मुरैना। जिले में आयोजित क्षत्रीय समाज में चल समारोह में शामिल होने अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पहुंचे. जहां उन्होंने सनातन विरोधियों का करारा जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सनातन का विरोध करने वाले अज्ञानी हैं. यह पहला मौका नहीं है, जब किसी ने सनातन धर्म पर हमला किया. प्राचीन काल से सनातन धर्म पर हमला करते आ रहे हैं. इतिहास गवाह है, जिसने भी सनातन धर्म पर उंगली उठाई , उसी के घर में उनका सर्वनाश करने वाला पैदा हुआ है. हिरण्यकश्यप, रावण-कुम्भकरण और कंस इसके प्रमुख उदाहरण हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनको ये नहीं पता, कि इस दुनिया की रचना ब्रह्मा ने की है. दूसरी प्रलय के बाद के बाद जब मनु ने व्यवस्था संभाली, उस समय भी हिरण्यकश्यप ने भी सनातन से घृणा की थी. लेकिन उनके घर में प्रहलाद पैदा हुए. ऐसे ही ऐसे ही त्रेता युग में रावण और कुंभकरण ने सवाल खड़ा किया. तब उसी घर में विभीषण पैदा हुए. इसे ही द्वापर युग में कंस ने सवाल खड़ा किया, तो कृष्ण कंस के भांजे के रूप में जन्में हैं.
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उन्होंने बिना नाम लिए विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि आज जो ऐसी भाषा बोल रहे है. उनको हमेशा जवाब मिलता रहा है. जो लोग ऐसे प्रश्न उठा रहे हैं, वह सब अज्ञानी है. क्या वह मानते हैं कि उनकी उत्पत्ति उनकी स्वयं की है. क्या वह प्रकृति को नहीं मानते हैं. क्या वह सनातन को नहीं मानते हैं.
दलकू बाबा की जयंती समारोह में पहुंचे: जिले के सरसैनी गांव में स्थित सरसैनी किले में मौजूद दलकू बाबा की 710 वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और कैसरगंज के सांसद बृजभूषण सिंह क्षत्रिय समाज के कार्यक्रम पहुंचे हैं. वे यहां पर हैलीपेड से उतरते ही सीधे सर्किर्ट हाउस पहुंचे.
सर्किट हाउस पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा- कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए देश के हर राज्य को गद्दे दिए है. आखड़े खुलवाए हैं. इस प्रतिभा को कोई दबा ना सके. इसी को लेकर हमने कुछ नियम बनाए थे. इनको लेकर हरियाणा के कुछ खिलाड़ियों ने विरोध किया.
बताया कि देश के अंदर चार राज्य ए श्रेणी के है. उनमें मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा है. इन राज्यों के बच्चो के लिए मैंने यह प्रयास किया और अब मुझे यह सब देखना पड़ रहा है.
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि कुश्ती हमारे देश का परम्परागत खेल है. इसे बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं. इसके लिए देश के हर राज्य में नए अखाड़ों की स्थापना कराई है. प्रैक्टिस करते समय पहलवानों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए अखाड़ों में गड्ढे डलवाये गए है.