मुरैना(Morena)। जिले में खाद (Fertilizer) की किल्लत से किसान परेशान हैं. इसे लेकर आए दिन व्यापारियों और किसानों में विवाद की स्थिति बनी रहती है. विवाद के कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो रहे हैं. मंगलवार को मुरैना में जीवाजीगंज के टाउनहॉल में किसान सुबह से लाइन में लगकर खाद लेने के लिए परेशान होते रहे. लेकिन वहां अधिकारी आए और किसानों से गल्ला मंडी में खाद मिलने की बात कही. उसके बाद किसान गल्ला मंडी जा पहुंचे, जहां खाद न मिलने पर हजारों की संख्या में महिलाृ-पुरुष किसानों ने हंगामा कर दिया. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने किसानों को लाइन में लगवाकर खाद वितरण की व्यवस्था संभालने की कोशिश की.
धूप में कतार में खड़े रहे किसान
मुरैना में खाद का संकट कम नहीं हो रहा है. जैसे-जैसे रबी की फसलों की बोवनी का समय पास आ रहा है, किसानों में खाद की मांग बढ़ती जा रही है. हालात ऐसे हो गए हैं कि मंगलवार को खाद वितरण केंद्रों पर खाद के लिए सुबह से ही लंबी लाइन लगी रही. जिसमें पुरुष ही नहीं महिलाएं भी खड़ी थीं. 65 वर्षीय महिला किसान रामबेटी जिले के नगरा गांव से आईं, जो सुबह से जीवाजीगंज स्थित टाउनहॉल में खाद लेने के लिए खड़ी रहीं, लेकिन दोपहर तक उनको खाद नहीं मिल पाई.
खाद नहीं मिलने से किसानों का हंगामा
काफी देर तक खड़े रहने के बाद भी जब किसानों को खाद नहीं मिली, तो वह आक्रोशित हो गए और हंगामा करने लगे. जिसके बाद अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव अपनी टीम के साथ पहुंच गए. किसानों ने उनको अपनी समस्या बताई. अधिकारियों ने गल्ला मंडी में खाद मिलने की बात कही. जिसके बाद परेशान किसानों ने गल्ला मंडी के लिए दौड़ लगा दी. लेकिन वहां पर भी किसान परेशान होता दिखाई दिया.
किसानों की मानें तो मुरैना से क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के होने के बाद भी जिले का किसान परेशान है. किसानों का कहना है कि मंत्री को वोट की जरूरत होती है, तब तो यहां आ जाते हैं. लेकिन अब किसान खाद के लिए परेशान हो रहा है, तो अब मंत्री खाद की किल्लत दूर क्यों नही कर पा रहे हैं.
सोसायटी कर्मचारियों की लापरवाही
बीते एक महीने से मुरैना जिले में डीएपी और यूरिया खाद का संकट चल रहा है. मुरैना जिले में खाद वितरण केंद्रों पर भीड़ बढ़ने के पीछे सहकारी सोसायटियों के कर्मचारियों की लापरवाही मुख्य वजह है. जिले में 70 से ज्यादा सोसाइटी हैं, जिन पर कस्बे और गांव में किसानों को खाद बांटा जाता है, लेकिन अधिकांश सोसायटियों ने खाद का स्टॉक उठाया ही नहीं है. ऐसे में सोसाइटी अपने-अपने क्षेत्र के किसानों को खाद की पर्ची देकर जिला मुख्यालय पर विपणन संघ एमपी एग्रो, इफको बाजार आदि गोदामों पर भेज देते हैं. इस कारण भी इन जगहों पर खाद के लिए मारामारी मची रहती है.