मुरैना। सरकारी काम और सरकारी रिकॉर्ड अक्सर सवालों के घेरे में रहते हैं. खिडोरा गांव के विकास के लिए सरकारी फाइलों में तो लाखों खर्च किए गए लेकिन हुआ कुछ नहीं है.
विकास के लिए दिए गए थे 14 लाख रु.
खिडोरा गांव के विकास के लिए पंचायत के खाते में 14 लाख रुपए डाले गए थे, जिसके तहत 4 तालाब, खेल का मैदान और मुक्तिधाम बनाया जाना था. लेकिन हकीकत सरकारी आंकडों से बिल्कुल अलग है. ना तालाब, ना खेल का मैदान, मुक्तिधाम में ना बाउंड्री वॉल है और ना ही कोई टीनशेड. आप खुद सोचिए अगर बारिश के दिनों में किसी का अंतिम संस्कार करना हो तो क्या हालात होंगे. इसका मतलब साफ है कि विकास सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गया है.
कलेक्टर का सरकारी जवाब
मुरैना कलेक्टर प्रियंका दास कहना है कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. हालांकि प्रियंका दास ने चुनाव प्रक्रिया की एक बहुत ही कमजोर कड़ी को उठाते हुए कहा है कि अशिक्षित जनप्रतिनिधि जब होते हैं तो कई दबंग उनका गलत फायदा उठा लेते हैं.