेत्र की लगभग 40 ग्राम पंचायत है जय जोरा तहसील में आती हैं । इसलिए क्षेत्र के लोगों को आए दिन सुमावली क्षेत्र से जोड़ा जाना होता है रेलवे लाइन के रास्ते सुमावली से जोरा की दूरी 12 किलोमीटर है जबकि यह लोग सड़क मार्ग से होकर मुरैना होते हुए जोरा जाएं तो लगभग 45 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ेगी या फिर सुमावली से बागचीनी चौराहा एमएस रोड होते हुए जोर आ जाएं तो और 35 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ेगी । और समय भी अधिक गांव आना पड़ेगा ऐसी स्थिति में लोग या तो ट्रेन से जोरा जाते हैं या ट्रेन का समय ना हो तो वह अपने दोपहिया वाहन लेकर रेलवे लाइन के किनारे किनारे जरा जाया करते थे ।


Conclusion:कुछ समय पहले आसन नदी पर बना रेलवे पुल क्षतिग्रस्त हो गया था इस कारण 1 सप्ताह ट्रेन का आवागम भी रोक दिया गया था । इसी दौरान रेलवे के अधिकारियों ने पुल पर बने फुटपाथ को इसलिए तोड़ दिया ताकि यहां से निकलने वाले लोग किसी तरह का रेलवे की क्षति न पहुंचा सकें। रेलवे के अधिकारियों ने पुल के दोनों ओर किनारे से फुटपाथ को तोड़ दिया । अंग्रेजों के जमाने यानी कि लगभग 200 वर्ष पुराने रेलवे पुल पर बने फुटपाथ को आज एक अधिकारी ने अपनी मनमानी से तोड़ दिया परिणाम सुमावली क्षेत्र की 40 ग्राम पंचायतों की एक से अपना गांव में निवास करने वाले लोग कोई जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन से गुजरना पड़ रहा है । बावजूद इसके रेलवे के अधिकारी और ना ही प्रशासन लोग आम लोगों की समस्या के समाधान के लिए कोई कदम उठा रहे हैं ।
बाईट 1- रामबीर सिंह - स्थानीय राहगीर
बाईट -2 बसंत - कोटवार जोरा तहसील ( पुल से गुजरने वाले लोगो को रोकने किया तैनात)
बाईट - 3 कैलास शर्मा - स्थानीय निवासी
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