मुरैना। जिले के कई गांवों में श्मशान के निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए है. कहीं श्मशान की जमीन और उसके रास्ते पर कब्जा हो गया है, तो कहीं ग्राम पंचायत ने श्मशान में चबूतरे, टीनशेड बनाए बिना ही पैसे का बंदरबांट कर लिया. ऐसे गांवों में बारिश के सीजन में मृतक का अंतिम संस्कार सबसे बड़ी परेशानी बन रहा है. सबलगढ़ जनपद के अलीपुरा खेरोन गांव का है, जहां दो मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए पेट्रोल, केरोसिन की मदद से परिजनों को अंतिम संस्कार करना पड़ा.
पानी से तर जमीन पर किया अंतिम संस्कार
जिले की सबलगढ़ तहसील के अलीपुरा खेरोन गांव में सोमवार को दो बुजुर्ग प्यारेलाल रावत और बुजुर्ग महिला कम्मोदा रावत का निधन हो गया. ये दोनों मौतें दोपहर के समय हुई, तब गांव में बारिश हो रही थी. श्मशान में न तो टीनशेड था ना ही कोई चबूतरा. परिजनों ने बारिश रुकने तक इंतजार किया. इसके बाद शवों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान ले जाया गया. पानी से तर जमीन पर अंतिम संस्कार किया गया.
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पेट्रोल और केरोसिन डालकर किया अंतिम संस्कार
बारिश के कारण लकड़ी, उपले (कंडे) और अन्य सामग्री गीली हो गई, जो आग नहीं पकड़ पा रहीं थी. पहले ग्रामीणों ने घी और शक्कर डालकर मुखाग्नि देने की कोशिश की, लेकिन लकड़ियों ने आग नहीं पकड़ी. इसके बाद परिजनों ने केरोसिन और पेट्रोल मंगवाया. ग्रामीणों ने चिताओं पर रुक-रुककर पेट्रोल और केरोसिन छिड़का तब कहीं जाकर लकड़ियों ने आग पकड़ी.
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कई बार की शिकायत नहीं हुआ समाधान
इस दौरान ग्रामीण श्मशान में ही बैठे रहे और पेट्रोलियम पदार्थों की दम पर मृतकों का अंतिम संस्कार किया. मृतकों के परिजन संजय रावत और जगदीश रावत ने बताया कि गांव में श्मशान के चबूतरे और टीनशेड के लिए कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बारिश में यही हालत होते है. पंचायत और जनपद कोई ध्यान ही नहीं देता, ना ही इस ओर जिले के अधिकारी ध्यान देते है.