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MP Morena किसानों ने दी चेतावनी, अटल एक्सप्रेस-वे परियोजना रद्द नहीं की तो बड़ा आंदोलन

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Published : Feb 9, 2023, 5:58 PM IST

मुरैना में मध्य प्रदेश किसान सभा ने प्रेसवार्ता के जरिये बीजेपी सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. किसान सभा के नेताओं का कहना है कि अटल एक्सप्रेस-वे के निर्माण से हजारों किसान भूमिहीन हो रहे हैं. इसलिए सरकार इस परियोजना को रद्द कर दे. यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो बड़ा आंदोलन होगा.

MP Morena farmers warned
MP Morena किसानों ने दी चेतावनी

मुरैना। प्रेसवार्ता में पूर्व विधायक गजराज सिंह ने कहा कि चंबल क्षेत्र को बचाने के लिए भिंड से लेकर श्योपुर जिले तक के किसान केंद्र और राज्य सरकार की मनमानी के विरुद्ध जान देने के लिए तैयार हैं. किसानों का कहना है कि अटल एक्सप्रेस वे वे का निर्माण पुराने सर्वे के आधार पर ही कराया जाए, अन्यथा इसे रद्द किया जाए. क्योंकि यह आदेश किसानों एवं युवाओं को तबाह करने वाला है. मध्य प्रदेश किसान सभा के बैनर तले भाजपा पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार और अशोक तिवारी ने पत्रकारवार्ता का आयोजन किया.

किसान भूमिविहीन हो जाएंगे : उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अटल एक्सप्रेस-वे के नाम से किसानों की जमीन अधिग्रहित कर रह रही है. सिर्फ मुरैना में ही 41 गांवों में 322 हेक्टेयर जमीन जा रही है. इस अटल एक्सप्रेस वे के निर्माण से जिले के हजारों किसान भूमिहीन हो रहे हैं. पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार का कहना है कि मुरैना में पहले से ही मजदूरों की संख्या अधिक है. ऐसे में हजारों किसान भूमिहीन होकर मजदूर बन जाएंगे. किसान इन मजदूरों के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था तो कर नहीं पा रही है. उल्टा मजदूरों को संख्या बढ़ाकर बेरोजगारों की फौज खड़ी करती जा रही है.

किसानों ने रैली निकालकर सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी

जमीन के बदले जमीन की मांग : किसान नेताओं ने बताया कि यह चंबल एक्सप्रेसवे सड़क परियोजना चंबल के बीचोंबीच भिंड में अटेर से आगे उत्तर प्रदेश में एनएच 92 से शुरू होकर मुरैना श्योपुर कला होती हुई कोटा तक बनाया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जानी थी, उन 10 हजार किसानों को पहले जमीन के बदले दुगनी जमीन देने की घोषणा की गई.बाद में किसान आंदोलन के चलते जो किसान जमीन नहीं लेना चाहते थे, उन्हें सरकारी रेट से 2 गुना मुआवजा देने की घोषणा की गई. यह सड़क 404 किलोमीटर लम्बाई में बनाई जा रही थी. इस परियोजना में लगभग 20 हजार किसान परिवार ऐसे भी प्रभावित हो रहे थे, जो पीढ़ियों से खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं, परंतु उन्हें जमीन मुआवजा कुछ भी नहीं मिल रहा था . उनको भी मुआवजा या जमीन देने की मांग भी किसानों द्वारा की गई.

मुरैना। प्रेसवार्ता में पूर्व विधायक गजराज सिंह ने कहा कि चंबल क्षेत्र को बचाने के लिए भिंड से लेकर श्योपुर जिले तक के किसान केंद्र और राज्य सरकार की मनमानी के विरुद्ध जान देने के लिए तैयार हैं. किसानों का कहना है कि अटल एक्सप्रेस वे वे का निर्माण पुराने सर्वे के आधार पर ही कराया जाए, अन्यथा इसे रद्द किया जाए. क्योंकि यह आदेश किसानों एवं युवाओं को तबाह करने वाला है. मध्य प्रदेश किसान सभा के बैनर तले भाजपा पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार और अशोक तिवारी ने पत्रकारवार्ता का आयोजन किया.

किसान भूमिविहीन हो जाएंगे : उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अटल एक्सप्रेस-वे के नाम से किसानों की जमीन अधिग्रहित कर रह रही है. सिर्फ मुरैना में ही 41 गांवों में 322 हेक्टेयर जमीन जा रही है. इस अटल एक्सप्रेस वे के निर्माण से जिले के हजारों किसान भूमिहीन हो रहे हैं. पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार का कहना है कि मुरैना में पहले से ही मजदूरों की संख्या अधिक है. ऐसे में हजारों किसान भूमिहीन होकर मजदूर बन जाएंगे. किसान इन मजदूरों के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था तो कर नहीं पा रही है. उल्टा मजदूरों को संख्या बढ़ाकर बेरोजगारों की फौज खड़ी करती जा रही है.

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जमीन के बदले जमीन की मांग : किसान नेताओं ने बताया कि यह चंबल एक्सप्रेसवे सड़क परियोजना चंबल के बीचोंबीच भिंड में अटेर से आगे उत्तर प्रदेश में एनएच 92 से शुरू होकर मुरैना श्योपुर कला होती हुई कोटा तक बनाया जाना प्रस्तावित है. इसके लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जानी थी, उन 10 हजार किसानों को पहले जमीन के बदले दुगनी जमीन देने की घोषणा की गई.बाद में किसान आंदोलन के चलते जो किसान जमीन नहीं लेना चाहते थे, उन्हें सरकारी रेट से 2 गुना मुआवजा देने की घोषणा की गई. यह सड़क 404 किलोमीटर लम्बाई में बनाई जा रही थी. इस परियोजना में लगभग 20 हजार किसान परिवार ऐसे भी प्रभावित हो रहे थे, जो पीढ़ियों से खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं, परंतु उन्हें जमीन मुआवजा कुछ भी नहीं मिल रहा था . उनको भी मुआवजा या जमीन देने की मांग भी किसानों द्वारा की गई.

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